लरजते होंटों की दुआओं का फन देखेंगे,
दिल से निकली हुई आहों का असर देखेंगे,
चाहे तू जितना दबा ले मन का तूफान मगर
आज हम अपनी बफाओं का असर देखेंगे।
गर लगी है आग इधर गहरी तो यकीनन
सुलग तो रही होगी आंच वहां भी थोड़ी,
उस चिंगारी को दे अपनी रूह की तपिश,
हम हवाओं की रवानी का असर देखेंगे।
लाख कर ले निगाहों से दूर चेहरा अपना,
बदल चाहे हर रोज़ अपनी राह ए गुजर,
बनके कभी धूप,कभी छांव एक बादल की,
तेरे चेहरे पे अपनी मोहब्बत की चमक देखेंगे।
न होगी मौजूद कल ये शिखा कायनात में तेरी,
होगी महरूम मेरी रौशनी से ये बज्म तेरी,
तब तेरी आँखों में भरे खारे पानी में,
हम अपनी यादों का नस्तूर ए जिगर देखेंगे.
शिखा जी;
सच में आप ने अपने ब्लॉग के शीर्षक के मुताबिक ही ग़ज़ल लिखी है…..सच में इसमे "स्पंदन" है……कुछ अल्फाज़ …जैसे 'लरज़ते '…'रूह की तपिश' …'नस्तुर-इ-जिगर' काबिल-इ-गौर ही नहीं तारीफ़ भी हैं……बस ऐसे ही जुड़े रहिये…..
Bahut shaandar rachna hai, badhaayi.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
atisundar abivyakti..
achha laga padh kar…
खूबसूरत है एक गीत भी याद आया है "आज हम उनकी दुआओं का सर देखेंगे…"
दिल को छू गयी आपकी गजल। मुबारकबाद कुबूल फरमाएं।
shika ji , mere paas shabd nahi aapki is gazal ki tareef ke liye .. main kya kahun , maun me hoon.. aapne dil ko choo liya hai ji ….
kudos ….
aabhar
vijay
pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com
bahut badhiya…………….prayas karte rahiye aap shikhar pe honge……………..
आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे
तीरे नज़र देखेंगे, जख्मे जिगर देखेंगे
अच्छी रचना…
सादर..
खूबसूरत अभिव्यक्ति
वाह!क्या बात है।
सादर
behtrin lafjo ka yugm…bahut sundar rachna …man ko chhoo gai…!
वाह …बहुत खूब, बढि़या भाव संयोजन के लिए बधाई ।
बहुत खूबसूरत रचना…
दाद कबूल करें.
चाहे तू जितना दबा ले मन का तूफान मगर
आज हम अपनी बफाओं का असर देखेंगे।
wah! bahut hi sundar.
behtarin ghazal. badhai.
लरजते होंटों की दुआओं का फन देखेंगे,
दिल से निकली हुई आहों का असर देखेंगे,
चाहे तू जितना दबा ले मन का तूफान मगर
आज हम अपनी बफाओं का असर देखेंगे
बहुत खूबसूरत…
तब तेरी आँखों में भरे खारे पानी में,
हम अपनी यादों का नस्तूर ए जिगर देखेंगे.
खूबसूरत है
उस चिंगारी को दे अपनी रूह की तपिश,
हम हवाओं की रवानी का असर देखेंगे।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहतरीन ग़ज़ल….बहुत खूब…..
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