ये कैसा महान देश है मेरा…. कल के कर्णधार ही जहाँ भूखे नंगे फिरते हैं भावी सूत्रधार जहाँ ढाबे पर बर्तन घिसते हैं सृजन करने वाली माँ का जहाँ आँचल सूखा रहता है और सृजन का भागीदार नशे में डूबा रहता है ये कैसा महान देश है मेरा…. देश चलाने वाले ही जब देश को बेचा करते हैं और रखवाले…
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तुम पर मैं क्या लिखूं माँ,तेरी तुलना के लिएहर शब्द अधूरा लगता हैतेरी ममता के आगेआसमां भी छोटा लगता हैतुम पर मैं क्या लिखूं माँ. याद है तुम्हें?मेरी हर जिद्द कोबस आख़िरी कहपापा से मनवा लेती थी तुम.मेरी हर नासमझी कोबच्ची है कहटाल दिया करती थीं तुम.तुम्हारा वह कठिन श्रम तब मुझे समझ आता था कहाँ तुम पर मैं क्या…