शहर की भीडभाड ,रोज़ के नियमित काम ,हजारों पचड़े ,शोरगुल.. अजीब सी कोफ़्त होने लगती है कभी कभी उस पर कुछ काम अनचाहे और आ जाएँ करने को तो बस जिन्दगी ही बेकार ..ऐसे में सुकून के कुछ पल जैसे जीवन अमृत का काम करते हैं ओर उन्हीं को खोजने के लिए इस बार हमने मन बनाया यहीं पास के एक गाँव जाने का .कि देखें भला कैसे होते हैं यहाँ के गाँव मन में तो भारत के गाँव की छबि थी तो सोचा चलो यूरोप के गाँव भी देख लिए जाये .
.लन्दन से करीब २ घंटे की दूरी पर, ऑक्सफोर्ड से ३५ माईल पर है एक इलाका जिसे कहते हैं “कोट्स वोल्ड” किसी मित्र से तारीफ सुन रखी थी ,और फिर यहाँ तो गाँव भी एक टूरिस्ट अट्रेक्शन ही हुआ करता है . वीकेंड आ चुका था तो बस एक नजर मौसम के अनुमान पर डाली और और चल पड़े हम. वैसे भी लन्दन में इस (जून -जुलाई )समय बहुत ही सुहाना मौसम होता है और उस दिन तो जैसे परफेक्ट “इंग्लिश समर” था २६ डिग्री तापमान और कार की आधी खुली छत से आती ठंडी हवा उस पर सड़कों के किनारे जहाँ तक नजर जाये वहां तक फैले घास के मैदान ,मुझे एक बात जो हमेशा अचंभित करती है वो ये, कि इतने बड़े बड़े घास के मैदान ये लोग मेन्टेन कैसे करते हैं?एकदम सलीके से कटी घास और करीने से लगे खूबसूरत वन वृक्ष. बच्चों की चिल्ल – पों के बीच भी हम अपनी आँखों को पूरा बिटामिन G ( ग्रीन :)) दे रहे थे.
चार लाइना हाईवे से निकल कर हरे भरे जंगल के बीच से निकलती हुई छोटी- छोटी सड़कों पर चलना बहुत ही आनंददायी लग रहा था
.इस पूरे इलाके में थोड़ी थोड़ी दूरी पर ढेर सारे ऐतिहासिक गाँव हैं,जिन्हें बहुत ही संग्रहित करके अब तक रखा गया है. और इन्हीं में से एक है “ब्रौटन ऑन द वाटर” जिसे अपने “विंडरश नदी” पर बने ६ खूबसूरत पुलों के कारण कोट्स वोल्ड का वेनिस कहा जाता है .ये नदी बहुत ही खूबसूरती से गाँव के बीच से बहती हुई निकलती है ओर इसके ही एक किनारे पर बनी हुई है गाँव की हाई स्ट्रीट ( UK के हर इलाके में खरीदारी करने के लिए एक ख़ास स्ट्रीट ) खरीददारी के शौक़ीन लोगों का स्वर्ग.जहाँ बहुत ही नायब और खूबसूरत गिफ्ट्स और सुविनियर की छोटी छोटी दुकाने हैं ओर ढेर सारे खाने पीने के कैफे. पर हाँ अगर आप किसी मैकडॉनाल्ड या पिज्जा हट की तलाश में हैं तो भूल जाइये क्योंकि यहाँ इस तरह का कुछ भी नजर नहीं आएगा यहाँ आये हैं तो पारंपरिक अंग्रेजी खाना ही मिलेगा ,या फिर अपना खाना घर से लाइए और नदी किनारे बैठ कर पिकनिक मनाइए ..परन्तु हम जैसे नालायक तो घूमने जाये ही क्यों अगर घर से ही खाना बना कर ले जाना हो, तो हमने तो वहीँ एक खूबसूरत से कैफे में फिश -एन- चिप्स का मजा लिया और फिर बाद में आइसक्रीम भी खाई.
