जी हाँ झुलस रहा है लन्दन. यहाँ पारा आज ३२ डिग्री तक पहुँच गया है जो अब तक के साल का का सबसे गरम दिन है .यहाँ के मेट ऑफिस के अनुसार अगले २ दिन तक यही स्थिति रहेगी. .
जहाँ लन्दन के पार्क और समुंद्री तट लोगों से भरे पड़े हैं वहीँ ऑफिस में लोग ब्रेक में सूर्य किरणों का आनंद ले रहे हैं. अस्पतालों में आपातकालीन दुर्घटनाओं के लिए बन्दोबस्त्त किये जा रहे हैं… NHS (नेशनल हेल्थ सर्विस ) ने लोगों को हिदायत दी है कि खुले हुए सूती कपडे पहने ,अपने मुँह और गर्दन पर बराबर ठंडे पानी के छींटे मारते रहे और जहाँ तक हो सके घर के सबसे ठंडे कमरे का प्रयोग करें.(आमतौर पर यहाँ कहीं भी पंखे तक नहीं लगे होते.).
बच्चों के स्कूलों से हिदायतें आ रही हैं कि बच्चों को गर्मी से बचाने वाली टोपी और छाते के साथ भेजा जाये, उन्हें पानी की पर्याप्त बोतले दी जाएँ . स्कूल में खेल के समय बच्चों को बाहर नहीं ले जाया जा रहा.. स्कूल के अन्दर ही रखा जा रहा है .
लन्दन के पार्क शुष्क खतरे का डिब्बा बने हुए हैं और फायर फाइटर घास में आग लगने की आशंका से बचने के लिए तैयारियां कर रहे हैं .
.ब्रिटेन में ८० साल के बाद ये सबसे शुष्क ६ महीने हैं.
हायेड पार्क की हमेशा हरी भरी रहने वाली घास भूरी और निर्जीव सी हो गई है .
सभी समाचार पत्र और समाचार चैनल इसी खबर और गर्मी से बचाव हेतु हिदायतों से अटे पड़े हैं
तो जी ये हाल है लन्दन का दो दिन ३२ डिग्री तापमान होने से …..
और हम यह सोच सोच कर पिघल रहे हैं कि हमारे देशवासियों का वहाँ ४८ डिग्री में क्या हाल होगा..
शिखा वार्ष्णेय
लन्दन से
wpadmin
अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
बहुत बढ़िया जानकारी…यहाँ तो ४५डिग्री से ऊपर पारा रहता है और बेचारे बच्चे स्कूल जाते हैं….बिजली और पानी कि किल्लत साथ में….
ओह्ह !! सच क्या हो रहा है ये..Global. Warming का ऐसा असर. मेरी फ्रेंड कह रही थी,अब बच्चों को ग्रीष्म ऋतु पर निबंध लिखने को कहा जायेगा तो लिखेंगे, इस ऋतु का समय "नवम्बर से फ़रवरी तक होता है." और लन्दन का परिचय देंगे.."यह एक गर्म प्रदेश है" सब कुछ उलट पुलट हो रहा है.
And BTW…एक भारतीय बाला को बिलकुल गर्मी नहीं लग रही. पूरे वस्त्रों में है 🙂
डिओसा,
अगर ये खबर किसी दैनिक समाचार पत्र मैं होती तो कुछ इस तरह होती " अंग्रेजों के देश मैं हिन्दुस्तानी समस्या " या " गोरी धरती पर धूप कि मार" या फिर " इंग्लिश बाबू अब होंगे इंडियन मौसम के शिकार ",
जहाँ एक और पूरा फीफा वर्ल्ड कप सर्दी कि मार से यूरोपियन टीमों के लिए लकी साबित हुआ, वहीँ खुद बरतानवी धरती सूरज कि तपिश मैं झुलस रही है, आपका सवाल भी जायज है भारत मैं कुछेक हिस्सों मैं तापमान कभी कभी ५० पार कर जाता है, और गर्मिओं मैं तो ४५ के आसपास होता ही रहता है,
इस आफत का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग ही है, अगर अब भी हमारे तथकथित विकसित देशों के तारण-हारों को ये समझ मैं नहीं आता तो हम जैसे झेल ही रहे हैं वह भी तैयार रहें,
हमारे 36गढ में तो ठंड के कपड़े बड़ी मुस्किल से निकलते हैं। 11महीने आलमारी में ही धरे रहते हैं।
और 48-49डिग्री में भी काम करना पड़ता है।
कुलर एसी सब जवाब दे देते हैं।
अब सोचना पड़ता है कि अंग्रेजों ने यहां कितनी मुस्किल से राज किया होगा,कितनी गर्मी सही होगी।:)
अगर यहाँ 32 डिग्री रहे तो क्या बात है…………उसे कूल कहते हैं यहाँ और अगर वहाँ के लोग यहाँ आ जायें तो उनका क्या हो?यहाँ ज़िन्दगी उसी रफ़्तार से चलती रहती है……………कितना फ़र्क है।
hahahahaahahahaha
32 is hott, pehle me samjah ki aap kisi 32 yeasr ki ladki ki bat kar rahi he, kyunki pic me to kuch aisa hi tha, lekin bad me pata chala ki ye mnausam ki mar he, kyuni india me 32 means cool, hame to 42+ ki adat he, to samajhne me bhool ho gayi, baise aap lucky he , jo London me rehkar India ka maja le rahe hain, chae wo garmi ki mar hi sahi,….
