आइये आज आप सबको ले चलती हूँ रिवर थेम्स के क्रूज पर. नदी के किनारे बहुत सी  एतिहासिक इमारतें हैं और उनकी एक अपनी पहचान भी है ..पर मेरी नजरों को देखिये वो उनसे अलग भी कुछ देख लेती हैं ..तो आपको दिखाती हूँ कुछ तथ्य और कुछ अपने कथ्य 🙂 
सबसे पहले 
लन्दन आई – अरे मैं लन्दन नहीं आई. मतलब की लन्दन की आँख. सॉरी आँखें ..अब इतना सब है लन्दन  में देखने को तो इतनी आँखें तो कम से कम चाहिए ही होंगी .




















ओल्ड सिटी स्कूल ऑफ़ लन्दन – बड़ी बड़ी हस्तियाँ पढ़ी हैं इसमें – .हाँ पढ़ना जरुरी जो है सबका वर्ना सोशल  सर्विस वाले उठाकर ले जायेंगे .


               







लन्दन ब्रिज – विल नेवर फाल डाउन ..पर उसके ऊपर से आप क्रूज पर हैं तो कुछ भी गिर सकता है इसलिए उन्हें हाथ  हिलाना जरुरी है जिससे कि पुल पर खड़े  लोगों के हाथ आपको बाय करने में व्यस्त रहें और कुछ आपके ऊपर फेंकें नहीं .



बेलफास्ट  शिप – अब इसके अन्दर वार म्यूजियम   है ..हमें इसमें ज्यादा इंटरेस्ट नहीं था पर क्योंकि अपने दीपक मशाल जी बेलफास्ट में वहां रहते हैं इसलिए तस्वीर खींच ली :)










सिटी हॉल – सुना है इसे बनाने वाले का दावा  था कि सबसे एकोनोमिकल बनाया जायेगा इसे ..इसलिए इसके नामकरण के लिए ना जाने कितनी कमेटियां बिठाईं  गईं …कितना ही मिलियन पौंड्स खर्च किये गए और  आखिर कार नाम दिया गया “सिटी हॉल” ..वाह क्या रचनात्मकता है :)और क्या पैसे की बचत .आखिर मेयर जो बैठते हैं यहाँ



 टॉवर ब्रिज – ये साल में ५०० बार खुलता है और दिन में ४ बार ..बड़े बड़े लोगों के लिए समय की कोई पाबन्दी नहीं है.



एंट्री टू द त्रिअटर गेट – नदी से टॉवर तक जाने का पहला रास्ता .उसके बाद तो जहाँ से मर्जी आइये 







थ्री ग्लास बिल्डिंग्स – शायद किसी खिड़की साफ़ करने वाली कंपनी का ऑफिस है ..अब वही इतना पैसा कमाते हैं .










कुछ जोर्जियन समय की इमारत  – कुछ खिड़कियाँ बंद देख रहे हैं आप? ये इसलिए क्यों तब हर खिड़की पर टैक्स था ..जितनी खिड़की उतना टैक्स ..तो लोग कुछ खिड़कियाँ ईंट से बंद करा दिया करते थे  ..वाह क्या तरीका है टैक्स बचाने का.

लाइम हाउस एंट्रेंस – इस रास्ते नाव से ही मिडलेंड्स   तक जाया जा सकता है …रोड पर तो ट्रैफिक  बहुत होता है ना .

अब आखिर में एक बात और  
थेम्स नदी के नीचे ३ रोड की टनल हैं — हाँ भाई जरुरी हैं ऊपर की रोड पर तो जगह ही नहीं  बची ना.
वैसे और भी बहुत कुछ दिखाई पड़ता है आस पास पर वो फिर कभी 🙂