Yearly Archives: 2010

जी हाँ …हम बेकार ही विदेशी इवेंट्स मनाने में हंगामा करते हैं ..कि वेलेंटाइन डे. क्रिसमस ..विदेशी त्यौहार है हम नहीं मनाएंगे इनसे हमारी संस्कृति को खतरा है..परन्तु और कुछ हो न हो थोड़ी व्यावहारिकता, और डिप्लोमेसी हमें इन अंग्रेजों से सीख ही लेनी चाहिए..हमसे ,हमारे ही बारे में सब जानकार अपना फायदा कैसे किया जाता है ये गुण बेशक…

कल हमारी बेटी के स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग थी ..,जब हम वहाँ पहुंचे तो देखा कि अजब ही दृश्य था …एक हॉल में कचहरी की तरह लगीं कुर्सी- मेज़ और खचाखच भरे लोग ..आप उसे सभ्य मच्छी बाजार कह सकते हैं .हर पेरेंट को एक -एक विषय के लिए सिर्फ पांच मिनट पहले से ही दे दिए गए थे ..बस…

गीली सीली सी रेत में छापते पांवों के छापों में अक्सर यूँ गुमां होता है तू मेरे साथ साथ चलता है .. सुबह की पीली धूप जब मेरे गालों पर पड़ती है शांत समंदर की लहरें जब पाँव मेरे धोती हैं उन उठती गिरती लहरों में अब भी मुझे अक्स तेरा दिखाई देता है . उस गोधुली की बेला में…

मानवीय प्रकृति पर बहुत कुछ कहा और लिखा गया है, लोग बहुत कुछ कहना चाहते हैं…कहते भी हैं..परन्तु मुझे लगता है कि ,इस पर जितना भी लिखा या कहा जाये कभी पूरा नहीं हो सकता . तो चलिए थोडा कुछ मैं भी कह देती हूँ अपनी तरफ से. ये एक मानवीय प्रकृति है कि हमें जिस काम को करने के…

१८ वीं और १९ वीं सदी के बहुत से पश्चिमी विद्वानों ने ये भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की है कि भारत में ३०० – ४०० ईसा पूर्व जिस ब्राह्मी लिपि का विकास हुआ उसकी जड़े भारत से बाहर की हैं ,और इससे पहले भारत किसी भी तरह की लिखित लिपि से अनजान था. इसी सम्बन्ध में डॉ. Orfreed and Muller…

नारी बंद खिड़की के पीछे खड़ी वो, सोच रही थी कि खोले पाट खिड़की के, आने दे ताज़े हवा के झोंके को, छूने दे अपना तन सुनहरी धूप को. उसे भी हक़ है इस आसमान की ऊँचाइयों को नापने का, खुली राहों में अपने , अस्तित्व की राह तलाशने का, वो भी कर सकती है अपने, माँ -बाप के अरमानो…

एक दिन मुझसे किसी ने कहा था, कि अपने लिए मांगी दुआ कबूल हो न हो पर किसी और के लिए मांगी दुआ जरुर क़ुबूल होती है.ये अहसास बहुत खूबसूरत लगा मुझे …और सच भी..बस उसी से कुछ ख्याल मन में आये अब ये ग़ज़ल है या नज़्म या कुछ भी नहीं ..ये तो नहीं पता पर एक एहसास जरुर…

होली के त्यौहार पर , चलो कुछ हुडदंग मचाएं, टिप्पणियाँ तो देते ही हैं इस बार कुछ title बनाये. ब्लॉगजगत के परिवार में. भांति भांति के गुणी जन आज इस छत के नीचे मिल जाएँ सब मित्रगण प्रेम सौहार्द के रंग के साथ है बस थोडा निर्मल हास्य जैसे मीठी ठंडाई में मिला दी भंग की गोली चार.. लो सबसे…

. इस चक्कर की शुरुआत होती है इंजीनियरिंग डिग्री के बाद किसी maltinational में जॉब ऑफर से ….नया नया जोश और सजने लगते हैं सपने…Onsite के बहाने विदेश यात्रा के ..तभी एक स्पीड ब्रेकर आता है..” कि बेटा शादी कर के जाओ जहाँ जाना है , .एक बार गए तो क्या भरोसा है .नौकरी लग गई है, उम्र भी हो…

प्रेम दिवस कहो या valentine day ..कितना खुबसूरत एहसास है …आज के दौर की इस आपा धापी जिन्दगी में ये एक दिन जैसे ठहराव सा ला देता है .एक दिन के लिए जैसे फिजा ही बदली हुई सी लगती है ..फूलो की बहार सी आ जाती है…हर चेहरा फूल सा खिला दीखता है..कोई गर्व से , कोई ख़ुशी से ,…