तम्बू लग चुके हैं, सजावट हो चुकी है और बस बारात का आना बाकी है.
जी हाँ लन्दन में २०१२ में होने वाले ओलंपिक के लिए अभी लगभग पूरा एक साल पड़ा है .परन्तु लन्दन एकदम तैयार है.लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं.स्टेडियम बनकर तैयार हैं.बस अन्दर की कुछ सजावट बाकी है जो जल्दी ही पूरी कर ली जाएगी. और… और ये स्टेडियम इंतज़ार करेगा १ साल. ओलम्पिक के शुभारम्भ का, जिसमे पूरी दुनिया के २०५ देशों के १४,७०० प्रतिभागी हिस्सा लेंगे.
हालाँकि डर था कि शायद ओलम्पिक का स्थान,निर्धारित समय में पूरा ना बन पाए. परन्तु अन्तराष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी ने अब इसे हरी झंडी दे दी है कि सारे काम लगभग पूरी तरह संपन्न हो चुके हैं.
लन्दन आयोजन समिति के अनुसार इस आयोजन का बजट २ बिलियन पौंड्स बनाया गया है. जो ज्यादातर निजी क्षेत्र द्वारा उठाया जायेगा.
और तो और सारी टिकटें भी बिक चुकी हैं .जिनसे आयोजक उनकी बिक्री से होने वाली आय £५०० मिलियन पौंड्स के अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर पूरी तरह अग्रसर हैं.
बताया जाता है कि ६.६ मिलियन टिकटों के लिए २० मिलियन आवेदन प्राप्त हुए..हालाँकि टिकटों की बिक्री को लेकर काफी सवाल उठे कि लोगों को इनके लिए आवेदन करने को कहा गया और उनके अकाउंट से पहले ही रकम निकाल ली गई बिना यह बताये कि उन्हें वह टिकट मिलेगा भी या नहीं.या किस आयोजन का मिलेगा.अत:यह कहने की आवश्यकता नहीं कि बहुत से लोगों को निराशा ही हाथ लगी.
हालाँकि ट्रांसपोर्ट लन्दन के लिए सबसे बड़ी कमजोरी कही जा रही है क्योंकि वर्तमान के हिसाब से यहाँ का ट्यूब सिस्टम पुराना है .परन्तु फिर भी ओलम्पिक पार्क से जुड़े सभी रास्तों को अपग्रेड किया जा रहा है.खासकर जुबली लाइन पर खासा काम किया जा रहा है और उसे हर तरह से ओलम्पिक पार्क से जोड़ा जा रहा है.
ओलम्पिक खेलों के मुख्य स्थान, जहाँ उद्धघाटन और समापन समारोह भी होने हैं .स्टारडफोर्ड नाम के इस स्थान को सभी विश्व स्तरीय सुविधाओं से संपन्न किया जा रहा है.वेस्ट फील्ड नाम का , शायद यूरोप का सबसे बड़ा मॉल पहले ही बन कर चालू हो चुका है.और अभी से लोगों को आकर्षित कर रहा है.
वेस्ट फील्ड मॉल
लन्दन में हुए ७/७ बम ब्लास्ट और फिर हाल में हुए दंगों से सुरक्षा व्यवस्था एक अहम् मुद्दा बन गया है.परन्तु इन सबके वावजूद सुरक्षा के बेहतरीन प्रबंध किये गए हैं.और हाल में हुए दंगों में पाए जाने वाले दोषियों को सजा देना अभी जारी है.लन्दन के कई स्थानों पर अभी भी पुलिस की गाडी खड़ी आप देख सकते हैं जहाँ स्क्रीन पर सी सी टी वी. की मदद से जारी दोषियों की तस्वीरें जनता को दिखाई जा रही हैं और उनसे निवेदन किया जा रहा है कि जिसे भी वह पहचान सकें तुरंत पुलिस को सूचित करें.