.वैसे यह खूबसूरत गाँव परिवार और दोस्तों के साथ डे आउटिंग के लिए एकदम परफेक्ट जगह है जहाँ हर उम्र के लोगों के लिए कुछ ना कुछ करने को है …चाहे तो जंगल के बीच लम्बी सैर कीजिये , या आराम से नदी किनारे बैठकर बतखें देखिये और आइसक्रीम का मजा लीजिये ,चाहे तो यहाँ की खूबसूरत दुकानों में शॉपिंग कीजिये या बच्चों को यहाँ का मॉडल गाँव ,मोटरिंग एक्जीबिशन में खिलौनों का संग्रह दिखाइए या फिर मॉडल रेलवे एग्जीबिशन .
.
पर हमें जो सबसे अच्छा लगा,वो था यहाँ का खुला खुला, शांत, पुरसुकून वातावरण,शहरों के खोखले मकानों की जगह खूबसूरत पुराने पत्थर के बने घर और सबसे अहम् बात बिना झंझट की फ्री पार्किंग वर्ना यहाँ तो कहीं भी जाओ तो आधी जान तो पार्किंग को लेकर अटकी रहती है कि ना जाने कहाँ मिलेगी और कितना लूटा जायेगा.एक बार तो अपने घर के आगे रोड पर भी कार पार्क करने का फाइन दे चुके हैं हम. कई बार तो लगता है कि ये देश बस इन्हीं जुर्मानों पर चल रहा है शायद 🙂.
खैर जो भी हो हमारा वो दिन बहुत ही खुशगवार बीता और सारी थकान उतारकर हम फिर से एक शहरी जीवन जीने के लिए तैयार हो गए एक बात और… भारत के और यहाँ के गाँव में बेशक मूल भूत विभिन्नताएं हों पर समानताएं भी दिखीं हमें, और वो थी स्वच्छ ,शांत हवा, सरल जीवन धारा,और संतुष्ट सरल लोग.:) तो अब जब भी जी ऊबा इस शहरी जीवन से फिर से बिता आयेंगे एक दिन हम ऐसे ही किसी गाँव की छाँव में
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
वाह ! कितना सुन्दर है ये गाँव … लगा जैसे शिमला में घूम रहे हों, हालांकि खूबसूरत खेत और हरे मैदान वहाँ नहीं…बल्कि पहाड़ हैं.
सच में भले ही वहाँ के गाँव हमारे देश के गाँवों से अलग दिखते हों, पर सादगी, शान्ति और सुंदरता के साथ ताजा स्वच्छ वातावरण तो हर गाँव में एक जैसा होता है और शहरों से उसे अलग करता है.
तस्वीरें तो पहले ही देख चुका था..लेकिन यहाँ संस्मरण पढ़कर आपके लेखन के उत्तरोतर विकास को जाना.बेहद सादगी से कही गयी बात..और सफरनामे में रोमांच न हो तो फिर गाँव कैसा..
शहरोज़
अच्छा लगा गाँव की यात्रा करके. बहुत खूबसूरत गाँव है.
आभार आपका. हम भी अपने गाँव जा रहे है.
अंग्रेजी उपन्यासों में गाँव के विवरण पढ़ कर लगता था…ऐसे होते हैं वहाँ के गाँव??….अब तुम्हारे आँखों देखे हाल ने बताया ,हाँ बिलकुल वैसे ही होते हैं वहाँ के गाँव…पर गाँव की गोरी तो हमारी हिन्दुस्तानी है 🙂 🙂
बहुत ही रोचकता से वर्णन किया है और हमें पूरा गाँव दिखा दिया…इतनी हरियाली और पुराने ढंग के घर देख कर तो आँखें तृप्त हो गयीं…और घास पर बिछी चादरें ,ऐसा लग रहा है…..किसी छोटी कॉलोनी में लोगों ने धूप सेंकने को बिछाई हैं.
बहुत ही सुन्दर तस्वीरों के साथ मनमोहक विवरण
बहुत ही रोचक और जानकारी भरा आलेख….
तसवीरें भी सुन्दर लगीं….