अरे बाप रे… वेसे हमारे यहां ३७c तक पहुच गया है पारा,ओर यह अभी दो चार दिन तक रहेगा, सच कहा भारत मै तो इस से भी ज्यादा गर्मी है, लेकिन हम भी तो पहले वही रहते थे, अगर हम यहां पंखा चलाये तो जुकाम हो जाता है, इस लिये रात दिन सारी खिडकियां खुली रहती है, ओर हमारा हेरी आज कल चुस्त हो कर पहरे दारी करता है, उसी के सहारे हम ने खिडकिया खोल दी
are baap re……piche khadee ladkiyon ko dekh pata chala …landon jhulas raha hai
३२ डिग्री गर्मी की पोस्ट से हम भी झुलस गये, इतनी तो अभी भी मुंबई में है, हम समझ सकते हैं 🙂
itne mein hi bura haal hai???
fir sochiye agar yahan jaisa temp wahan rahta to kya hota logon ka? 😛
वैसे ,कभी धुप कभी छांव , तो चलता ही रहता है, लेकिन अगर हम इंडिया से तुलना करे तो ३२ डिग्री तो हमारे यहाँ दिसम्बर के महीने में होता है. वो सुना है ना अपने , विषुवत रेखा का वासी जीता है नित हांफ- हांफ कर..वैसे जहा तक ग्रीन गैसों के उत्सर्जन का सवाल है. विकसित देशो में , इंडिया के तुलना में ज्यादा है. अमेरिका ग्रीन गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है , लेकिन वो धरती में सम्मलेन में हमेश इंडिया, चाइना जैसे देशो पर दबाव बनता है अपने यहाँ इन गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए..किसी ना किसी दिन तो ये होना ही है. चित्रों के बारे में मुझ कुछ नहीं कहना है.
Sangeetaji ke tarah mere dimag me bhi yahi vichar aaya…Vidarbh me (Maharashtr ka ek hissa)taapmaan 50 c.taktak darj hua!Farq yah ki,yahan logon ko aadat-si hai,wahan nahin.
Hamare yahan 2 din 40 degree taapmaan tha…kal barish hui parson 35 tha lekin 44-45 ka aabhas ho raha tha..
आपकी इस लन्दन रिपोर्टिंग ने तो हममें गौरव का बोध भर दिया .
वहाँ ३२ डिग्री में अल्लातोबा और यहाँ ४८ डिग्री में लोग छतुरी की
पनाह लिए बिना काम कर रहे हैं .
बहुत बढ़िया जानकारी
अभी तो न जाने क्या क्या देखना बाकी है …
हम तो यहाँ ही भले। मानसून आ जाने के बाद पारा गिरकर ३०-४० के बीच में आ गया है और मौसम ‘सुहाना’ हो गया है। इस समय लन्दन में सीलिंग फैन का धन्धा चोखा चलेगा क्या?
चलो 32 डिग्री को झुलसना मान लेते हैं
@रश्मि ! अरे इंडिया याद आ रहा था न इसलिए 🙂
"सिद्धार्थ जी ! वाकई इस वक्त पंखे दनादन बिक रहे हैं यहाँ.
