आइये आज आपको ले चलती हूँ एडिनबर्ग   .स्कॉट्लैंड की राजधानी.-  स्कॉट्लैंड- जो १७०७ से पहले एक  स्वतंत्र राष्ट्र था , अब इंग्लैंड का एक हिस्सा है और  ग्रेट ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के एक तिहाई हिस्से को घेरे हुए   है ,दक्षिण में इंग्लैंड की सीमा को छूता है तो पूर्व में नोर्थ सी को, जिसके उत्तर पश्चिम में अटलांटिक सागर है और दक्षिण पश्चिम में नोर्थ चैनल और आयरिश सागर.

किले के अन्दर मेरी कुईन आफ स्कॉट जिसे पैदा होने के ९ दिनबाद ही रानी बना दिया गया और कहा जाता है वह पूरे आयोजन के दौरान रोती रही थी.


  स्कॉट्लैंड के नाम से ही प्रसिद्ध ” स्कॉट्लैंड यार्ड ” ज़हन  में आता है ,स्कॉटिश पुलिस सारी दुनिया में मशहूर है .एक तेज़ तर्रार , अनुशासित  ,कर्तव्य परायण  और देशभक्त शाखा …और यही खासियत है यहाँ के निवासियों की .कहने को तो स्कॉट्लैंड अब इंग्लैंड  का ही हिस्सा है परन्तु इनका रहन सहन ,रीतिरिवाज़, परम्पराएँ   अंग्रेजों से बहुत अलग हैं .इसलिए अगर आपको अपनी अंग्रेजी पर गुमान है तो एडिन्बर्ग   पहुँच  कर उसे अपनी जेब में रख लीजिये क्योंकि ना तो आपकी अंग्रेज़ी की, ना आपकी अंग्रेज़ियत  की वहां कोई पूछ होने  वाली  है …बल्कि संभव है ज्यादा अंग्रेजियत दिखाने से आपको नुक्सान ही हो .इंग्लैंड की रानी को बेशक यहाँ के निवासियों ने स्वीकार कर लिया है पर स्कॉट्लैंड का अपना अलग मंत्रिमंडल है और अलग नियम कानून .यहाँ के लोग कुछ खफ़ा  -खफ़ा  से रहते हैं इंग्लैंड वालों से.यहाँ तक कि  यहाँ की मुद्रा का मूल्य ब्रिटिश पौंड्स जैसा ही होने पर भी उसका रंग रूप अलग है और उसपर इंग्लैंड की  रानी की छवि नहीं है.
 
British and scotish Pounds.यहाँ वैसे तो अंग्रेजी ही बोली जाती है पर उच्चारण  काफी अलग  है और यहाँ की  स्थानीय  भाषा और दिनचर्या  पर फ्रेंच का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है  इसका कारण हमारे टूरिस्ट  गाइड ने बताया  कि –  ” अंग्रेजी राज  में शामिल होने से पहले स्कॉट्लैंड ने फ़्रांस से दोस्ती कर ली थी …वो कहते हैं ना दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त …फ़्रांस उस समय इंग्लैंड का दुश्मन था.क्योंकि इंग्लैंड को हमेशा से ये ग़लतफ़हमी थी कि फ़्रांस और स्कॉट्लैंड पर राज करना उनका जन्म सिद्ध अधिकार  है .” .कहा जाता है  आज भी  हर स्कॉट (स्कॉट्लैंड वासी ) तकनीकि  रूप से खुद को फ़्रांस का नागरिक मानता है .
अपनी धरती और परम्पराओं से प्यार करने वाले लोगों का यह राज्य  प्राकृतिक  रूप से भी मालामाल है .समुन्द्र  और पहाड़ों के बीच बसा एडिनबर्ग  शहर अनुपम छटा बिखेरता है उसपर आलीशान और पुरातन किले जैसे स्कॉट्लैंड का ५००० साल पुराना शानदार इतिहास  बताते प्रतीत होते हैं , इन किलों ,इसाई मठों  और इमारतों के चप्पे  चप्पे में वहां के लोगों के जीवन की झलकियाँ , आचार व्यवहार ,वैभव  ,गौरव गाथाएं जैसे बिखरी पड़ी  हैं.

सबसे पहले एडिनबर्ग  का किला – .एक शक्तिशाली दुर्ग ,देश का रक्षक ,और एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटक  आकर्षण, जो एक मजबूत चट्टान पर खड़ा सदियों से क्षितिज पर हावी  है.किले की मजबूत पत्थर की दीवारों ने बहुत से तूफ़ान झेले हैं और इसके आलीशान भवन सदियों तक स्कॉटिश राजा, रानियों के निवास रहे हैं. आज ये स्कॉट्लैंड के राजसी ताज ,कीमती जेवरात ,३ मिलिट्री संग्रहालय ,राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ,और युद्ध हथियारों  की प्रदर्शनी का आवास है .
किले में एक गिफ्ट शॉप भी हैं जहाँ स्मृति चिह्न  और जेवरों के अलावा प्रसिद्द   स्कॉटिश विह्स्की भी खरीदी जा सकती है ,और एक कैफे भी है जहाँ फिश एंड चिप्स से हटकर – स्कॉटिश खाने का और स्कॉट्लैंड की मशहूर शोर्ट ब्रेड  का आनंद लिया जा सकता है.

