मार्च ख़तम होने को है पर इस बार लन्दन का मौसम ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा। ठण्ड है कि कम होने को तैयार नहीं और ऐसे में मेरे जैसे जीव के लिए बहुत कष्टकारी स्थिति होती है। पैर घर में टिकने को राजी नहीं होते और मन ऐसे मौसम में बाहर निकलने से साफ़ इनकार कर देता है।…
भाव अर्पित,राग अर्पित शब्दों का मिजाज अर्पित छंद, मुक्त, सब गान अर्पित और तुझे क्या मैं अर्पण करूं। नाम अर्पित, मान अर्पित रिश्तों का अधिकार अर्पित रुचियाँ, खेल तमाम अर्पित और तुझे क्या मैं अर्पण करूँ शाम अर्पित,रात अर्पित तारों की बारात अर्पित आधे अधूरे ख्वाब अर्पित और तुझे क्या मैं अर्पण करूँ। रूह अर्पित, जान अर्पित जिस्म में चलती सांस अर्पित कर दिए सारे अरमान अर्पित अब और…
सुना है, लिखने वाले रोज नियम से २- ४ घंटे बैठते हैं। लिखना शुरू करते हैं तो लिखते ही चले जाते हैं। मैं आजतक नहीं समझ पाई कि उनके विचारों पर उनका इतना नियंत्रण कैसे रहता है। मैं तो यदि सोच कर बैठूं कि लिखना है तो दो पंक्तियाँ न लिखीं जाएँ . मेरे विचारों की आवाजाही तो जिन्दगी और मौत की…
“स्मृतियों में रूस” को प्रकाशित हुए साल हो गया. इस दौरान बहुत से पाठकों ने, दोस्तों ने, इस पर अपनी प्रतिक्रया से मुझे नवाजा. मेरा सौभाग्य है कि अब भी, जिसके हाथों में यह पुस्तक आती है वो मुझतक किसी न किसी रूप में अपनी प्रतिक्रिया अवश्य ही पहुंचा देते हैं.पिछले दिनों दिल्ली के स्वतंत्र पत्रकार शिवानंद द्विवेदी”सहर ने इस…
सुनो आज मौसम बहुत हसीं है फिफ्टी फिफ्टी के अनुपात में सूरज और बादल टहल रहे हैं चलो ना , हम भी टहल आयें जेकेट – नहीं होगी उसकी ज़रूरत हाँ ले चलेंगे अपनी वो नीली छतरी जिसपर गिरती हैं जब बारिश की बूँदेंतो रंग आसमानी सा हो जाता है और टप टप की आवाज के साथ लगता है जैसे खुले आकाश के नीचे कर रहा हो कोई…
पिछले दिनों एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक एक 16 साल के लड़के को 15 हूडी लड़कों ने चाकू से गोदकर बेरहमी से सरे आम सड़क पर मार डाला . वह बच्चा छोड़ दो , ऐसा मत करो की गुहार लगाता रहा और वे उसे चाकू से मारते रहे। यह इस साल का लन्दन में होने वाला पहला नाबालिक लड़के का खून है , जबकि पिछले साल 17 वर्षीय एक…
रात बहुत गहरी है फलक पर सिमटे तारे हैं एक बूढा सा चाँद भी अपनी बची खुची चाँदनी, ओढ़े खडा है. आस्माँ ने मुझे दिया है न्योता, सितारों जड़ी एक चादर बुनने का. इसके एवज में उसने किया है वादा शफक पर थोड़ी सी जगह देने का. पर मुझे तो पता है शफ़क़ सिर्फ एक धोखा है ये चाल है निगोड़े आस्माँ…
इंसान अगर स्वभाववश कोमल ह्रदय हो तो वह आदतन ऊपर से एक कठोर कवच पहन लेता है। कि उसके नरम और विनम्र स्वभाव का कोई नाजायज फायदा न उठा सके। ज्यादातर आजकल की दुनिया में कुछ ऐसा ही देखा जाता है. विनम्रता को लोग कमजोरी समझ लिया करते हैं। जैसे अगर कोई विनम्रता और सरलता से अपनी गलतियां या कमजोरियां स्वीकार ले तो हर…
कल रात सपने में वो मिला था कर रहा था बातें, न जाने कैसी कैसी कभी कहता यह कर, कभी कहता वो कभी इधर लुढ़कता,कभी उधर उछलता फिर बैठ जाता, शायद थक जाता था वो फिर तुनकता और करने लगता जिरह आखिर क्यों नहीं सुनती मैं बात उसकी क्यों लगाती हूँ हरदम ये दिमाग और कर देती हूँ उसे नजर अंदाज मारती रहती हूँ…
यदि विदेशी धरती पर उतरते ही मूलभूत जानकारियों के लिए कोई आपसे कहे कि पुस्तकालय चले जाइए तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि पुस्तकालय तो किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ने की जगह होती है, वहां भला प्रशासन व सुविधाओं से जुड़ी जानकारियां कैसे मिलेंगी। यह बात शत प्रतिशत सच है। खासकर इंग्लैंड में। यहां आपको बेशक घर ढूंढ़ना हो,…