सोमवार को भारत के लिए निकलना है. सो तैयारियों की भागा दौडी है.एक्साइमेंट इतनी है कि कोई बड़ी पोस्ट तो लिखी नहीं जाने वाली. इसलिए दौड़ते भागते यूँ ही कुछ पंक्तियाँ ज़हन में कुलबुलाती रहती हैं.सोचा इन्हें ही आपकी नजर कर दूं ,तब तक, जब तक हम दिल्ली ,मुंबई आदि से घूम कर एक महीने बाद वापस नहीं आ जाते .तो आप मुलाहिज़ा फरमाइए .हम मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद….
रात की रानी
निशा की थपकियों से
जो स्वप्न उभरते हैं
ऊषा की लोरियां उन्हें
फिर से सुला देती हैं.
तो क्या फर्क पड़ता है
रात की रानी भी तो
रात को ही खिलती है.
टूटता तारा.
वो देखो आसमां में,
अभी अभी कुछ चमका है.
मेरी उम्मीद का तारा,
मेरी उम्मीद का तारा,
शायद वहीँ टूटा है
पर मैं भी ढीट हूँ
उसी टूटते तारे से
फिर कोई ख्वाहिश कर लूंगी .
नियम
ऊपर की ओर उछाली हर चीज़
नीचे आ जाती है
कहीं मिले न्यूटन,तो कहूँ कि
गुरुत्त्वाकर्षण का नियम बदल दें
क्योंकि
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
कहीं मिले न्यूटन,तो कहूँ कि
गुरुत्त्वाकर्षण का नियम बदल दें
क्योंकि
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
आपने बहुत सुन्दर रचनाएँ पोस्ट की हैं!
भारत आने पर आपका स्वागत है!
यह कुलबूलाहटें यु ही बनी रहे … यही दुआ है … आ जाइये … यहाँ सब इंतज़ार में है !
बहुत सुंदर रचनाएँ हैं शिखा जी …उत्साह झलक रहा है …!!
स्वागतम शुभ स्वागतम …
आनंद मंगल मंगलम …
नित प्रियं भारत भारतं …
वाह ..क्या कुलबुलाहट है …
रात कि रानी यूँ ही खिलाती रहे …और टूटते हुए तारे से फिर से ख्वाहिश करना जो शायद उम्मीद का ही तारा रहा हो …और ख्वाब कभी नीचे मत गिरने देना ..बहुत सुन्दर भाव .. अच्छी क्षणिकाएँ …
शिखा जी, बहुत सुंदर रचनाएँ हैं
bahut hi behtareen…………..
regards
naveen kumar solanki
http://naveensolanki.blogspot.com/
http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/
दिव्य रचनाएं. आभार.
बहुत सुंदर रचनाएँ हैं…
शुभ यात्रा.
waha!!! shikha ji bahut khub …asha vaddi post hai aap ki….very well said…keep writing.. 🙂 aise hee kuch kulbulahaat mujhe bhi ho rahi hai kyunki mujhe to kal hee nikalnaa hai india ke liye isliye aap ko advance main…. happy and safe journy … 🙂
bahut achchi rachnayen hain.welcome to India.
हाँ….देखा, मुझे पता था…याद था मुझे…
बैंगलोर मत भूल जाना आप…:)
ख्वाब वाली बात बड़ी अच्छी लगी..न्यूटन साहब भी सोच में पड़ सकते हैं..
"@ अभि ! ये नहीं कह सकते कि आप बताओ मैं आ जाऊंगा दिल्ली :):)
बहुत ही खूबसूरत रचनाएं है…
आपका स्वागत है…
are vah aap bharat ja rahi hain bahut achchha laga jankar aapne to bhaga doudi me bhi kamal ka likh diya hai .kya baat hai
thoda maja mere hisse ka bhi kar lijiyega
aapki yarta mangalmy ho
rachana
beautiful post………
excellent write!
निशा की थपकी , उषा की घुड़की , रात की रानी का खिलना , उम्मीदों का होना और विछ्ड़ना , तारों का टिमटिमाना , पुछल तारों का टूटना और गिरना , भवदीय न्यूटन ने अगर ऐसा देखा होता ख्वाब तो शायद अपनी परिकल्पना की दिशा बदल देते . ऐसे ही कुबुलाते रहे शब्द और हम अनुग्रहित होते रहे
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
wah.kya baat hai.
शुभ यात्रा..शुभागमन.. देखें आपसे मुलाक़ात हो पाती है या नहीं..
ये क्षणिकाएं काफी हैं उस ब्रेक को भरने के लिए!!
खूबसूरत क्षणिकाएं .
