एक नौनिहाल माँ का एक खिड़की से झाँक रहा था साथ थाल में पड़ी थी रोटी चाँद अस्मां का मांग रहा था माँ ले कर एक कौर रोटी का उसकी मिन्नत करती थी लाके देंगे पापा शाम को उससे वादा करती थी पास खड़ा एक मासूम सा बच्चा उसको जाने कब से निहार रहा था. हैरान था उनकी बातों पर…