बहुत सुन्दर….
are waah bada sundar gaanv hai…
achchhi jankari
evam chitra bhi sundar
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
बहुत सुन्दर गांव और उतना ही खूबसूरती से लिखा गया….फोटो बहुत अच्छे लगे….वैसे कहीं से गांव नहीं दिखाई दे रहा…तुम कह रही हो तो मान लेते हैं की गांव ही होगा….चलो तुम्हारे शब्दों के साथ हमने भी घूम लिया तुम्हारा गांव…
अच्छी प्रस्तुति
संगीता जी सही कह रही हैं ………………।वैसे रोचक चित्रण्।
@ संगीता दी ,वंदना ! अरे भाई गाँव ही है ..नाम डाल कर नेट पर सर्च कर लो हा हा हा .
very nice and pleasant atmosphere.
"ले तो आये हो हमें सपनों के गाँव मैं,
प्यार कि छाँव मैं बिठाये रखना,
तुमने छुआ तो तार बज उठे मन के,
तुम जैसा चाहो रहे वैसा ही बनके,
तुम से शुरू तुम्ही पे खत्म करके,
दूजा ना आये कोई नयनों के गाँव मैं,
छोटा सा घर हो अपना प्यारा सा जग हो,
कोई किसी से पल भर ना अलग हो,
इसके सिवा अब दूजी कोई चाह नहीं,
हँसते रहे हम दोनों पलकों के गाँव मैं, "
दिओसा,
आपके गाँव कि सैर देखकर, हमें रविन्द्र जैन जी का लिखा और संगीतबद्ध किया, फिल्म दुल्हन वही जो पिया मन भाए का, यह गीत हमें बरबस ही याद आ गया, हेमलता जी आवाज़ मैं यह गीत अपने पूरे जादू के साथ मोजूद होता है, बिलकुल वही जादू आपकी इस गाँव कि सैर ने जगा दिया, एक और बेहतरीन संस्मरण के लिए हम आपके हिर्दय से आभारी हैं.
videshi ganv me bhi desi ganv ki khushbu .aannd a gya apke sath ganv ghoomkar .
वैसे आप कहती हो तो हम भी मान जाते है की वो गाँव है, क्योकि मै कल ही अपने गाँव से लौटा हूँ. भले ही कई साल बाद गया था. लेकिन वहां की आबोहवा एवं सरल व्यवहार लोगों के बीच रहकर स्फूर्ति का अहसास होता है .थोड़े दिनों पहले मै sweden के एक गाँव में गया था कुछ घंटो के लिए. और वहा की हरियाली देखकर मुझे रस्क हुआ था. काश मेरे गाँव के भी सारे पेड़ पौधे काट नहीं दिए गए होते.. वैसे यूरोप के countryside और हिंदुस्तान के गाँव दोनों में एक सामानता तो है वो है फ्री पार्किंग
कभी अगाथा क्रिस्टी के एक मर्डर मिस्ट्री में लन्दन के पास के गाँव का जिक्र हुआ था -आज वह अनुभूति ताजी हो आयी !
This comment has been removed by the author.
chalo kalpnaao me aapki rachna padhte padhte ham bhi videshi gaavo me ghoom aaye aur vitamin G ki bharmaar to bahut acchhi lagi.
sunder lekhan
KYA BAAT HAI!
YUN TO MUJHE PATA THA KE ENGLAND KE BHIKHARI BHI ANGREZEE MEIN B=HEEKH MAANGTE HAI(HA HA HA)….
LEKIN GAANV BHI SHEHER VARGE HONGE, YE MAINU NI PATA SI!
AABHAAR KE AAPNE YAATRA KARA DI…
EK KHUSHNUMA PARIVAAR DEKH KE ACHHA LAGA….
BADHAI!
शिखा जी , स्वच्छ हवा तो यहाँ भी मिल जाती है गाँव में । लेकिन जितनी सफाई और हरियाली वहां होती है , यहाँ कहीं नहीं मिलेगी ।
टोरोंटो के पास बोब्केजिओन नाम के गाँव में जाने का अवसर मिला ।
कभी भूल नहीं सकते उस गाँव को ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
आपकी पोस्ट में तो बहुत ही बढ़िया नजारे हैं!