भारत भ्रमण के लिए शुभकामनायें .
सभी बेहद अच्छी हैं..
बढ़िया रचनाएं …ब्रेक के बाद इंतज़ार करेंगे ! शुभकामनायें !!
अब न्युटन को सिंद्धांत बदलना देना चाहिए।
स्वागत है आपका।
chhoti c aur c kavitayen…bahut sundar lagi..
ईश्वर करे , आपके ख्वाबों के मामले में "न्यूटन" साहब का गुरुत्वाकर्षण का नियम फ़ेल हो ही जाये ।
मैं भी न्यूटन के नियम को बदलना चाहूँगा …और कभी नहीं चाहूँगा कि शिखा जी को या उनके ख्वाब को कभी भी नीचे आना आना पड़े.
पंकज झा.
इन क्षणिकाओं में यही प्रतीत हो रहा है ..कि कभी भी आशा न छोड़े। आशा एक ऐसा पथ है जो जीवन भर आपको गतिशील बनाये रखता है।
आप आ रही हैं अपनी धरती पर ,अपने वतन, अपने घर ,
हमारी अपनी शिखा जो दूर देश में फहर रही है . फिर भी आपका , आपके हम सब अपनों द्वारा स्वागत है . भारत की बेटी का भारत आगमन , सुस्वागतम
पधारो म्हारे देस…
जय हिंद…
एकाएक??? कुछ खास?
बढ़िया कुलबुलाहट रही…
लौटते लौटते यह कैसी कुलबुलाहट की है आपने शिखा जी,जो हमे भी कुलबुलाती ही जा रही है.
'रात की रानी,'टूटता तारा' और 'नियम' के माध्यम से अच्छी चुटकियाँ लीं हैं आपने.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आने का भी कभी समय निकालिएगा.
milna pakka rakhiyega
जीने की कुलबुलाहट बनी रहे तो अच्छा है प्रेरक पोस्ट। शुभकामनायें।
सितारें टूटे तो जमीं पर आते है और हम ख्वाबों के सच होने की दुआ करते हैं , साथ ही जूनून की अपने आसमां में उछाले ख्वाबों को धरती पर जमीन्दोज नही होने देंगे . स्वागत है भारत में .भले पधारया.
Beautiful kulbulaahatein !
वो देखो आसमां में,
अभी अभी कुछ चमका है.
मेरी उम्मीद का तारा,
शायद वहीँ टूटा है
पर मैं भी ढीट हूँ
उसी टूटते तारे से
फिर कोई ख्वाहिश कर लूंगी .
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचनाएं….
भारत आने पर आपका स्वागत है!
हार्दिक शुभकामनायें !
आज 19- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है …..
…आज के कुछ खास चिट्ठे …आपकी नज़र .तेताला पर
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क्योंकि
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
आपकी यह पंक्तियां बहुत ही अच्छी लगी ..बेहतरीन ।
कहीं मिले न्यूटन,तो कहूँ कि
गुरुत्त्वाकर्षण का नियम बदल दें
क्योंकि
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
ओह…क्या बात कही…..
बेहतरीन…
ख्वाब जरूर सच हो…
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
वाह शिखा जी गज़ब कर दिया………………तीनो ही शानदार प्रस्तुति हैं और भारत आगमन पर हमसे भी मिलने का प्रोग्राम बनाइयेगा…………हमे भी इंतज़ार रहेगा।
दिनांक गलत होने के कारण फिर से सूचित कर रही हूँ —
आज 22- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है …..
…आज के कुछ खास चिट्ठे …आपकी नज़र .तेताला पर
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न्यूटन को नियम बदलने की जरूरत नहीं है ! आपके ख़्वाब एक्सोटिक मैटर(Exotic Matter) के बने है जिन पर गुरुत्वाकर्षण का असर नहीं होता !
आपकी ये बात बहुत अच्छी लगी …..कहीं मिले न्यूटन,तो कहूँ कि
गुरुत्त्वाकर्षण का नियम बदल दें
क्योंकि
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
उत्साहित करती हुई बात 🙂
बहुत खूब दोस्त 🙂
Swadesh ane par apka bahut-2 swagat.
Rachna behad pashand aai..!
ek khusbu si man me daud gai.
Bahdai.
सुंदर रचनाओं में अनूठे भाव समाये हैं.
इसे कहते हैं "The Newton Theory Rivisited"…मजा आ गया पढ़ के….