कहने का आशय यह कि चाहे कोई बम फेंके या दंगे करे.बेशक अर्थव्यवस्था घाटे में हो,हजार मुश्किलें हों परन्तु लन्दन – ओलम्पिक खेलों से किये अपने वादे पर पूरी तरह अटल है. और खेलों के उद्धघाटन से एक साल पहले ही उसके स्वागत में बाहें फैलाये निश्चिन्त खड़ा है.
बहुत अच्छी जानकारी ….
सक्षम तो अपना भारत भी है मगर कलमाड़ी जैसे लोग इसे अक्षम बना देते हैं |
हमारे यहाँ तो बारात निकलती है तभी दूल्हा तैयार होता है। बल्कि यूं कहे तो ज्यादा ठीक है कि घोड़े पर बैठे-बैठे भी साज सजावट दुरस्त की जाती है। हमारी भी अग्रिम शुभकामनाएं।
"६.६ मिलियन टिकटों के लिए २० मिलियन आवेदन"
दीदी एक ठो टिकट मेरे लिए भी अभी से ही कुछ जुगाड़ कर के बुक कर दीजिए.. 😛
अत्यंत सुन्दर जानकारी. हमें विश्वास है वहा कोइ कलमाडी नहीं होगा.
ख़ुशी होती है ये सब सुनकर और फिर दिल दुखी होता है जब हम अपने देश का हल देखते हें. कभी हम पूरी तरह से तैयार हो ही नहीं पाते बस ऊपर से पोलिश कर ली अन्दर से खोखले होते हें. एक बड़े आयोजन के बाद जो हाल है देश का तो इससे बेहतर है कि यहाँ कोई आयोजन न हो.
२ बिलियन पौंड्स–यानि 15000 करोड़ रूपये ! कलमाड़ी सोचता होगा , काश मैं यू के में होता ।
काबिले तारीफ उपलब्धि है ये । शुभकामनायें ।
कार्यकुशलता और समय प्रबंधन ही पश्चिम के देशों को हमसे अलग करता है . उम्मीद है की एथेंस ओलंपिक के बाद जो हालत ग्रीस की हुई वो बात नहीं दुहराई जाएगी . टिकेट बुकिंग ओवर सब्सक्रायिब हो गई , बाद में इंटेरेस्ट के साथ पैसा वापस जिनको टिकट नहीं मिलेगा . शुभकामनाये.
this is the difference east & west !
yaha to aakhir samaye tak nhi pata tha ki khel honge bhi ya nhi!
UPA govt ki aankhe kholti hui post!
ki seekho/ kuch to sharm karo/ ya bas jebe bharni hi aati hain in sab ko!
वाह! Good news.
लन्दन में अब कोई ट्रैफिक समस्या
नहीं होगी न.
अभी वीसा नवम्बर तक है.आजाये फिर जायजा लेने?
isko kahte hai taeyari dekhiye kitne pahle se hi taeyar hain .ham bhi kar sakte the………………pr…….
achchhi jankari
rachana
अद्बुत जानकारी…शर्म आ रही है शिखा जी यह पढ़ कर अपने भारतीय होंने पर. यु नो आज तक दिल्ली में कामनवेल्थ गेम का काम चल रहा है. कनाट प्लेस देख आइये जो काम गेम के लिए होना था वह काम खेल खत्म हुए अरसा हो जाने के बाद भी आज जारी है और कलमाडी जेल की हवा खा रहा है…उफ़.
पंकझ झा.
सफल आयोजन के लिये आपको अग्रिम शुभकामनायें।
आपके नज़रों से देखेगें हम इस महान आयोजन को ….शुभकामनाएं!
अत्यंत सुन्दर जानकारी. सफल आयोजन के लिये आपको पहले से ही बहुत -बहुत बधाई…
enjoy kijiyega aur humko update karti rahiyega 🙂
badhia aalekh ….
jaankaree dete rahana…
ओलम्पिक देखने का अलग ही आनन्द है!
आप भाग्यशाली हैं!
जानकारी परक लेख, हमारे देश में तो तब योजना बन रही थी इतनी भी क्या जल्दी हैं 🙂 आभार
अग्रिम शुभकामनायें।
बढ़िया जानकारी दी आपने…
धन्यवाद …
कलमाड़ी भी भिजवाएं !