अब चलते हैं होलिरूड पेलेस – इंग्लैंड की रानी का ऑफिशियल रेसिडेंस – वहां हमें बताया गया कि  जब राजसी परिवार से कोई यहाँ आता है तो उसका झंडा फहरा दिया जाता है ..राज परिवार के हर सदस्य का अपना अलग झंडा है एक ..तभी एक छोटे से बच्चे ने बड़ा सा प्रश्न पूछ लिया की अगर एक साथ एक से अधिक राजपरिवार के लोग आ जाएँ तो किसका झंडा लगेगा? बात पते  की थी ..थोड़ी देर सोचने के बाद गाइड ने जबाब दिया ऐसी स्थिति में सबसे बड़े और अधिक महत्वपूर्ण  सदस्य का झंडा लगाया जायेगा .वैसे महल का कुछ हिस्सा ही राजपरिवार के लिए है ..और कुछ हिस्से को संग्राहलय बना दिया गया है ..एक बड़ी दिलचस्प बात वहां हमें बताई गई ..वो यह कि – महल तो इतना बड़ा था पर उस ज़माने में शौचालय तो होते नहीं थे ..तो राज परिवार के लोग क्या करते थे ? हम्म उनके बिस्तर के नीचे एक बड़ा सा कटोरा रखा होता था ..जो करना होता था वो उसमें करते थे कभी कभी पूरी रात वो वहीँ पड़ा रहता था ..फिर सुबह नौकर चाकर उसे ले जाकर बाहर सड़क पर ऐसे ही फेंक दिया करते  थे .और तो और  वहां रह रहे बड़े बड़े अफसर  उस सड़क पर अपनी खिडकियों से इसी तरह  मल मूत्र बाहर फेंक दिया करते थे और उस सड़क पर चलने वाला गरीब आदमी ….उसका भगवान ही मालिक था ..बहुत फक्र हुआ हमें अपने भारतीय होने पर कि  जमाना चाहे जो भी रहा हो इतने असभ्य तो हम कभी नहीं रहे.

इसी तरह के और ना जाने कितने महलों , और स्मारकों  के अलावा स्कॉट्लैंड में हैं खूबसूरत हाई लेंड्स,  सुन्दर वृक्षों   से लदी घाटियाँ ,और अपने में ही एक  कहानी कहती झीलें ,जहाँ कहा जाता है कि  यहाँ की घाटियों में और झीलों में आज भी डायना सौर  रहते हैं जिसे यहाँ “नैसी  दानव” कहा जाता है और बताया जाता है कि एक झील में इसे आज भी देखा जाता है ,एक बड़े अजगर की तरह के इसके स्मृतिचिह्न  आप स्कॉट्लैंड की किसी भी दूकान से खरीद सकते हैं ..
लेक नेस और नैसी 
स्कॉट्लैंड में यूरोप शैली की खुली और मिश्रित अर्थव्यवस्था है , परंपरागत रूप से, स्कॉटिश अर्थव्यवस्था भारी उद्योग जैसे ग्लासगो में जहाज निर्माण, कोयला खनन और इस्पात उद्योग पर टिकी. थी .१९७० और १९८० में उद्योगीकरण के दौरान स्कॉट्लैंड की अर्थव्यवस्था में बदलाव आया और और उद्योगीकरण  से वित्तीय  सेवा की तरफ ज्यादा ध्यान जाने लगा .आज एडिनबरा स्कॉटलैंड का सबसे बड़ा  वित्तीय सेवा केंद्र और यूरोप में वित्तीय केंद्र के रूप में धन प्रबंधन के तहत लंदन , पेरिस, फ्रैंकफर्ट, ज्यूरिख और एम्स्टर्डम,के बाद  छठा सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र  है .इसके अलावा स्कॉट्लैंड में सिंगल माल्ट  विह्स्की की भी कई फक्ट्रियां हैं .
स्कॉट्लैंड की मशहूर सिंगल माल्ट विह्स्की की फैक्ट्री./
 और लोगों के खानपान में पारंपरिक अंग्रेजी खाने के अलावा इटालियन ,फ्रेंच और मक्स्सिकन खाने का प्रभाव देखा जाता है.

आज के एडिनबरा में आधुनिक इमारतें भी हैं और एक विकसित देश की सभी सुख सुविधाएँ भी , मनोरंजन के लिए आधुनिक बार और क्लब भी …लेकिन फिर भी कदम कदम पर पुरानी परम्पराओं और संस्कृति की चमक दिखाई देती है


स्कॉट्लैंड में सबसे ज्यादा आकर्षित करता है वहां के लोगों का पहनावा – एक बहुत ही मुलायम और ऊनी चेक के कपडे को कई बार लपेट कर बनाई हुई स्कर्ट  ,उसपर कमीज और कली जेकेट एक लटकने वाला पर्स ,और नीचे ऊनी मोज़े और बड़े बूट …ये पुरुष और महिलाओं का लगभग एक सा ही पहनावा है ..और एडिनबरा  की सड़कों  पर पुरुष इस परिधान में बैग पाइप पर मधुर धुन बजाते जगह जगह दीख जाते हैं.और इस धुन में स्कॉट्लैंड के ५००० वर्षों के स्वर्णिम इतिहास की सुगंध से वातावरण महक उठता है .. और फिजायें कह उठती हैं आगंतुकों से –
आना फिर से इन वादियों में.

करने  कुदरत से  गलबहियाँ
डाल झीलों के हाथों में हाथ 

रेत पर चलना पयियाँ – पयियाँ