Sochiye hamaare Dubai ka … paara 48 se 51 digree tal chala jaata hai …
उफ़ इतनी गर्मी और यहाँ भी ..या खुदा रहमत के चंद कतरे भेज दे इन हसीं वादियों में
इए अब्र बरस बरस खूब बरस
कविता सा कुछ :बाज़ार,रिश्ते और हम पढ़ें
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/2010/07/blog-post_10.html
शहरोज़
Shikha ji chaliye..is bahaane hame Londen ki garmi ka bhi pata chal gaya ..saath hi vahan ke log kitne mazboot hain ye baat bhi pata chali'
varna yahna par to 32 digree para hamara kuch bhi nahi bigaad sakta.
vaise jaankaari achhi lagi.
लो मुझे ही लोकल न्यूज सबसे बाद में पता चली.. वैसे यहाँ हमारे यहाँ अभी तक अधिकतम तापमान २४ डिग्री है.. और फिर भी एक देवी जी गश खा के गिर पड़ीं.. लखनऊ के नवाब की दूर की रिश्तेदार हैं शायद.. 🙂
london mai jitnee garmee hai is jhulsaate mausam mai
utnee ham jhelaa karte hai sharad ritu ke mausam mai
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shikha ji,
bhogolik (geographical) paristhiti ke hisaab se soche to sach mein itni garmi londonwasiyon keliye utni hin hai jitna yahan ka adhiktam taapmaan. wahan sarkaar chintit hoti, aur upay ka uchit prabandh hota. humaari sarkaar chinta dikhaati par upaay nahin karti.
achhi jaankari, dhanyawaad.
परसों बारिश हुई..दो दिन गरम रहा ३२/३३…अब सही है..अभी साईकिल चला कर लौटे. 🙂 यहीं चली आओ..
शिखा जी,
लंदन के लिए ये पारा वाक़ई बड़ी बात है……
लेकिन किया भी क्या जा सकता है….
मनुष्य हो या अन्य जीव…
आखिरकार मौसम और वातावरण के अनुसार ढल ही जाता है.
शिखा जी, सारे मौसम बदल गये हैं, तापमान दिन पर दिन बढता ही जा रहा है, सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण यानि हमारी नादानियों की वजह से.
हिन्दुस्तानी कई मामलों में बहुत जीवट वाले हैं. कितने मौसम झेलते हैं हम, फिर भी ज़िन्दा हैं, 48 डिग्री पर भी पिघले नहीं 🙂 उधर सर्दियों में ज़ीरो डिग्री पर भी जमते नहीं. कुछ तो खास है हममें…
haha..itne me hi ye hal hai in logon ka…sahi hai …
ओह मैं तो टाइटल देख कर डर गयी थी न जाने क्या हो गया कोई ११ सितम्बर जैसा अमरीका कांड तो नहीं हो गया…
और ये ३२ डिग्री पर लन्दन की ये हालत तो अब आगे क्या कहू..आप तो खुद भारत वासी है…बखूबी जानती हैं ये 'दिल्ली की गर्मी'…हा.हा.हा..
यहाँ और राजस्थान में जहाँ तापमान ५० से ऊपर जाता है…तो क्या कहने…बिचारा इंसान अंडे सा फ्राई हो जाता है.
शिखा जी
ठीक लिखा है आपने कुदरत अब अपने रुखेपन पर आ गई है ।गर्मी की यहाँ भी बहुत बुरी हालत है कहीं पर बाढ़ आ गई है कहीं पर भयंकर सूखा है। एक गाना याद आ रहा है ।जाने क्या होगा रामा रे जाने क्या होगा मौला रे………
निःसंदेह आपकी पोस्ट प्रभावशाली है…यूके के लोगों के लिए ३२ डिग्री असहनीय तापमान है…मै और मेरा परिवार ४८ का तापमान हर गर्मी में झेलते हैं… खैर हम तो इसके आदि हो चुके हैं… इस बार की गर्मी तो घर के अन्दर बैठे-बैठे ही सनशोट लगा रही थी…इस प्रकार की ख़बरें आप हमेशा देती रहे ….
बताइए…. और यहाँ तो ४८ में भी कुछ नहीं होता …. सरकार भी कुछ नहीं करती… फोटो देख कर लग रहा है… कि लन्दन में गर्मी बहुत पड़ रही है….. हे हे हे हे ….
Hi..
