क्या दे सजा उसको
क्या फटकारे उसे कोई ,
हिमाक़त करने की भी
जिसने इज़ाजत ली है
*********
हमारे दिन रात का हिसाब कोई
जो मांगे तो क्या देंगे अब हम
उसके माथे पे बल हो, तो रात
और फैले होटों पे दिन होता है.
**************
*********
हमारे दिन रात का हिसाब कोई
जो मांगे तो क्या देंगे अब हम
उसके माथे पे बल हो, तो रात
और फैले होटों पे दिन होता है.
**************
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं .
************
************
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
मेरी चाहत का झोंपडा है.
जिसकी छत पर लगाये हैं मैने
अपनी वफ़ा के तिनके
फर्श को जिसके मैंने नेह से लीपा है.
जिसे रोज़ जतन से मैं संवारती हूँ
कहीं तेज़ हवाओं से
तिनका तिनका बिखर न जाये
*************
*************
दिल के दर्द को ज़ज्बातो की लेखनी से लिख दिया हैं आपने …बहुत खूब
बहुत खूबसूरत है
bahut sundar …tinka tinka bikhar n jaaye ..dil ki baat likhi hai aapne bahut pasand aayi yah ..
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं
बढिया है जी 🙂
क्या बात है!
इसको एक रचना कहूं या रचनाएं … स्ब में अंतर्धारा एक-सी है।
बिम्ब का सुंदर तथा सधा हुआ प्रयोग। बिम्ब पारम्परिक नहीं है – सर्वथा नवीन। इस कविता की अलग मुद्रा है, अलग तरह का संगीत। अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी।
वाह सुंदर
सुन्दर एहसास!
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है… ज़बरदस्त
क्या दे सजा उसको
क्या फटकारे उसे कोई ,
हिमाक़त करने की भी
जिसने इज़ाजत ली है
वाह
क्या दे सजा उसको
क्या फटकारे उसे कोई ,
हिमाक़त करने की भी
जिसने इज़ाजत ली है
मुझे शुरू कि यह पंक्तियाँ ज्यादा अच्छी लगीं… :)सुंदर रचना।
बेहतरीन
सादर
हाउ रोमांटिक !
बहुत सुन्दर शिखा जी..
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं .
beautifully expressed….
anu
बहुत सुन्दर लघु कविताएं हैं ! मुहब्बत के रेशमी एहसास को उतने ही नर्म-कोमल स्पर्श से झंकृत करतीं पंक्तियाँ " उसकी पलकों से गिरी बूँद/ ज्यूँ ही मेरी उँगली से छुई / हुआ अहसास / कितने गरम ये जज़्बात होते हैं " अतिशय रूमानी हैं ! दिल के किनारे पड़े बंजर पर वफ़ा के तिनकों से प्यार की झोंपड़ी बनाकर दिन-रात उसके रख-रखाव और साज-संभार में बिता देना ऐसा रोमांटिक ख़याल है जो सहज ही अपने स्वप्नलोक में पाठक का मन रमा लेता है ! सांसारिक झंझावातों में प्रेम को तिनका-तिनका होकर न बिखरने देने का संकल्प प्रेम की एकनिष्ठता का परिचायक फो है ही, बेहद प्यारा भी ! मधुर भावों भरी रचनाओं के लिए अभिनंदन शिखा जी !!
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं
Waaaaah!!!SuperLike 🙂 🙂
bahut sundar ,akarshak.
सुन्दर.
बहुत सुंदर मन के भाव …
@तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है…
बहुत खूब …
vaah…….bahut sundar
हम सोच रहे है हम क्यों नहीं लिख पाते ऐसा . भाव प्रवणता और शब्दों का अनुपम संगम
शब्दों और भाव को भी उतने ही जतन से संवारा है आपने जितने जतन से संवरा है ये छोटा सा झोपड़ा… बहुत खूबसूरत रचना
एक खूबसूरत सी झोपड़ी , मोहब्बत की | वाह | बहुत सुन्दर |
यह तिनके संभाल कर रखिएगा …
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है कहानी सिक्कों की – ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
दिल को छू गए ये जज्बात…
बहुत सुंदर शब्दों में ढले गहरे अहसास ….
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
वाह
क्या दे सजा उसको
क्या फटकारे उसे कोई ,
हिमाक़त करने की भी
जिसने इज़ाजत ली है
जो इजाज़त ले कर
करे हिमाकत तो सच ही उसे क्या सज़ा दी जाये …
**************************
हमारे दिन रात का हिसाब कोई
जो मांगे तो क्या देंगे अब हम
उसके माथे पे बल हो, तो रात
और फैले होटों पे दिन होता है.
दुआ करेंगे कि उनके होठ हर समय मुस्कुराने कि मुद्रा में रहें तो दिन ही दिन रहेगा ज़िंदगी में ।
**********************
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं .
उफ़्फ़ ,
उंगली पर पड़ गया होगा छाला
भला इतने गरम जज़्बातों की ज़रूरत क्या थी ?
************************
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
जिसकी छत पर लगाये हैं मैने
अपनी बफा के तिनके
फर्श को जिसके मैंने नेह से लीपा है.
जिसे रोज़ जतन से मैं संवारती हूँ
कहीं तेज़ हवाओं से
तिनका तिनका बिखर न जाये
नेह से लीप कर जो जतन से संवारा तिनका तिनका …..
