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अलगनी पर टंगी उदासियाँ (विडियो /Video)

January 23, 2018
4 Comments
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mm

wpadmin

अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.

एक रात और तूफानी हवाएं.
एक जरूरी “न” …

4 comments

  • ergfir nolikz

    Thankyou for this wonderful post, I am glad I observed this website on yahoo.

    Jul 24, 2018
    Reply
  • Jenny Merlo

    Way cool, some valid points! I appreciate you making this article available, the rest of the site is also high quality. Have a fun.

    Jul 25, 2018
    Reply
  • Strap on

    “Enjoyed every bit of your blog post.Thanks Again. Fantastic.”

    Aug 15, 2018
    Reply
  • country boy can survive karaoke

    Awesome blog! Is your theme custom made or did you download it from somewhere? A design like yours with a few simple adjustements would really make my blog stand out. Please let me know where you got your design. With thanks

    Aug 28, 2018
    Reply

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  • कभी यूँ भी तो हो…
  • जीवन, समय और कुछ योद्धा…
  • कुछ बड़े होते लोग…

परिचय

mm

अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.

मेरे बारे में

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      यूँ भी दिवाली ...
      पश्चिम का चाँद....
      अजब गज़ब विरोध नीति...
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      हमसाया...
      जर्नलिज्म नेवर डाइज...
      जिम्मेदार कौन ???
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      लाल समुन्दर
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      काला सा... काला ....
      अथातो डोन्ट तमाशा...
      यंत्र और एहसास...
      रंगीन दुशाला...
      नवयुवाओं में बढ़ता तनाव ??
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      #रसोई चिंतन...रसोई में पकते ख्याल ...
      बाथरूम सुधार... आठ सूत्रीय योजना.. :)
    • अगस्त 2014 (2)

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      पीले पन्नों वाली डायरी...
      कार्य वर्गीकरण का बदलाव...
    • जुलाई 2014 (2)

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      फ़ास्ट फॉरवर्ड पीढी-
      रूचि बनाम आजीविका....
    • जून 2014 (6)

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      हंगामा क्यों है बरपा...
      आलू चना...
      जो है और जो नहीं है...
      ऐसा नहीं कोई और....
      все те же (सब एक ही.) ... एक रूसी कविता
      बेतरतीब ख़याल.....
    • मई 2014 (2)

      मई 2014 (2)

      मैं और मनीषा की "पंचकन्या"
      थर्ड सेक्स और सामाजिकता..
    • अप्रैल 2014 (3)

      अप्रैल 2014 (3)

      बार्बी डॉल मैं असली ...
      बाती..
      क्या ? क्यों ? किसके लिए ?
    • मार्च 2014 (4)

      मार्च 2014 (4)

      यह भी तो ज़रूरी है न !
      स्यापा गुझिया का.....
      अलगनी पर टंगी उदासियाँ ...
      दोराहे पर अस्तित्व ?
    • फ़रवरी 2014 (2)

      फ़रवरी 2014 (2)

      मेट्रो चिंतन..
      पापा की घड़ी..
    • जनवरी 2014 (4)

      जनवरी 2014 (4)

      जिद्दी जिंदगी..
      बोली जिंदगी ...
      ऐसा भी दान...
      Give him a break... have a Kitkat ... :)
  • 2013 (44)
    • दिसंबर 2013 (3)

      दिसंबर 2013 (3)

      मेले तो मेले होते हैं...
      जिजीविषा...
      गरज बरस..
    • नवंबर 2013 (2)

      नवंबर 2013 (2)

      "डब्बा वाला" ऑफ लन्दन
      बदलते मौसम...
    • अक्टूबर 2013 (3)

      अक्टूबर 2013 (3)

      ऐसा भी उपहार ???
      उन पटरियों के संग संग....
      शब्दों का स्वेटर...
    • सितंबर 2013 (6)

      सितंबर 2013 (6)

