कल रात किवाड़ के पीछे लगी खूंटी पर टंगी तेरी उस कमीज पर नजर पड़ी जिसे तूने ना जाने कब यह कह कर टांग दिया था कि अब यह पुरानी हो गई है. और तब से कई सारी आ गईं थीं नई कमीजें सुन्दर,कीमती, समयानुकूल परन्तु अब भी जब हवा के झोंके उस पुरानी कमीज से टकराकर मेरी नासिका में…