सुन्दर और मनभावन पोस्ट ही कहूँगा मैं तो इसे!
are wah sikha ji aapne to hume bhaarat main baithe-baithe london ke gaon ki sair kara di. khule hare-bhare maidaan ne man moh liya.
aapka bahut-bahut dhanyavaad.
kabhi phir aap saher ki jindagi se ub jaaye to phir ek baar hume kisi aise hi khubshurat,dilkash nazaaro ki sair jaroor karvaye.
गाँव के नज़ारे बहुत अच्छे लगे…. ऐसे गाँव हमने सिर्फ ब्लॉग में ही देखे…. वैसे गाँव से अच्छी हमें तो बच्चों की बड़ी बहन लगी….
अच्छी जानकारी।
आपकी पोस्ट में तो बहुत ही बढ़िया नजारे हैं!
shikha didi अच्छा लगा गाँव की यात्रा करके
गोरी तेरा गाव बडा प्यारा
हमको लगा न्यारा
ऐसी जगहो को तो शिखा जी यहा पर्यटन स्थल कहते है. हमकू ऊ गाव मे चपरासी बनवा दो
गाँव वालों.. कान खोल कर सुन लो… मैं भी आ रहा हूँ.. जल्दी ही… 🙂
pasand aaya aapka ghuma hua gaon….
हरियाली से सजे इतने सुन्दर गाँव …हम भी हरियाये …
मगर भीड़ भाड़ तो यहाँ भी नजर आ रही है..
सुन्दर तस्वीरें और भारतीय बच्चे …हा हा ..माँ भी कम नहीं ….
बहुत रोचक वर्णन …अच्छा लगा
बहुत सुंदर गाँव है।
आभार
ब्लाग4 वार्ता प्रिंट मीडिया पर प्रति सोमवार
…पर गाँव की गोरी तो हमारी हिन्दुस्तानी है 🙂 🙂
smiles !
चलिए, आपके साथ साथ यूरोपियन गांव हमने भी घूम लिया. मजा आया.
वैसे तो जहाँ बेटा है-यॉर्क- वो भी आपसे २ घंटे पर ही है और ऐतिहासिक गांवनुमा शहर ही है. 🙂
शिखा जी आपका कोट्स वोल्ड गांव बड़ा प्यारा,
मैं तो गया हारा, आके यहां रे…
जय हिंद…
सुंदर सचित्र वर्णन दिल जीत लिया गाँव तो बहुत देखे पर यह अद्भुत..सुंदर प्रस्तुति…शिखा जी
sansmaran to manmohak hai hi, sabse pyaare bachche…inko mera aashish
हमें तो यह किसी रिसार्ट जैसा ही लग रहा है। आप ने वहां विटामिन जी देखा, हमारे यहां भी बहुतायत में है ये जी, बस आपके वहां ग्रीनरी है, यहां इसका मतलब गन्दगी हो जाता है।
तस्वीरें बहुत खूबसूरत हैं।
…. गांव से बेहतर उसका शाब्दिक चित्रण लगा। धन्यवाद!
बहुत सुन्दर और रोचक विवरण है। सच कहूँ तो मुझे अमेरिका के गाँव भी कहीं से गाँव नही लगे सिवा इसके कि वहाँ बडे बडे खेत हैं। सुविधा शह्रों की तरह है मगर हमे तो वहाँ तक पहुंचने मे शायद 100 साल और लग जायें। कई गाँव तो केवल दो चार घरों का होता है मगर उसमे भी बिजली पानी तथा बाकी सुविधायें शहरों की तरह होती हैं। प्रकृ्ति की छठा देख कर वही बस जाने का मन होता है। चलो आपने लंसन भी घुमा दिया । धन्यवाद
thanks for giving knowledge with tour.