      आये हाय ये मजबूरी ...
      गली ग़ालिब की..
      कच्ची मिट्टी... (समापन)
      कच्ची मिट्टी...
      यहाँ भी बाबा ..
      कुछ खट्टा कुछ मीठा मेला..(भारत प्रवास २०१३ के कुछ बिखरे पन्ने-1)
    • जुलाई 2013 (4)

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      "मन के प्रतिबिम्ब" और छुट्टियां ...
      हमारा धर्म और हम.
      बॉसिज्म..
      नफरत ऐसी भी.. :)
    • जून 2013 (4)

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      कड़वा सच ...
      गृह विज्ञान ..किसके लिए ?
      ठौर कहाँ ...
      मस्ती से भरपूर.फिल्म "यह जवानी है दीवानी".
    • मई 2013 (4)

      मई 2013 (4)

      मजहब नहीं सिखाता ....
      जमाव रिश्तों का ...
      त्रिशूल,चीड़ और भांग --दिग दिगंत आमोद भरा...
      चीखते प्रश्न...
    • अप्रैल 2013 (3)

      अप्रैल 2013 (3)

      थोड़ा अपना सा,थोड़ा बेगाना सा ..
      बड़ा हुआ बच्चा.
      उगतीं हैं कवितायें...
    • मार्च 2013 (5)

      मार्च 2013 (5)

      रंगों का मेला-देश काल से परे...
      एक दिन "लेखनी सानिध्य" में ...
      अब और क्या ??
      विचारों की मनमानी....
      पन्नों में सिमटा रूस है “स्मृतियों में रूस”
    • फ़रवरी 2013 (4)

      फ़रवरी 2013 (4)

      टप टप टपा टप टप ....
      गलियों के ये गैंग.
      अपने हिस्से का आकाश ...
      हलवा -परांठा से पापा...
    • जनवरी 2013 (6)

      जनवरी 2013 (6)

      असमंजस..
      पुस्तकालय ऐसे भी..
      रिश्ते ..
      अवांछित टहनियाँ ...
      एक कैपेचीनो और "कठपुतलियाँ"
      कितना जरुरी है डर...
  • 2012 (58)
    • दिसंबर 2012 (4)

      दिसंबर 2012 (4)

      प्रलय-....बाकी है ??
      उन्नति और सभ्यता...
      सफ़ेद चादर...
      अनजाना सा डर ...
    • नवंबर 2012 (5)

      नवंबर 2012 (5)

      गई थी गर्व से, निराश हो आई....
      कभी कभी यूँ भी ....
      "जब तक है जान " यश चोपड़ा की खातिर...
      ये आंसू मेरे दिल की जुबान हैं...
      हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स की एक शाम और निदा फ़ाज़ली ...
    • अक्टूबर 2012 (8)

      अक्टूबर 2012 (8)

      काश लौट आए वो माधुर्य. (ध्वनि तरंगों पर ..)
      चलती कार में ठिठकी निगाहें ....
      एक शाम तेजेंद्र शर्मा के नाम..
      बदल रहा है हिंदी सिनेमा...
      गूंगा चाँद. :)
      सवा सौ प्रतिशत आजादी..
      मुझे याद है प्रिय ! याद है .Я помню, любимая, помню
      छत पर अटके ख्याल....
    • सितंबर 2012 (3)

      सितंबर 2012 (3)

      हल्का- फुल्का
      उलझा सुलझा सा कुछ...
      अमित्रस्य कुतो सुखम....
    • अगस्त 2012 (1)

      अगस्त 2012 (1)

      न्यू मीडिया की मंजिल अब दूर नहीं लगती.
    • जुलाई 2012 (6)

      जुलाई 2012 (6)

      लन्दन में मेले होंगे,अफ़सोस हम न होंगे :) :)."टॉर्च रिले 2012"
      देसी -विदेसी "कॉकटेल "..
      एक कली...
      कितने नैचुरल ये अननैचुरल रिश्ते.
      तिनके...
      अलकनंदा का रोमांच
    • जून 2012 (4)

      जून 2012 (4)