अगर ऑलोम्पिक सफ़ल कराना है तो वहाँ भी एक खलमाड़ी की आवश्यकता है। — 🙂
खेल के चित्र तो हम आपके ब्लॉग के माध्यम से देख लेगें ।
कृपया ब्लॉगप्रहरी का लोगो अपने ब्लॉग पर लगा हमारे प्रयासों को अपना समर्थन दें !
phir tumse sunenge bahut kuch… shubhkamnayen
वाह जी 🙂 आपने तो यहीं से सारा आँखों देखा हाल बता दिया। अब इस मामले में जानकारी हासिल करने के लिए कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं है
बढ़िया जानकारी शुभकामनायें 🙂
अच्छी और विस्तृत जानकारी,आभार.
सुंदर आयोजन कर रहे हैं। होना भी चाहिए। सब जगह कम-ऑन-वेल्थ थोड़े ही होता है।
खेल-कूद के बहाने शहर का नक्शा ही बदल जाता है।
Achcha laga Jankar …Abhar
Great reporting . I'm feeling as if i'm there in London.
बहुत सी बातें हम भारतियों ने अंग्रेजों से सीखीं ..पर काम कैसे किया जाता है यह नहीं सीख पाए ..क्यों कि उस समय भी डंडे के बल पर काम कराया जाता था और उसी की आदत पड़ गयी है ..ज़िम्मेदारी कोई नहीं उठना चाहता ..
इस जानकारी के लिए शुक्रिया …
good
जानकारी के लिए शुक्रिया।
और बधाईयां आपको….
मेहमाननवाजी का अवसर मिलेगा आपको।
अच्छी जानकारी दी…इस बार तो लंदन से आँखों देखा हाल मिला करेगा ओलंपिक में…:)
ब्रिटेन एक गरीब देश हैं, और भारत एक अमीर देश. भारतीय नेता गण और नौकरशाही दिन रात मेहनत करती हैं, और हमेशा व्यस्त रहती हैं इसलिए भारत में स्वाभाविक हैं कि काम में देरी हो. क्योंकि भारतीय नेता और नौकरशाह पहले अपनी जेब भरते हैं. इसके विपरीत ब्रिटेन में लोग खाली रहते हैं, खाली रहेंगे तो अपना काम समय से तो पूरा करेंगे ही ना.
aapke aalekh se ek baat samajh me aai ki doosre deshon me kitne vyavasthit aur planning ke saath kisi event ki taiyaari ki jaati hai humara desh is mamle me aalsi hai.bahut achchi jaankari deti post.
साल भर में पुरानी न पड़ने लगेगी तैयारी.
आज 23- 09 – 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है …..
…आज के कुछ खास चिट्ठे …आपकी नज़र .तेताला पर
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ये हुई ना बात और एक हमारे यहाँ का हाल था जिसने सारी दुनिया को बता दिया कि हम कैसे हैं…………बहुत बढिया रपट्।
Shiha Jee Visit This WEb Link.
http://insidestorymedia.com/index.php?option=com_content&view=article&id=1062:2011-09-23-07-14-54&catid=60:any-khel&Itemid=524
Shashank Singh
तैयारी का यह आंखों देखा हाल और आपकी कलम दोनो का साथ बहुत ही बढि़या … आभार के साथ शुभकामनाएं ।
सुन्दर प्रस्तुति |
बधाई ||
शुभकामनाएं।
काश मैं कलमाडिया बनके वहां होता तो जीवन सफ़ल हो जाता.:)
रामराम
आप तो स्वागत के लिए तैयार है पर पता नहीं हमारे खिलाडी वहा जाने के लिए कितने तैयार है |
अत्यंत सुन्दर जानकारी|अग्रिम शुभकामनायें।
बढिया है.
http://www.trinathm.blogspot.com/
@Trinath mishra! यह टिप्पणी बक्सा इस ब्लॉग के पाठकों के विचारों के लिए खुला है.कृपया इसका इस्तेमाल अपने एड के लिए न करें.धन्यवाद.