o teri kya solid gaon…vitamin G to jaise sari dunia ka waheen hai .. mast …soch raha hun ek adha khet le lun is gaon me… 🙂 kya khayaal hai di .. 😛
achche sansmaran,
maja aaya
sundar tasveeren…
पिछले हफ्ते देशी गाँव घूमने का सुअवसर मिला था और अब आपके इस खूबसूरत पोस्ट के माध्यम से विदेशी गाँव भी घूम लिया…
बड़ा अच्छा लगा…आभार…सुन्दर सुकून देती पोस्ट…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । अच्छा लगा गाँव की यात्रा करके….वैसे आप कहती हो तो हम भी मान जाते है की वो गाँव है,वैसे है गांवनुमा शहर ही !
गाँव का चित्रण भी अच्छा और दर्शन भी घर बैठे विदेश यात्रा। ………आभार्।
अच्छा लगा गाँव की यात्रा करके. बहुत खूबसूरत गाँव है.
गांव कहीं का भी हो इतना ही सुंदर होता है
शिखा जी, मेरे १-२ मित्र हैं जो लन्दन में रहते हैं..उनसे इस जगह के बारे में शायद सुन रखा है मैंने..
वैसे ऐसी जगह जाने का मेरा कितना दिल है ये बता नहीं सकता…और ऊपर से वहां बैठे आइस-क्रीम और चिप्स खाना…वाह 🙂
और तसवीरें तो इतनी प्यारी है की क्या कहूँ 🙂
गाँव की यात्रा रोचक लगी …तस्वीरें भी मनभावन हैं ।
दी -अंग्रेजों का गाँव ..आपकी चित्रमयी रिपोर्ट पढ़ कर मुझे दो फायदे हुए है -एक – कि वाकई में प्रबन्धन क्या होता है अगर सरकार और रहवासी ठान ले .-२- कि आप न सिर्फ एक अच्छी लेखिका है बल्की आप आला (अव्वल )दर्जे की बहुमुखी जागरूक पत्रकार भी है वो भी अंतर -राष्ट्रीय स्तर की आप एक आदर्श पत्नी ,माँ बहिन तो है ही साथ ही आप बहुत पारखी और दूर -दृष्टा भी है ..अब बात गाँव की -दी आपने फोटो के साथ वंहा का तापमान और शहर से उसकी दूरी .फिर फोटो की श्रृंखला सहित वंहा का जो ब्यौरा दिया हें वो खोजी पत्रकारिता का हिस्सा है ..मेरे हिसाब से वंहा की ब्रितानिया सरकार को आपका सम्मान करना चाहिए ..आपको पढना मतलब आलेख को फिल्म के समान जीवंत होते देखना है ..दी वंहा के जो गाँव हें हमारे यंहा तो ऐसे राष्ट्रीय स्तर के जो पर्यटन स्थान है वो भी प्रबन्धन के मामले में ऐसे नही है ..आपको बहुत बहुत बधाई दी .आपने अंगेजो के गाँव को हमे फ्री में घुमा कर हमारा दिल गार्डन गार्डन कर दिया ..आपको जीजू को और भांजे भांजियो को मेरा यथावत अभिवादन स्नेह ..आप लिखते रहे और हम आपको पढ़ते रहे यही शुभ कामनाओं के साथ विदा -आपका अनुज -प्रदीप कुमार दीप
दी -अंग्रेजों का गाँव ..आपकी चित्रमयी रिपोर्ट पढ़ कर मुझे दो फायदे हुए है -एक – कि वाकई में प्रबन्धन क्या होता है अगर सरकार और रहवासी ठान ले .-२- कि आप न सिर्फ एक अच्छी लेखिका है बल्की आप आला (अव्वल )दर्जे की बहुमुखी जागरूक पत्रकार भी है वो भी अंतर -राष्ट्रीय स्तर की आप एक आदर्श पत्नी ,माँ बहिन तो है ही साथ ही आप बहुत पारखी और दूर -दृष्टा भी है ..अब बात गाँव की -दी आपने फोटो के साथ वंहा का तापमान और शहर से उसकी दूरी .