      ऐसे कुछ पल...
      लॉफिंग .....बुद्धा नहीं...पुलिस ..
      कई बार यूँ भी होता है...
      करवट लेते सपने...
    • मई 2012 (7)

      मई 2012 (7)

      पॉश खेल ..
      ज़रा सोचिये ..
      "मैं" बनाम "हम"
      एक बासंती दिन ..हायड पार्क लन्दन..
      "सत्यमेव जयते" कितने अहम हैं मुद्दे..
      लन्दन और लोमडी ...
      मन्नू भंडारी की "अकेली " एक नजर ...
    • अप्रैल 2012 (5)

      अप्रैल 2012 (5)

      उम्मीदों का सूरज.
      डूबते सूरज की चमक ..
      वो निरीह ..
      नन्ही कली..
      माध्यम बदलता है,स्वभाव नहीं
    • मार्च 2012 (5)

      मार्च 2012 (5)

      फितरत ...
      क्या आप सफल हैं???.
      "स्मृतियों में रूस" लोकार्पित.
      ज़रा देखना...
      जय हो....
    • फ़रवरी 2012 (6)

      फ़रवरी 2012 (6)

      भावनाऐं...कुछ ऐसी भी...
      आखिर औरत होने में बुरा क्या है????
      गुनगुना पानी...
      ऐसी वाणी बोलिए.
      और अंत में प्रेम ..............
      गवाक्षों से झांकते पल..
    • जनवरी 2012 (4)

      जनवरी 2012 (4)

      मियाँ की जूती मियाँ के सिर.
      रंगीनियों का शहर "पेरिस"
      यूँ ही .....कभी कभी...
      एक करुण कहानी,एक आईआईटीयन की जुबानी.
  • 2011 (52)
    • दिसंबर 2011 (4)

      दिसंबर 2011 (4)

      स्मृति रथ.
      इतना सा फसाना ...
      जब मौन प्रखर हो...
      डिग्री ही नहीं शिक्षा भी जरुरी.
    • नवंबर 2011 (4)

      नवंबर 2011 (4)

      जीना यहाँ.. मरना यहाँ ..
      धुंआ धुंआ जिंदगी...
      रूहानी प्यार "रॉक स्टार"
      पगडंडी की तलाश
    • अक्टूबर 2011 (4)

      अक्टूबर 2011 (4)

      गट्ठे भावनाओं के
      कहाँ जा रहे हैं हम ???
      तेरे साथ ही मेरी दीवानगी गई...
      स्वप्न, परी और प्रेम.
    • सितंबर 2011 (6)

      सितंबर 2011 (6)

      Yes....we are ready..
      कुछ पल.
      रोइए नहीं हाथ बढाइये.
      मोमोस
      क्या विवाह बाधक है???
      कुछ यादें, बातें, और मुलाकातें...
    • जुलाई 2011 (4)

      जुलाई 2011 (4)

      कुछ कुलबुलाहटें
      क्या यही डांस है...हाँ हाँ यही डांस है ....
      जिद्दी कहीं का.
      यू के क्षेत्रीय हिंदी सम्मलेन 2011
    • जून 2011 (5)

      जून 2011 (5)

      तू और मैं ...
      उड़ान
      इन्द्रलोक में ब्लॉगिंग...
      शेक्सपियर के शहर के अनपढ़ बच्चे
      मखमली आवाज़ और खुमार...
    • मई 2011 (6)

      मई 2011 (6)

      यूँ ही कभी कभी ...
      भोजन अभियान.
      खाते पीते घर का...
      पुरानी कमीज
      गुम्बद में अनोखी दुनिया." एडेन प्रोजेक्ट"
      चलो यही सही....
    • अप्रैल 2011 (4)

      अप्रैल 2011 (4)

      गर्मी मौसम की या?????
      दिल बोले अन्ना मेरा गाँधी.....
      ख्याली मटरगश्ती..
      कोकोनट पीपल...
    • मार्च 2011 (5)