Es aalekh ki sabse bhavnatmak pankti ye hai jisme aap kahti hain.. Ki jab Londan main etne tapman main ye haal hai to humare desh main kya hoga.. Es ek vakya main, aapka desh prem swatah hi dikh raha hai… Eshwar yah bhav sadev banaye rakhe..
Sundar aalekh,
Deepak..
nice
भुनेगा ही… अब नंगे बदन सब बैठेगे तो गर्मी तो और बढ़ेगी न!! 😛 😛
आपको पता है न!! ग्लोबल वार्मिंग के बारे में!!
जिसकी जिम्मेदार आजकल की युवा पीढ़ी है
हाट & कूल… शुक्र है कि बैलेंस बना है 😛
नही तो कब की जल कर राख हो गयी होती ये दुनिया 🙂 🙂
वैसे जब भी आता हूँ मैं अपनी जोतकर चला जाता हूँ और आपके यहाँ पकी हुई जानकारी की फ्सल काट ले जाता हूँ 🙂 🙂
काश हमारे यहाँ हमेशा ही ३२ डिग्री पर पारा बना रहता.
ांपने भारतवासी बहुत दिलेर हैं। इतनी झुलसती गर्मी मे कोलतार पिघलाते और सडकों पर बिछाते हैं खेतों मे काम करते हैं– बिना बिजली पानी के सभी काम करते हैं। हमारे भारत से कोई क्या तुलाना कर सकता है? अच्छी जानकारी दी हमे भी गर्व होने लगा आपने भारतवासी होने पर । हा हा हा।
बंगलोर आ जायें, निराश नहीं होंगी।
बढ़िया जानकारी
बहुत बढ़िया
वह गर्मी का आनन्द आ गया ..जब उन्हें थोड़ी आदत हो जाय तो अपने यहाँ भेज दीजियेगा |
हाहाहा
शिखा जी,
परिस्थितियां कैसी भी हों, भारतीय उनके साथ सामंजस्य बैठा ही लेते हैं…
क्योंकि मिर्ची सुनने वाले (…खाने वाले भी) हर हाल में खुश रहते हैं…
जय हिंद…
अरे शिखा जी आपके देशवासी गर्मी के आदि हैं अगर ऐसा कहूँ तो ठीक ही होगा लेकिन अगर कहूँ की भारत वासी कष्ट sahan करने के आदि हैं तो ज्यादा सही होगा ,यहाँ तो ३२ डिग्री हो जाये तो ख़ुशी होती हैं .आप चिंता न करे लंदन की गर्मी का आनंद ले.हाँ कृपया कुछ दिन भारत आने का प्लान न बनाये .वैसे तो बारिश शुरू हो गयी हैं . पर वाकई इस बार गर्मी ने कहर बरसा दिया हैं .
शुभकामनाये
आपके ब्लॉग पर जब आपकी लेटेस्ट फीड पढ़ रहा था तो बाहर मौसम भीग रहा था और हम बहस कर रहे थे मूसलधार होता है या मूसलाधार.., लन्दन में ही नहीं दुनिया भर में गर्मी सारे शहरों में है और यही चिंता की बात है| शायद एक समय आएगा जब दीवार जैसी फिल्म का सीक्वेल बनेगा जिसमे अमिताभ कहेगा मेरे पास ए सी है, माईक्रोवेव ओवन है तुम्हारे पास क्या है तो जवाब मिलेगा मेरे पास बारिश है| गाँव है| पेड़ हैं|
सोना चांदी, हीरे जवाहरात तो ले गए …अब हमारे देश की गर्मी भी झेलें …!
आदते भी अजीब होती है ….वैसे जिन दिनों मै देहरादून में पढता था .वहां पंखे नहीं होते थे .अब ए सी मसूरी तक आ गये है
rochak lagii jankaari.
नयी जानकारी है हमारे लिए , काश हमारे यहाँ ३६ डिग्री हो जाये तो मज़ा आ जाये !
शिखा जी,
लंदन के लिए ये पारा वाक़ई बड़ी बात है……
लेकिन किया भी क्या जा सकता है….
I’m extremely impressed along with your writing talents as neatly as with the format in your blog. Is this a paid subject or did you modify it your self? Either way stay up the excellent high quality writing, it’s uncommon to look a great blog like this one today..
You are my breathing in, I own few blogs and sometimes run out from to brand : (.