फिर फोटो की श्रृंखला सहित वंहा का जो ब्यौरा दिया हें वो खोजी पत्रकारिता का हिस्सा है ..मेरे हिसाब से वंहा की ब्रितानिया सरकार को आपका सम्मान करना चाहिए ..आपको पढना मतलब आलेख को फिल्म के समान जीवंत होते देखना है ..दी वंहा के जो गाँव हें हमारे यंहा तो ऐसे राष्ट्रीय स्तर के जो पर्यटन स्थान है वो भी प्रबन्धन के मामले में ऐसे नही है ..आपको बहुत बहुत बधाई दी .आपने अंगेजो के गाँव को हमे फ्री में घुमा कर हमारा दिल गार्डन गार्डन कर दिया ..आपको जीजू को और भांजे भांजियो को मेरा यथावत अभिवादन स्नेह ..आप लिखते रहे और हम आपको पढ़ते रहे यही शुभ कामनाओं के साथ विदा -आपका अनुज -प्रदीप कुमार दीप
दी -अंग्रेजों का गाँव ..आपकी चित्रमयी रिपोर्ट पढ़ कर मुझे दो फायदे हुए है -एक – कि वाकई में प्रबन्धन क्या होता है अगर सरकार और रहवासी ठान ले .-२- कि आप न सिर्फ एक अच्छी लेखिका है बल्की आप आला (अव्वल )दर्जे की बहुमुखी जागरूक पत्रकार भी है वो भी अंतर -राष्ट्रीय स्तर की आप एक आदर्श पत्नी ,माँ बहिन तो है ही साथ ही आप बहुत पारखी और दूर -दृष्टा भी है ..अब बात गाँव की -दी आपने फोटो के साथ वंहा का तापमान और शहर से उसकी दूरी .फिर फोटो की श्रृंखला सहित वंहा का जो ब्यौरा दिया हें वो खोजी पत्रकारिता का हिस्सा है ..मेरे हिसाब से वंहा की ब्रितानिया सरकार को आपका सम्मान करना चाहिए ..आपको पढना मतलब आलेख को फिल्म के समान जीवंत होते देखना है ..दी वंहा के जो गाँव हें हमारे यंहा तो ऐसे राष्ट्रीय स्तर के जो पर्यटन स्थान है वो भी प्रबन्धन के मामले में ऐसे नही है ..आपको बहुत बहुत बधाई दी .आपने अंगेजो के गाँव को हमे फ्री में घुमा कर हमारा दिल गार्डन गार्डन कर दिया ..आपको जीजू को और भांजे भांजियो को मेरा यथावत अभिवादन स्नेह ..आप लिखते रहे और हम आपको पढ़ते रहे यही शुभ कामनाओं के साथ विदा -आपका अनुज -प्रदीप कुमार दीप
वाह .. वहाँ तो गाँव भी इतने सॉफ सुंदर और नेसेर्गिक सौंदर्य लिए हुवे हैं की बरबस मन को खैंच लें ….
आपकी गाँव यात्रा का व्रतांत और लाजवाब चित्रों ने भी विटामिन जी दे दी हमें ….
बहुत सुन्दर….
विटामिन G का चित्र बेहद खूबसूरत है.
शाय्द यह गांव बेंट इट लाईक बेकहम में दिखाय गय थ.
मेरे बहन का लडक यहीं पास में रहता है, और मेरी बहन भी वहीं गयी हुई है. तो उससे कहूंगा.
बॉम्बे में रहते हुए, गावों के बारे में पढ़ना अपनी खोयी हुई roots से मिलने जैसा होता है… शेक्सपीयर भी उन्ही गावों में पले बढे थे और वूडी उन्ही गावों में लोगों को जागरूक करने के लिये प्रोटेस्ट सोंग्स गाते थे… अच्छा लगा आपकी लेखनी से उस गाँव को देखना…
स्वच्छ ,शांत हवा, सरल जीवन धारा,और संतुष्ट सरल लोग
Aur bhala kya chaiye!
बहुत ही सुन्दर तस्वीरों के साथ मनमोहक विवरण अच्छा है ये यात्रा संस्मरण
क्या जीवन था….