      मार्च 2011 (5)

      पाना मुश्किल है या निभाना.????
      यू के में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन. एक झलक ..
      आज मैं ऊपर आसमां नीचे....
      उजला आस्मां देख लूँ तो चलूँ...
      बस एक "लौ"
    • फ़रवरी 2011 (6)

      फ़रवरी 2011 (6)

      घूमता पहिया वक्त का.
      यही होता है रोज.
      क्या भारतीय बदबूदार होते हैं?
      किस रूप में चाहूँ तुझे मैं ?
      प्रेम, रंग और मसाले
      यवनिका यादों की ...
    • जनवरी 2011 (4)

      जनवरी 2011 (4)

      एक और तमाचा...
      जाने क्यों???
      हाथ में सुट्टा लबों पे गाली ,हाय री मीडिया बेचारी....
      मोस्को ..हर दिल के करीब.
  • 2010 (70)
    • दिसंबर 2010 (6)

      दिसंबर 2010 (6)

      आओ खेलें विधा विधा
      आभासी दुनिया की अनमोल खुशियाँ..
      ठिठुरता सेंटा
      इक नज़र जिंदगी...
      टॉल्सटॉय,गोर्की और यह नन्हा दिमाग :(
      चोरी हुआ आखिरी सलाम .
    • नवंबर 2010 (6)

      नवंबर 2010 (6)

      जय बोलो लोकतंत्र की ..
      रूस और समोवर....
      हाँ शायद...
      कुछ मस्ती कुछ तफरी.(रूस प्रवास २)
      टूटते देश में बनता भविष्य.(मेरा रूस प्रवास.)
      लुप्तप्राय संस्कृति ..क्या साजिश.....?
    • अक्टूबर 2010 (4)

      अक्टूबर 2010 (4)

      चलो अरुंधती राय बन जाएँ
      ऐसा भी है लन्दन...
      पर्दा धूप पे
      क्या इतिहास फिर से दोहराएगा खुद को ?
    • सितंबर 2010 (6)

      सितंबर 2010 (6)

      अभी स्वर्णमयी लंका ...
      गणपति आये लन्दन में .
      ये क्या हुआ ......
      कहाँ बुढापा ज्यादा .
      स्टेशन की बैंच से कॉन्वोकेशन के स्टेज तक.(संस्मरण की आखिरी किश्त )
      दो दिन, स्कॉटस और बैग पाइप .
    • अगस्त 2010 (5)

      अगस्त 2010 (5)

      चल रहने दे !
      टर्निंग पॉइंट ...
      यूँ ही बैठे ठाले ..
      थेम्ज क्रूज ..मेरी नजर से :)
      चाँद और मेरी गाँठ
    • जुलाई 2010 (5)

      जुलाई 2010 (5)

      इसरार बादल का
      क्या करें क्या न करें ..ये कैसी मुश्किल हाय ...
      भुन रहा है लन्दन ..
      ये कहाँ आ गए हम ...." मेरी स्विस यात्रा."
      आज इन बाहों में
    • जून 2010 (10)

      जून 2010 (10)

      हम ऐसा क्यों करते हैं ? भाग ३ (शांति शब्द का उच्चारण तीन बार )
      हम ऐसा क्यों करते हैं ? भाग २ ( उपवास.)
      हम ऐसा क्यों करते हैं ?भाग - १ (दिया )
      करैक्टर लेस गिफ्ट
      एक बुत मैडम तुसाद में .
      एक दिन एक गाँव में...
      मैं एक कविता बस छोटी सी
      ब्लॉगजगत में अनोखी चोरी
      उसका / मेरा चाँद
      वो कौन थी ?
    • मई 2010 (7)

      मई 2010 (7)

