कल रात सपने में वो मिला था कर रहा था बातें, न जाने कैसी कैसी कभी कहता यह कर, कभी कहता वो कभी इधर लुढ़कता,कभी उधर उछलता फिर बैठ जाता, शायद थक जाता था वो फिर तुनकता और करने लगता जिरह आखिर क्यों नहीं सुनती मैं बात उसकी क्यों लगाती हूँ हरदम ये दिमाग और कर देती हूँ उसे नजर अंदाज मारती रहती हूँ…
यदि विदेशी धरती पर उतरते ही मूलभूत जानकारियों के लिए कोई आपसे कहे कि पुस्तकालय चले जाइए तो आप क्या सोचेंगे? यही न कि पुस्तकालय तो किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ने की जगह होती है, वहां भला प्रशासन व सुविधाओं से जुड़ी जानकारियां कैसे मिलेंगी। यह बात शत प्रतिशत सच है। खासकर इंग्लैंड में। यहां आपको बेशक घर ढूंढ़ना हो,…
रिश्ते मिलते हों बेशक स्वत: ही पर रिश्ते बनते नहीं बनाने पड़ते हैं। करने पड़ते हैं खड़े मान और भरोसे का ईंट, गारा लगा कर निकाल कर स्वार्थ की कील और पोत कर प्रेम के रंग रिश्ते कोई सेब नहीं होते जो टपक पड़ते हैं अचानक और कोई न्यूटन बना देता है उससे कोई भौतिकी का नियम। या ग्रहण कर लेते हैं मनु श्रद्धा और हो…
कुछ ताज़ी हवा के लिए खिड़की खोली तो ठंडी हवा के साथ तेज कर्कश सी आवाजें भी आईं, ठण्ड के थपेड़े झेलते हुए झाँक कर देखा तो घर के सामने वाले पेड़ की छटाई हो रही थी।एक कर्मचारी सीढियाँ लगा कर पेड़ पर चढ़ा हुआ था और इलेक्ट्रिक आरी से फटाफट टहनियां काट रहा था, दूसरा ,थोड़ी दूरी पर ही ट्रक के साथ रखी मशीन…
सुबह उठ कर खिड़की के परदे हटाये तो आसमान धुंधला सा लगा। सोचा आँखें ठीक से खुली नहीं हैं अँधेरा अभी छटा नहीं है इसलिए ठीक से दिखाई नहीं दे रहा। यहाँ कोई इतनी सुबह परदे नहीं हटाता पारदर्शी शीशों की खिड़कियाँ जो हैं। बाहर अँधेरा और घर के अन्दर उजाला हो तो सामने वाले को आपके घर के अन्दर का हाल साफ़ नजर आता…





