कहने को तो ये भीड़ है सड़कों पर कदम मिलते लोगों का रेला भर पर इसी मैं छिपी है संपूर्ण जिंदगी किसी के लिए चलती तो किसी के लिए थमती किसी के लिए आगाज़ भर तो किसी को अंजाम तक पहुँचाती इस रेले मैं आज़ किसी के पेरो को लग गये हैं पंख कि नौकरी का आज़ पहला दिन है…
मैं तो हरदम तेरे संग ही रहूंगी कभी उतर कर तेरे ख़यालों में बन कविता तेरे शब्दों में उकरूँगी या फिर बन स्याही तेरी कलम की तेरे कोरे काग़ज़ पर बिखरुंगी यूँ ही हरदम तेरे संग रहूंगी हो शामिल सूर्यकिरण में कभी बन आभा तेरे चेहरे पर उभरूँगी थक कर सुसताने बैठेगा जब तू बन पवन तेरे बालों में फिरूंगी जेसे भी हो बस तेरे…
दुनिया का एक सर्वोच्च गणराज्य है उसके हम आजाद बाशिंदे हैं पर क्या वाकई हम आजाद हैं? रीति रिवाजों के नाम पर कुरीतियों को ढोते हैं , धर्म ,आस्था की आड़ में साम्प्रदायिकता के बीज बोते हैं। कभी तोड़ते हैं मंदिर मस्जिद कभी जातिवाद पर दंगे करते हैं। क्योंकि हम आजाद हैं…. कन्या के पैदा होने पर जहाँ माँ का…







