हम जैसे जैसे ऊपर उठते हैंघटता जाता है हवा का दबाव.भारी हो जाता है,आसपास का माहौल. और हो जाता है,सांस लेना मुश्किल.ऐसे में जरुरी है कि,मुँह में रख ली जाए,कोई मीठी रसीली गोली,अपनों के प्रेम की.जिससे हो जाता हैसांस लेना आसानऔर कट जाता है सफ़रआराम से।…
“बिहार की एक ट्रेन में, बोतल से पानी पी लेने पर एक युवक की कुछ लोगों ने जम कर पिटाई कर दी” सोशल मीडिया पर छाई इस एक खबर ने मुझे न जाने कितनी ही बातें याद दिला दीं जिन्हें मैं इस मुगालते में भुला चुकी थी कि अब तो बहुत समय बीत गया। हालात सुधर गए होंगें। पर क्या…
क्योंकि हमारे यहाँ प्यार दिखावे की कोई चीज़ नहीं है. नफरत दिखाई जा सकती है, उसका इजहार जिस तरह भी हो, किया जा सकता है. गाली देकर, अपमान करके या फिर जूतम पैजार से भी. परन्तु प्यार का इजहार नहीं किया जा सकता. उसे दिखाने के सभी तरीके या तो बाजारवाद में शामिल माने जाते हैं या फिर पश्चिमी संस्कृति का दिखावा. कहने…
विश्वविद्यालय मुझे आकर्षित करते हैं – क्योंकि- विश्वविद्यालय WWF अखाड़ा नहीं, ज्ञान का समुन्दर होता है. जहाँ डुबकी लगाकर एक इंसान, समझदार, सभ्य और लायक नागरिक बनकर निकलता है. क्योंकि- शिक्षा आपके व्यक्तित्व को निखारती है, आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों का बोध कराती है. वह खुद को सही तरीके से अभिव्यक्त करना सिखाती है. क्योंकि- आप जब वहां से निकलते हैं…
–“अरे तब तरबूज काट कर कौन खाता था. खेतों पर गए, वहीं तोड़ा घूँसा मार कर बीच में से, खड़ा नमक छिड़का और हाथ से ही खा लिया आखिर में रस बच जाता था तो सुढक़ लिए उसे यूँ ही. -दावतें भी मीठी और नमकीन अलग अलग होती थीं. एक- एक बालक सेर -सेर भर रबड़ी खा जाता था. घर के बुजुर्ग…
कितनी ठिठुरन है आज चलो न, पी आएं एक एक कप कॉफी मैं लूंगी एक लार्ज कैपचीनो, जिसपर बनाता है वह एक दिल, चॉकलेट और अपनी कला से. तुम ले लेना अपनी लाटे, सफ़ेद, दूध, चीनी से भरी. ये कॉफ़ी भी व्यक्तित्व का रूपक होती हैं न.…