ख्वाब में न्यूटन भांजी नहीं मारेंगे, भारत में स्वागत है।
भारत में आपका बहुत बहुत स्वागत है.शुभ यात्रा ….^_^
सुन्दर रचनाये , आपकी यात्रा शुभ हो
आपकी पोस्ट की चर्चा कृपया यहाँ पढे नई पुरानी हलचल मेरा प्रथम प्रयास
बेहतरीन।
आपके अपने देश मे आपका स्वागत है।
सादर
सुंदर रचनायें , स्वागत है
तीनों कविताएँ कुछ कहती हैं विशेष। साधुवाद। आपकी यात्रा मंगलमय हो।
तीनों रचनाएं ही कुछ कह रही हैं … आशावादी हैं … आपको यात्रा की बहुत बहुत शुभकामनाएं … देश जाना हमेशा ही उत्साह भर देता है …
बस अद्भुत ,भारत में क्या इटिनेरेरी रहेगी ?
देश यात्रा के लिए हार्दिक शुभकामनायें !!
मुलाकात होगी की नही। अरे बात भी होगी की नही…:(
रात की रानी
निशा की थपकियों से
जो स्वप्न उभरते हैं
ऊषा की लोरियां उन्हें
फिर से सुला देती हैं.
तो क्या फर्क पड़ता है
रात की रानी भी तो
रात को ही खिलती है.
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर ..
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूंगी नीचे
मैं भी ढीट हूँ उसी टूटते तारे से फिर कोई ख्वाहिश कर लूंगी
shikha ji ! shikhar kavitayein/kshanikayein…
Badhaiyan…New look is pleasant..
बहुत सुंदर रचना
agar aap india aakar mujhe nhi mili to mujhe bhut dukh hoga
बहुत सुंदर रचनाएँ
सभी क्षणिकाएं गज़ब की ….भावपूर्ण , अर्थपूर्ण
आपका अपने भारत में बहुत-बहुत स्वागत है ….
शिखाजी ! ख्वाबों को 'गिरने न देना' आपका शुभ संकल्प है…पर ख्वाबों को भी तो जमीन चाहिए..ऐसा न्यूटन कह सकते हैं…मिलने के पहले यह सोचकर मिलिएगा और जी , आपके हौसले. संकल्प और ख्वाबों को प्रणाम..न्यूटन महाशय को भी मेरा सलाम अवश्य कहें
इतनी जल्दबाजी में भी फूल बड़े ही सुन्दर हैं!
वाह एक अलग ही अंदाज़. अच्छा लगा….
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टूटते तारे पर भावशील खूबसूरत क्षणिका…
शिखा जी
शायद आप इस समय भारत में हैं ,पता नहीं अपना ब्लॉग देख भी रही हैं या नहीं , फिर भी स्वीकारें रक्षाबंधन और भारतीय स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं .
बहुत ही खूबसूरत रचनाएं
आपका स्वागत है…
Hi!! We are organizing a london bloggers meet….was wondering if you would like to attend? sometime next month on a weekend…
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इतना यकीन हो, तो गुरूत्वाकर्षण क्या दुनिया के सारे नियम बदले जा सकते हैं।
——
कम्प्यूटर से तेज़!
इस दर्द की दवा क्या है….
शिखा जी
छोटी छोटी नज्मो में जीवन का रंग स्पंदित हो रहा है .. आपकी लेखनी को सलाम ..
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
jo khwaab uchhale hai upar…..gazab ki soch… 🙂
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
शिखा जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम"के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
bahut hi sundar… mai bhi niyam nahi maanti… mere khwaab bhi is gravity ko support nahi karte… aur mai bhi ziddi hu, har baar tootte taare se kuch-na-kuch maang hi keti hu…
bahut khoob likha aapane
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'टूटता तारा' 'नियम' ……….. हा हा हा जैसे मैंने खुद खुद से बात की आज.
मैंने जो अपने ख्वाब उछाले हैं ऊपर
उन्हें तो अब गिरने नहीं दूँगी नीचे |
बहुत खूब !
भारत में तुम्हारा स्वागत है |
सुधा भार्गव
आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगा शिखा जी.
आपका सहज व्यक्तित्व अपनी एक अलग ही
छाप छोड़ता है.
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी दर्शन दीजियेगा.
बेहतरीन रचनाएं……….
मन में हों विश्वास तो सच में न्यूटन को अपना नियम बदलना ही होगा….
शुभकामनाएं……
शिखा जी , कैसी हैं आप , स्वास्थ कैसा है ? बहुत दिनों से नया कुछ नहीं लिखा आपने। इंतज़ार है।
बहुत सुंदर रचनाएँ हैं शिखा जी ….आभार
वाह ….हम तो अपना नाम ही पढ़ कर ख़ुश हो गए ?
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