होरी खेलन चल दिए श्री मुसद्दी लाल कुर्ता धोती श्वेत चका चक, भर जेब में अबीर गुलाल. दबाये मूँह में पान, कि आज़ नही छोड़ेंगे संतो भौजी को तो, आज़ रंग के ही लौटेंगे. और फिर भोली छवि भौजी की, अंखियन में भर आई बिन गुलाल लाल भए गाल, होटन पे मुस्की सी छाई. आने लगी याद लड़कपन की वो…
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मैं तो हरदम तेरे संग ही रहूंगी कभी उतर कर तेरे ख़यालों में बन कविता तेरे शब्दों में उकरूँगी या फिर बन स्याही तेरी कलम की तेरे कोरे काग़ज़ पर बिखरुंगी यूँ ही हरदम तेरे संग रहूंगी हो शामिल सूर्यकिरण में कभी बन आभा तेरे चेहरे पर उभरूँगी थक कर सुसताने बैठेगा जब तू बन पवन तेरे बालों में फिरूंगी जेसे भी हो बस तेरे…
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दुनिया का एक सर्वोच्च गणराज्य है उसके हम आजाद बाशिंदे हैं पर क्या वाकई हम आजाद हैं? रीति रिवाजों के नाम पर कुरीतियों को ढोते हैं , धर्म ,आस्था की आड़ में साम्प्रदायिकता के बीज बोते हैं। कभी तोड़ते हैं मंदिर मस्जिद कभी जातिवाद पर दंगे करते हैं। क्योंकि हम आजाद हैं…. कन्या के पैदा होने पर जहाँ माँ का…