रो रो के धो डाले हमने, जितने दिल में अरमान थे। हम वहाँ घर बसाने चले, जहाँ बस खाली मकान थे। यूँ तो दिल लगाने की, हमारी भी थी आरज़ू, ढूँढा प्यार का कुआँ वहाँ, जहाँ लंबे रेगिस्तान थे। हम तो यूँ ही बेठे थे तसव्वुर में किसी के, बिखरे टूट के शीशे की तरह कितने हम नादान थे। एक…
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मैं तो हरदम तेरे संग ही रहूंगी कभी उतर कर तेरे ख़यालों में बन कविता तेरे शब्दों में उकरूँगी या फिर बन स्याही तेरी कलम की तेरे कोरे काग़ज़ पर बिखरुंगी यूँ ही हरदम तेरे संग रहूंगी हो शामिल सूर्यकिरण में कभी बन आभा तेरे चेहरे पर उभरूँगी थक कर सुसताने बैठेगा जब तू बन पवन तेरे बालों में फिरूंगी जेसे भी हो बस तेरे…