किस आँधी की मजाल है जो इस झोंपड़े की सूरत बिगाड़ दे
अरे वाह वाह दी !!! क्या बात है ..सार्थक हो गईं मेरी क्षणिकाएं 🙂
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
– बहुत सुन्दर बिंब -अमूर्त हो कर पूरी तरह व्यंजित !
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति.
हर तिनके को सहारा देना है, हर तिनके से सहारा देना है..
वाह बने रहे ये जतन से सहेजे अहसास चिरन्तन काल तक -संवेदना के जीन आपके चिरकालिक हैं और ऐसी रचनाएं हमें देते रहेगें!
कितने गर्म जज्बात होते है. ओह. बहुत करीब से लिखी गई कविता.. सादर
गहन अनुभूति…! 🙂
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
जिसकी छत पर लगाये हैं मैने
अपनी वफ़ा के तिनके
फर्श को जिसके मैंने नेह से लीपा है.
जिसे रोज़ जतन से मैं संवारती हूँ
कहीं तेज़ हवाओं से
तिनका तिनका बिखर न जाये
*************bahut sundar kshanika hai
बहुत ही प्यारे प्यारे तिनके हैं… सभी तिनकों को सहेज कर ले जा रहा हूँ… इधर उधर शेयर करता रहूँगा… परमिशन तो ग्रांट हो ही जाएगी… है न…..
शुक्रिया ज़िन्दगी…..
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है…
बहुत खूब … इसे चाहत का महल कहना चाहिए …. जहां प्रेम या चाहर रहती है वो झोंपडा नहीं महल होता है … और इसके हर तिनके को सहेजना जरूरी है प्रेम की नमी से … सभी लम्हे लाजवाब …
हाँ जी बिलकुल 🙂
@तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
खाली बंजर जगह सरकारी नजूल की है और अभी बरसात में झोंपड़ियों पर बुल्डोजर चल रहे हैं। :)))
ab ham bhi bas sangeeta di ki baaton ko ditto kar ke udd lete hain… ab is se behtar comment to ho nahi sakta:))
Vani Sharma
10:46 AM (14 minutes ago)
to me
ब्लॉग पर पोस्ट नहीं हो रहा …
हिमाकत करने की भी जिसने इज़ाज़त ली है …चतुर प्राणी !
दिन और रात सब कुर्बान… यही तो सब है
खाली बंजर जमीन, चाहत का झोपड़ा !! चाहत हो तो झोपड़ियाँ भी महल लगती हैं !
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा है.
वाह! बहुत खूब… इस लाइन में तो मज़ा आ गया.. हर क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं… बहुत सुंदर लिख कर कोई फायदा भी नहीं है…. सुंदर लोग तो सुंदर लिखते ही हैं…
"वफ़ा के तिनके" खूबसूरत
आपकी कविता ने पुरानी पढ़ी हिंदी ग़ज़ल की याद दिला दी
बाढ़ की सम्भावनाये, किनारे घर बने है
साभार -दुष्यंत कुमार
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं … क्या बात है … बहुत खूब
बहुत खूबसूरत अहसास
तिनके ही तिनके …..!
तिनके: वफ़ा के थे उसमें नेह लीप कर लोगों ने चाहत का झोपड़ा बना लिया।
aap ko ped ker youn lega
bhiga hai bersaat me ,ya bhige hain nain..
tum sub kuch ho janti, khus hai ya bechain..
वैसी चाहत का झोंपड़ा अगर कहीं किसे मिल जाए
तो सिमेंट-कोंक्रिट-लोहे के महल की क्या बिसात…
भावनाओं की सच्चाईयों में स्नेह की भी सच्चाई है…
आखिरी दस पंक्तिया सुंदर… बढिया
kya kahun bahann banjar jani pr jhopdi bahut hi sunder bhav
garm jajbad bahut sunder upa ke sath sabhi bahut sunder hai
badhai
rachana
गहरे तक पैठ करने वाली रचना। बधाई।
तेरे दिल के पास जो
खाली, बंजर जगह पड़ी है
देख वहीँ किनारे पर
मेरी चाहत का झोंपडा बन गया है…..
बहुत अच्छी पंक्तियाँ परंतु आपकी चाहत के झोंपड़े के बाद वो जगह अब कहाँ बंजर रही???
आपने वहाँ झोंपड़ा बनाकर यह सिद्ध ही कर दिया:
जब मौज़ में आईं वो लहरें कतरे को समंदर कर डाला
ये उनकी रीत निराली है जिसे खाली देखा भर डाला
सारिका मुकेश
उसकी पलकों से गिरी बूंद
ज्यूँ ही मेरी उंगली से छुई
हुआ अहसास
कितने गर्म ये जज़्बात होते हैं .
…कवि भी क्या मजाक करता है!
आँसू छू कर एहसास करता है।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति …
मुझे भी जब कोई गुस्ताखी करनी होती है तो पहले से ही फेवर मांग लेता हूँ….
जिसे रोज़ जतन से मैं संवारती हूँ
कहीं तेज़ हवाओं से
तिनका तिनका बिखर न जाये
ये जतन हम रोज़ करते हैं…. बस तुम्हारे लिए जीते हैं
तुम्हारे लिए ही मरते हैं….
बहुत खूब शिखा जी…. सुन्दर रचना….
सादर
I’m so happy to read this. This is the type of manual that needs to be given and not the accidental misinformation that is at the other blogs. Appreciate your sharing this best doc.