काश तुम -तुम ना होते,
काश हम – हम ना होते.
जब ये ठंडी हवा ,
गालों को छूकर
बालों को उड़ा जाती,
जब मुलायम ओस पर
सुनहरी धूप पड़ जाती
काश उस गीली ओस पर
तब हम,
तुम्हारा हाथ थामे चल पाते.
जब कोई अश्क चुपके से,
इन आँखों से लुढ़कने लगता,
ये दिल किसी की याद में
चुपके से सुबकने लगता,
काश तब तुम्हारे मज़बूत कंधों पर,
हम सर रखकर रो पाते.
चलते चलते अचानक,
ये पाओं किसी काँटे पर पड़ जाते,
दिल के कुछ घाव यूँ फिर
ख़ून बन रिस जाते,
काश तब तुम अपने होटों से छूकर
वो दर्द मेरा मिटा जाते.
जब ये झिलमीलाते तारे अपने,
चाँद से मिलने आ जाते,
ओर ये चाँद अपनी रात के
आगोश में समा जाता,
तब तुम होले से मेरे कान मैं,
शॅब्बा-खेर गुनगुना जाते.
काश हम- हम ना होते,
तुम-तुम ना होते……..
काश हम – हम ना होते.
जब ये ठंडी हवा ,
गालों को छूकर
बालों को उड़ा जाती,
जब मुलायम ओस पर
सुनहरी धूप पड़ जाती
काश उस गीली ओस पर
तब हम,
तुम्हारा हाथ थामे चल पाते.
जब कोई अश्क चुपके से,
इन आँखों से लुढ़कने लगता,
ये दिल किसी की याद में
चुपके से सुबकने लगता,
काश तब तुम्हारे मज़बूत कंधों पर,
हम सर रखकर रो पाते.
चलते चलते अचानक,
ये पाओं किसी काँटे पर पड़ जाते,
दिल के कुछ घाव यूँ फिर
ख़ून बन रिस जाते,
काश तब तुम अपने होटों से छूकर
वो दर्द मेरा मिटा जाते.
जब ये झिलमीलाते तारे अपने,
चाँद से मिलने आ जाते,
ओर ये चाँद अपनी रात के
आगोश में समा जाता,
तब तुम होले से मेरे कान मैं,
शॅब्बा-खेर गुनगुना जाते.
काश हम- हम ना होते,
तुम-तुम ना होते……..
मानवीय भावनाओं की काफी अच्छी जानकारी है आपको, आपकी कवितायें पढ़ कर अच्छा लगा……मैन अभी हिंदी ब्लॉग में नया हूँ….आपकी कवितायें पढ़ कर बहुत अच्छा लगा,
ये दिल किसी की याद में चुपके से सुबकने लगता, काश तब तुम्हारे मज़बूत कंधों पर, हम सर रखकर रो पाते.
रोचक तमन्ना है। याद किसी की, कंधा किसी का, सुबकना किसी का। बहुत खूब!
Well I really liked studying it. This tip offered by you is very useful for accurate planning.