गद्य

पिछले दिनों एक समाचारपत्र में एक खबर थी कि एक २ साल की बच्ची को उसके नाना नानी से लेकर अनाथ आश्रम में पहुंचा दिया गया. क्योंकि नाना नानी को कोर्ट ने बच्ची की देखभाल के लिए उपयुक्त आयु से अधिक पाया। बच्ची की माँ नशे की आदी है और मानसिक रूप से किसी बच्चे को पालने में असमर्थ है इसलिए बच्ची…

ज़माना बदल रहा है, ज़माने का ख़याल भी और उसके साथ कुछ दुविधाएं भी. आज इस देश काल, परिवेश  में समय की मांग है कि घर में पति पत्नी दोनों कमाऊ हों. यानि दोनों का काम करना और धन कमाना आवश्यक है खासकर लंदन जैसे शहर में. जहाँ एक ओर बाहर जाकर काम करना और अपना कैरियर बनाना आज की स्त्री के लिए…

लंदन में जुलाई का महीना खासा सक्रीय और विविधताओं से भरा होता है खासकर स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चों और उनके अविभावकों के लिए – क्योंकि ब्रिटेन में जुलाई में शिक्षा सत्र की समाप्ति होती है, रिजल्ट आते हैं और फिर जुलाई के आखिरी महीने में गर्मियों की लम्बी छुट्टियां हो जाती हैं. जहां छोटे बच्चों का प्रमुख उत्साह छुट्टियों, एवं उन्हें कैसे…

  एक पुरानी यूनानी (Greek) पौराणिक कथा है कि जब ईश्वर संसार की रचना कर रहा था तो उसने एक छलनी से मिट्टी छान कर पृथ्वी पर बिखेरी. जब सभी देशों पर अच्छी मिट्टी बिखर गई तो छलनी में बचे पत्थर उसने अपने कंधे के पीछे से फेंक दिए और उनसे फिर ग्रीस (यूनान) बना.  बेशक यह एक किवदंती रही हो…

अपनी सभ्यता, सुरम्यता और जीवंतता के लिए विश्व फलक पर मशहूर लंदन आने वाले पर्यटकों की संख्या किसी काल समय की मुहताज नहीं है. भारत से भी यहाँ वर्ष पर्यन्त पर्यटकों की अच्छी खासी तादाद देखी जा सकती है. हर पर्यटक का किसी स्थान के प्रति अपना नजरिया होता है तो कुछ पूर्वाग्रह भी होता होगा. ऐसे में ही कोई बाहर…

  हम पश्चिम की होड़ बेशक करें पर यह सच है कि पश्चिम कहीं से भी कुछ भी अच्छा सीखने और अपनाने में कभी शर्म या कोताही नहीं करता। कुछ भी अपने फायदे का मिले तो उसे खुले हाथों और दिमाग से अपनाना और उसे अपनी जीवन शैली और परिवेश के अनुरूप ढालना तो हमें कम से कम पश्चिम से…

पिछले सप्ताह भारत में सी बी एस सी के बारहवीं के रिजल्ट्स आए और मुख्य मिडिया से लेकर सोशल मीडिया तक काफी गहमा गहमी रही. फोन पर, मेल में हर माध्यम से खुशी की ख़बरें सुनाई दीं.जहाँ तक सुनने में आया ऐसा लगा जैसे ९० % से कम नंबर किसी के आते ही नहीं. हाँ बल्कि शत प्रतिशत वाले भी…

उस शहर से पहली बार नहीं मिल रही थी मैं, बचपन का नाता था. न जाने कितनी बार साक्षात्कार हुआ था. उस स्टेशन से, विधान सभा रोड से और उस एक होटल से. यूँ तब इस शहर से मिलने की वजह पापा के कामकाजी दौरे हुआ करते थे जो उनके लिए अतिरिक्त काम का और हमारे लिए एक छोटे से…

कोई आपसे कहे कि लंदन की थेम्स से आजकल गंगा – जमना की खुशबू आ रही है तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं, शायद क्या, बिलकुल नहीं करेंगे। क्योंकि ज़माना कितना भी आगे बढ़ गया हो इतना तो अभी नहीं बढ़ा कि नदियों की खुशबू सात समुन्द्र पार मोबाइल से पहुँच जाए. परन्तु लंदन में दस दिन से ऐसा ही कुछ…

आज से कुछ वर्ष पूर्व जब इस देश में आना हुआ था तब सड़कों में भारी मात्रा में वाहन होने के बावजूद गज़ब की शांति महसूस हुआ करती थी. कायदे से अपनी -अपनी लेंन में चलतीं, बिना शोरगुल के लेन बदलतीं, ओवेरटेक करती गाडियां मुझे अक्सर आश्चर्य में डाल दिया करतीं कि आखिर बिना हॉर्न  दिए यहाँ का यातायात इतना…