गद्य

हम जब बचपन में घर में आने वाली पत्रिकाएं पढ़ते तो अक्सर मम्मी से पूछा करते थे कि गर्मियों की छुट्टियां क्या होती हैं. क्योंकि पत्रिकाएं, गर्मियों में कहाँ जाएँ? कैसे छुट्टियां बिताएं, गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या करें और गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या सावधानी रखें, जैसे लेखों से भरी रहतीं। हमें समझ में नहीं आता था कि जिन गर्मियों की छुट्टी…

“बिहार की एक ट्रेन में, बोतल से पानी पी लेने पर एक युवक की कुछ लोगों ने जम कर पिटाई कर दी” सोशल मीडिया पर छाई इस एक खबर ने मुझे न जाने कितनी ही बातें याद दिला दीं जिन्हें मैं इस मुगालते में भुला चुकी थी कि अब तो बहुत समय बीत गया। हालात सुधर गए होंगें।  पर क्या…

क्योंकि हमारे यहाँ प्यार दिखावे की कोई चीज़ नहीं है. नफरत दिखाई जा सकती है, उसका इजहार जिस तरह भी हो, किया जा सकता है. गाली देकर, अपमान करके या फिर जूतम पैजार से भी. परन्तु प्यार का इजहार नहीं किया जा सकता. उसे दिखाने के सभी तरीके या तो बाजारवाद में शामिल माने जाते हैं या फिर पश्चिमी संस्कृति का दिखावा.  कहने…

विश्वविद्यालय मुझे आकर्षित करते हैं – क्योंकि- विश्वविद्यालय  WWF  अखाड़ा नहीं, ज्ञान का समुन्दर होता है. जहाँ डुबकी लगाकर एक इंसान, समझदार, सभ्य और लायक नागरिक बनकर निकलता है. क्योंकि- शिक्षा आपके व्यक्तित्व को निखारती है, आपको अपने अधिकार और कर्तव्यों का बोध कराती है. वह खुद को सही तरीके से अभिव्यक्त करना सिखाती है. क्योंकि- आप जब वहां से निकलते हैं…

–“अरे तब तरबूज काट कर कौन खाता था. खेतों पर गए, वहीं तोड़ा घूँसा मार कर बीच में से, खड़ा नमक छिड़का और हाथ से ही खा लिया आखिर में रस बच जाता था तो सुढक़ लिए उसे यूँ ही. -दावतें भी मीठी और नमकीन अलग अलग होती थीं. एक- एक बालक सेर -सेर भर रबड़ी खा जाता था. घर के बुजुर्ग…

आज सुबह राशन खरीदने टेस्को (सुपर स्टोर) गई तो वहां का माहौल कुछ बदला बदला लग रहा था. घुसते ही एक स्टाफ की युवती दिखी जो भारतीय वेश भूषा में सजी हुई थी. मुझे लगा हो सकता है इसका जन्मदिन होगा। सामान्यत: यहाँ एशियाई तबकों में अपने जन्मदिन पर परंपरागत लिबास में काम पर जाने का रिवाज सा है. परन्तु थोड़ा…

ऑफिस से आकर उसने अलमारी खोली। पीछे से हैंगर निकाल कर निहारा। साड़ी पहनने की ख़ुशी ने कुछ देर के लिए सारा दिन भूख प्यास से हुई थकान को मिटा दिया। वह हर साल इसी बहाने एक नई साड़ी खरीद लिया करती है कि करवा चौथ पर काम आएगी। वर्ना यहाँ साड़ी तो क्या कभी सलवार कमीज पहनने के मौके…

घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने – गज़ब का सटीक मुहावरा गढ़ा है किसी ने. और आजकल के माहौल में तो बेहद ही सटीक दिखाई दे रहा है. जिसे देखो कुछ न कुछ लौटाने पर तुला हुआ है. किसे? ये पता नहीं। अपने ही देश का, खुद को मिला सम्मान, अपने ही देश को, खुद ही लौटा रहे हैं. बड़ी ही…

वह इतनी धार्मिक कभी भी नहीं थी. बल्कि अपने देश में होने वाले त्यौहारों की रस्मों पर अक्सर खीज कर उनके औचित्य पर माँ से जिरह कर बैठती थी. उसे यह सब कर्मकांड कौरी बकवास और फ़ालतू ही लगा करता था. फिर माँ के बड़े मनुहार के बाद उनका दिल रखने के लिए वह उन रस्मों को निभा लिया करती थी. परन्तु यहाँ…

स्पेन खान के पान मामले में अपनी एक खास पहचान रखता है और पुर्तगाल की संस्कृति से काफी मिलता जुलता है. अपने समुंद्री किनारों के कारण स्पेन के खान पान में सी फ़ूड का काफी प्रयोग होने के वावजूद स्पेनवासी अपने फलों और सब्जियों के लिए भी बहुत प्रेम रखते हैं. उनके पेय से लेकर नाश्तों और खाने तक में फलों…