गद्य

मुझे नृत्य से बेहद लगाव है और इसलिए टीवी की शौकीन ना होने पर भी उस पर पर आने वाले नृत्य के रियलिटी  कार्यक्रम मैं बड़े चाव से देखती हूँ .”नच बलिये” जैसे कार्यक्रमों में भारतीय नृत्य के अलावा सभी विदेशी और आधुनिक नृत्य शैली होने बाद भी वह डांस कार्यक्रम ही लगा करते थे.परन्तु  आजकल स्टार प्लस पर डांस का…

लन्दन – पुस्तकों की दुकानों, पुस्तकालयों , प्रकाशकों , लेखकों का शहर .लेकिन इस शहर में तीन में से एक बच्चा बिना अपनी एक भी किताब के बड़ा होता है.जहाँ ८५% बच्चों के पास उसका अपना एक्स बॉक्स ३६० है , टीवी पर अपना कण्ट्रोल है, पूरा कमरा खिलोनो से भरा पडा है, ८१ % के पास अपना मोबाइल फ़ोन है.…

चाइल्ड ओबेसिटी पर मेरे पिछले लेख में बहुत से पाठकों ने बच्चों में दुबलेपन की शिकायत की.और कहा कि कुछ प्रकाश इस समस्या पर भी डाला जाये .मैं कोई डॉo  नहीं हूँ परन्तु इस समस्या के कुछ देखे भाले अनुभव हैं जिन्हें आपसे बांटना चाहती हूँ .शायद कुछ मदद हो सके. कुछ लोगों ने कहा कि बच्चे कुछ नहीं खाते.…

हवा हुए वे दिन जब बच्चे की तंदरुस्ती  से घर की सम्पन्नता को परखा जाता था. माताएं अपने बच्चे की बलाएँ ले ले नहीं थकती थीं कि  मेरा बच्चा खाते पीते घर का लगता है. एक वक़्त एक रोटी  कम खाई तो चिंता में घुल घुल कर बडबडाया  करती थीं ..हाय मेरे लाल ने आज कुछ नहीं खाया शायद तबियत ठीक नहीं है. नानी दादी से जब भी बच्चा…

इस बार ईस्टर के बाद राजकुमार विलियम की शादी की वजह से २-२ बड़े सप्ताहांत मिले. और शायद यही वजह रही हो कि अचानक लन्दन का मौसम भी बेहद सुहावना हो चला था.अब हमें तो राजकुमार की शादी की खास तैयारियां करनी नहीं थी .ले दे कर एक रिपोर्ट ही लिखनी थी तो सोचा क्यों ना इन सुहानी छुट्टियों का कुछ…

लन्दन का तापमान आजकल उंचाई पर है .पारा २४ डिग्री पर पहुँच गया है .ये शायद पहली बार है जब यूरोप में सबसे ज्यादा तापमान लन्दन में है लोग अपनी ईस्टर की छुट्टियों में इस बार स्पेन या फ्रांस नहीं जा रहे बल्कि लन्दन में ही सूर्य देवता को नमन कर रहे हैं . समुद्री किनारों पर जैसे सैलाब उमड़ आया…

चल पड़े जिधर दो डग मग में  चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…

एक १४-१५ साल कि लड़की घर में घुसती है ” मोम ऍम आई एलाउड तो गो आउट विथ सम वन” ?अन्दर से चिल्लाती एक आवाज़. दिमाग ख़राब हो गया क्या तेरा? ये उम्र है इन सब कामो की ?पढाई पर ध्यान दो ...यू वीयर्ड मोम आल माय फ्रेंड्स आर गोइंग ..तो जाने दो उन्हें यह हमारा कल्चर नहीं .”ओके ओके…

सफलता पाना  आसान है पर उसे उसी स्तर पर बनाये रखना मुश्किल. शायद आप लोगों ने भी सुन रखा होगा. कुछ लोग मानते होंगे और कुछ लोग नहीं. परन्तु मैं हमेशा  ही इस विचार से १००% सहमत रही हूँ. अपने आसपास ,या दूर- दूर न जाने कितने ही ऐसे उदाहरण मुझे मिल जाते हैं जिन्हें  देख कर इस विचार की सत्यता…

कभी कभी फ़ोन के घंटी कितनी मधुर हो सकती है इसका अहसास  कभी ना कभी हम सभी को होता है ,  मुझे भी हुआ जब सामने से आवाज़ आई ..शिखा जी ,  आपके संस्मरण को हाई कमीशन द्वारा घोषित लक्ष्मी मल्ल सिंघवी प्रकाशन अनुदान  सम्मान दिया जायेगा. कृपया वक्त पर हाई कमीशन पहुँच जाएँ. लैटर आपको १-२ दिन मे मिल जाएगा ...शब्द जैसे…