जब चलती चक्की घोर घोर, सब बोले हो गयी भोर भोर
फिर चून पीस कर चार किलो, गिड़गम पर रखा दूध बिलो
नेती से जब जब रई चली फिर छाछ बटी यूं गली गली
यूं बांट बांट कर स्वाद लिया, बचपन को हमने खूब जिया
क्या जीवन था वो ता…ता…धिन
मैं ढूंढ़ रहा हूं वो पल छिन
जीवन जीने के झगड़े में नंगे पांवों दगड़े में
चलते चलते रेतों में पहुंच गये हम खेतों में
फिर एक भरोटा चारा ले ज्वार बाजरा सारा ले
सूखा सूखा छांट दिया लिया गंडासा काट दिया
गाय भैंस की सानी में यूं बीत गया फिर सारा दिन
मैं ढूंढ़ रहा हूं वो पल छिन
सांझ घिरी जब धुएं से, फिर आयी पड़ोसन कुएं से
लीप पोत कर चूल्हे को ज्यों सजा रहे हों दूल्हे को
फिर झींना उसमें लगवाया, फोड़ अंगारी सुलगाया
जब लगी फूंकनी आग जली, यूं चूल्हे चूल्हे आग चली
कितने चूल्हे जले गांव में दर्द भरा है ये मत गिन
मैं ढूंढ़ रहा हूं वो पल छिन
…………………………….
स्पंदन पर आपकी पोस्ट एक दिन गांव में पढ़कर अपने गांव की याद आ गयी। हो सकता है ये कविता आपको पसंद आए।
शिखा ,
तुम्हारी ताजी पोस्ट तो पढ़ने का मौका नहीं निकल पायी लेकिन ये तुम्हारी गाँव की यात्रा वाकई बहुत अच्छी लगी , ये तो हमारे किसी हिल स्टेशन से काम नहीं लग रहे हैं. वैसे सचित्र वर्णन हमें बहुत सारी चीजों से अवगत करा देता है. तुम वहाँ हो ही इस लिए कि वहाँ बैठ कर हमें वहाँ कि सैर करती रहो.
जिस दिन कल्पना से निकल
ये मन
जीवन के धरातल पर आएगा
उस दिन मैडम तुसाद में एक बुत
इस नाचीज़ का भी लग जायेगा.
ghazab kar diya aapne, jitanee khubsoorat lekhani hai utana hee khubsoorat blog bhee. v indian r proud of people like you. pls do write more and more. got any time pls visit my blog http://www.mainratnakar.blogspot.com
सरसों और गेहूँ के खेत, हल चलाते किसान, या अपने "उनके" लिये कलेवा लेकर खेत की मेड़ से होकर जाती हुयी जट्टणीनुमा कोई लन्दणी अंगरेजन के फ़ोटो तो आपने डाले ही नहीं।
आज भारत के गाँवों की तस्वीर बदल चुकी है तरक्की तो हो रही है पर साथ ही यातायात जाम, प्रदूषण, सडकों पर गन्दगी, आदि समस्यायें भी विकराल रूप धारण कर चुकी है ।
It’s a shame you don’t have a donate button! I’d certainly donate to this outstanding blog! I guess for now i’ll settle for book-marking and adding your RSS feed to my Google account. I look forward to brand new updates and will share this site with my Facebook group. Talk soon!
You got a very good website, Gladiolus I found it through yahoo.
Say, you got a nice blog article.Really looking forward to read more.
Great blog article. Cool.
Appreciate you sharing, great blog post.Thanks Again. Great.
“Thanks for sharing, this is a fantastic blog post.Much thanks again. Much obliged.”
Great, thanks for sharing this blog article.Thanks Again. Will read on…
Thanks for the blog article.Really thank you!
Awesome article.Much thanks again.
I really liked your blog.Really thank you! Fantastic.
Major thanks for the article.Much thanks again.
Major thankies for the blog post.Really thank you!
Im thankful for the article post.Much thanks again. Great.