Yearly Archives: 2011

कल रात किवाड़ के पीछे लगी खूंटी पर टंगी तेरी उस कमीज पर नजर पड़ी जिसे तूने ना जाने कब यह कह कर टांग दिया था कि अब यह पुरानी हो गई है. और तब से कई सारी आ गईं थीं नई कमीजें सुन्दर,कीमती, समयानुकूल परन्तु अब भी जब हवा के झोंके उस पुरानी कमीज से टकराकर मेरी नासिका में…

इस बार ईस्टर के बाद राजकुमार विलियम की शादी की वजह से २-२ बड़े सप्ताहांत मिले. और शायद यही वजह रही हो कि अचानक लन्दन का मौसम भी बेहद सुहावना हो चला था.अब हमें तो राजकुमार की शादी की खास तैयारियां करनी नहीं थी .ले दे कर एक रिपोर्ट ही लिखनी थी तो सोचा क्यों ना इन सुहानी छुट्टियों का कुछ…

सभी साहित्यकारों से माफी नामे सहित . कृपया निम्न रचना को निर्मल हास्य के तौर पर लें. आजकल मंदी का दौर है उस पर गृहस्थी का बोझ है  इस काबिल तो रहे नहीं कि  अच्छी नौकरी पा पायें  तो हमने सोचा चलो  साहित्यकार ही बन जाएँ  रोज कुछ शब्द  यहाँ के वहां लगायेंगे और नए रंगरूटों को  फलसफा ए लेखन सिखायेंगे कुछ नए…

लन्दन का तापमान आजकल उंचाई पर है .पारा २४ डिग्री पर पहुँच गया है .ये शायद पहली बार है जब यूरोप में सबसे ज्यादा तापमान लन्दन में है लोग अपनी ईस्टर की छुट्टियों में इस बार स्पेन या फ्रांस नहीं जा रहे बल्कि लन्दन में ही सूर्य देवता को नमन कर रहे हैं . समुद्री किनारों पर जैसे सैलाब उमड़ आया…

चल पड़े जिधर दो डग मग में  चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…

आजकल हर जगह अन्ना की हवा चल रही है .बहुत कुछ उड़ता उड़ता यहाँ वहां छिटक रहा है.ऐसे में मेरे ख़याल भी जाने कहाँ कहाँ उड़ गए .और कहाँ कहाँ छिटक गए…. क्षणिकाएं …….. अपनी जिंदगी की  सड़क के  किनारों पर देखो  मेरी जिंदगी के  सफ़े बिखरे हुए पड़े हैं है परेशान  महताब औ  आफताब ये  शब्बे सहर भी  मेरे तेरे…

एक १४-१५ साल कि लड़की घर में घुसती है ” मोम ऍम आई एलाउड तो गो आउट विथ सम वन” ?अन्दर से चिल्लाती एक आवाज़. दिमाग ख़राब हो गया क्या तेरा? ये उम्र है इन सब कामो की ?पढाई पर ध्यान दो ...यू वीयर्ड मोम आल माय फ्रेंड्स आर गोइंग ..तो जाने दो उन्हें यह हमारा कल्चर नहीं .”ओके ओके…

सफलता पाना  आसान है पर उसे उसी स्तर पर बनाये रखना मुश्किल. शायद आप लोगों ने भी सुन रखा होगा. कुछ लोग मानते होंगे और कुछ लोग नहीं. परन्तु मैं हमेशा  ही इस विचार से १००% सहमत रही हूँ. अपने आसपास ,या दूर- दूर न जाने कितने ही ऐसे उदाहरण मुझे मिल जाते हैं जिन्हें  देख कर इस विचार की सत्यता…

 . हिंदी समिति के २० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष  में वातायन,हिंदी समिति और गीतांजलि संघ द्वारा दिनांक ११,१२,और १३ मार्च को क्रमश: बर्मिंघम ,नॉटिंघम और लन्दन में  अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन आयोजित किया गया. जिसका मुख्य विषय था विदेश में हिंदी शिक्षण और इस सम्मलेन में भारत सहित यू के  और रशिया के  बहुत से हिंदी विद्वानों  ने भाग लिया जिनमें अजय गुप्त,…

कभी कभी फ़ोन के घंटी कितनी मधुर हो सकती है इसका अहसास  कभी ना कभी हम सभी को होता है ,  मुझे भी हुआ जब सामने से आवाज़ आई ..शिखा जी ,  आपके संस्मरण को हाई कमीशन द्वारा घोषित लक्ष्मी मल्ल सिंघवी प्रकाशन अनुदान  सम्मान दिया जायेगा. कृपया वक्त पर हाई कमीशन पहुँच जाएँ. लैटर आपको १-२ दिन मे मिल जाएगा ...शब्द जैसे…