      हिंगलिश रिश्ते
      जन्म दिन हमारा मिलेंगे लड्डू सबको....इस पार्टी में आप सब सादर आमंत्रित हैं
      'एक शून्य तृप्ति..!!
      कैमरा ......लाइट ......एक्शन ....और बचपन खल्लास .....
      महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम
      जितने जमीन के ऊपर उतने ही जमीन के नीचे.
      शायद झुलसती गर्मी में ही गर्माते हैं रिश्ते .....मेरा भारत प्रवास------ शिखा
    • मार्च 2010 (8)

      मार्च 2010 (8)

      हम तो जाते अपने गाम सबको राम राम राम
      लन्दन के स्कूलों में मनाया जाता है इंडिया डे
      वक़्त वक़्त की बात है..
      अहसास
      हम ऐसे क्यों हैं?
      ओमकार से ओम तक की यात्रा
      वहीं जहाँ से आई थी
      किसी और के वास्ते
    • फ़रवरी 2010 (5)

      फ़रवरी 2010 (5)

      भंग की तरंग में होली का हुडदंग
      चक्कर घनचक्कर
      प्यार बांटते चलो.
      मेरा हीरो
      एक और अंग्रेजी सच
    • जनवरी 2010 (8)

      जनवरी 2010 (8)

      मेरा गिरना तेरा उठाना
      अरे चाय दे दे मेरी माँ !
      चीत्कार उठी भारत माता
      किसकी शामत आई है
      वेनिस की एक शाम
      सीले सपने
      खुशदीप जी के १० पॉइंट्स का दूसरा रुख
      क्या बेबकूफ सिर्फ हम हैं?
  • 2009 (61)
    • दिसंबर 2009 (5)

      दिसंबर 2009 (5)

      मुठ्ठी भर रेत
      बर्फ के फाहे
      हे नारी तू हड़प्पा है.
      आँखों का सागर.
      अन्तर-जाली रिश्ते.
    • नवंबर 2009 (5)

      नवंबर 2009 (5)

      उछ्लूं लपकूं और छू लूँ
      करवट लेती जिन्दगी.
      तुम्हारे लिए
      शुक्र की मंगल से होड़
      दो पाटों के बीच में ......
    • अक्टूबर 2009 (5)

      अक्टूबर 2009 (5)

      कुछ रंग बिरंगी फुआरें
      ऐ सुनो !
      रुकते थमते से ये कदम
      लो फ़िर आ गई दिवाली
      मैं हिंदी हूँ.
    • सितंबर 2009 (3)

      सितंबर 2009 (3)

      करवा चौथ बदलते परिवेश में
      अभिलाषाओं का टोकरा
      शेक्सपियर की जन्मस्थली (स्टार्टफोर्ड अपोन अवोन)
    • अगस्त 2009 (3)

      अगस्त 2009 (3)

      सौदा
      हे स्त्री !
      रिक्तता
    • जुलाई 2009 (3)

      जुलाई 2009 (3)

      नानी और मुन्नी
      असर देखेंगे
      अमृत रस
    • जून 2009 (2)

      जून 2009 (2)

      आरजू
      जूनून
    • मई 2009 (2)

      मई 2009 (2)

      ये प्यार है
      ओस और प्राणी
    • अप्रैल 2009 (33)

      अप्रैल 2009 (33)

      यतीम
      होरी खेलन चल दिए श्री मुसद्दी लाल
      भीड़
      तेरे संग रहूंगी
      स्वप्नफूल
      पलकें
      जा रहे हो कौन पथ पर...
      ज़ब्ते ग़म
      मेरी पनाह
      क्या हम आजाद हैं ?
      आजकल के हालात
      मैं तेरी परछाई हूँ
      उलझे धागे
      काली अँधेरी रात
      NRI
      एक क़तरा आसमान
      मेरा देश महान.
      तुझ पर मैं क्या लिखूं माँ
      एहसास का असर
      पूरब पश्चिम
      नारी
      पापा तुम लौट आओ ना
      लौट आ
      मेरा जहाँ
      काश .......
      जीवन सार
      हसरत. ...
      अगर यूँ हुआ होता
      ख्वाइश .
      तमन्ना
      सच्चा ख्वाब
      कसूर
      कौन

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