तब डबल बेड पर चार और लोगों के साथ सिकुड़े – सिकुड़े लेट कर सोने में जो सुकून आता था, आज किंग साइज़ के पलंग पर फ़ैल कर सोने में भी नहीं आता. वह सुकून आपसी विश्वास का था. इस विश्वास का कि आजू बाजू जो लोग हैं वे अपने हैं, साथ हैं और हमेशा साथ और यदि हम साथ साथ हैं…

हम जब बचपन में घर में आने वाली पत्रिकाएं पढ़ते तो अक्सर मम्मी से पूछा करते थे कि गर्मियों की छुट्टियां क्या होती हैं. क्योंकि पत्रिकाएं, गर्मियों में कहाँ जाएँ? कैसे छुट्टियां बिताएं, गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या करें और गर्मियों की छुट्टियों में क्या क्या सावधानी रखें, जैसे लेखों से भरी रहतीं। हमें समझ में नहीं आता था कि जिन गर्मियों की छुट्टी…