आइन्दा इस तरह की किसी भी टिप्पणी को हटा दिया जायेगा.
तैयारियों का विवरण तो बहुत ही रोचक और रोमांचक है.. लेकिन अंत में जो सवाल आपने छोड़ा है, हम उससे अभी तक जूझ रहे हैं.. कम ऑन वेल्थ नामक खेल की पपड़ियाँ अब घिनौनी लगने लगी हैं, जबकि तब सबको रंगीनियाँ दिख रही थीं.. चलिए आगे की रपट का जिम्मा तो आप पर है ही!!
हम लोग तो प्यास लगने पर ही कुआँ खोदते हैं. आप भी शुभकामनाओं के पात्र हैं. स्वीकारें.
चित्रों से सजी रचना आकर्षक लग रही है। आभार।
अगर कलमाडी साहब ने यह लेख पढ़ लिया तो कहेंगे कि अगर इतने पहले से तैयारी कर ली है तो जब तक खेल होंगे ये आधी सुविधाएँ तो खराब हो जाएँगी.
ईमानदार प्रयास किसी भी आयोजन को सफल बना सकता है , अच्छी जानकारी , आभार।
ये तस्वीर मेरे एक मित्र की बेटी की है…जो भारत में नवीं कक्षा में पढ़ती है.
फेसबुक पर कुछ ही दिनों पहले उसकी ये फोटो देखी थी.
@ Anonymous! किस तस्वीर की बात कर रहे हैं आप ? यहाँ उपयोग की गईं ज्यादातर तस्वीरें गूगल इमेज से साभार ली गई हैं. और एक खुद मेरे कैमरे से ली गई है..
सफल आयोजन के लिये आपको अग्रिम शुभकामनायें।
वाह! इसे कहते हैं व्यवस्था। ये नहीं कि आनन फानन में एक का नौ खर्जा करके नाक ऊँची की जाय।
जानकारी के लिए तो आभार है ही, पर लालच भी आता है यह सब देखकर… 🙂
——
आप चलेंगे इस महाकुंभ में…
…मानव के लिए खतरा।
सही है लेकिन बिना घपले-घोटाले के सब फ़ीका-फ़ीका लगता है! अपने देश जैसा होना चाहिये!
सुन्दर प्रस्तुति, बधाई,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
very informative…itna samay to hame bhi mila tha ..per hum to ek din pehlae tak stadium ki girti chaton, pani ke jagah jagah bharav,or idhar udhar nikal aye ikka dukka sapon( ha..ha..) ki samasya se hi joojhtae rahe… or unka stadium saal bhar pehlae ban ke taiyyar khada hai…. jai ho kalmadi dev ki….
इसे कहते हैं दायित्व को निभाना । िसे यदि कॉमनवेल्थ खेलों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो कितनी शर्म आती है ।
bahut achhi post
♥
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर
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सही प्लेनिंग … सूझबूझ और समर्पित जनता और नेता … तभी देश तरक्की करते हैं …
London Olympics…. lookin forward to it.
informative post in this regard !!!
shikha ji
dhnyvaad aapko itni badhiyan vistrit jaankaari ke liye.par yahan main bhi rekha srivastav ji ki baat se sahmat hun.
sach baat hai ki apna bharat har tarah se saxham hai fir bhi jaane kya kami rah jaati hai——–.
par aapki post bahut hi gyan vardhak lagi.
bahut -bahut badhai
poonam
Beautiful blog, I read quite some now, and I love your originality,
Funny Photo
हमारे लिए सबक.
आशीष
—
लाईफ़?!?
aagaaj ke baare men to bataa diyaa… vo bhi lazawaab tareeke se….anjaam ke baare men bhi bataa dijiyigaa bhyi
here for the 1st time great blog..! 🙂 and congratulations it feels really awsum when your hard work pays off.! 🙂
India is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this…!!!.
visiit here for India
सुन्दर जानकारी.
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