इंग्लिश समर की सुहानी शाम है,  अपोलो लन्दन के बाहर बेइन्तिहाँ  भीड़ है. जगजीत सिंह लाइव इन कंसर्ट है. “तेरी आवाज़ से दिल ओ ज़हन महका है तेरे दीद से नजर भी महक जाये ” कई दिनों से हो रहा यह एहसास जोर पकड़ लेता है. हम अन्दर प्रवेश करते हैं. थियेटर के अन्दर बार भी है. देखा लोग वहां से…

यूँ ही कभी कभी ठन्डे पड़ जाते हैं मेरे हाथ. तितलियाँ सी यूँ ही मडराने लगती हैं पेट में. ऊंगलियाँ करने लगती हैं अठखेलियाँ यूँ ही एक दूसरे से . पलकें स्वत: ही हो जाती हैं बंद. और वहाँ बिना किसी जुगत के ही कुछ बूंदे निकल आती हैं धीरे से. काश कि तेरे पोर उठा लें और  कह दें उन्हें मोती. या…

चाइल्ड ओबेसिटी पर मेरे पिछले लेख में बहुत से पाठकों ने बच्चों में दुबलेपन की शिकायत की.और कहा कि कुछ प्रकाश इस समस्या पर भी डाला जाये .मैं कोई डॉo  नहीं हूँ परन्तु इस समस्या के कुछ देखे भाले अनुभव हैं जिन्हें आपसे बांटना चाहती हूँ .शायद कुछ मदद हो सके. कुछ लोगों ने कहा कि बच्चे कुछ नहीं खाते.…

हवा हुए वे दिन जब बच्चे की तंदरुस्ती  से घर की सम्पन्नता को परखा जाता था. माताएं अपने बच्चे की बलाएँ ले ले नहीं थकती थीं कि  मेरा बच्चा खाते पीते घर का लगता है. एक वक़्त एक रोटी  कम खाई तो चिंता में घुल घुल कर बडबडाया  करती थीं ..हाय मेरे लाल ने आज कुछ नहीं खाया शायद तबियत ठीक नहीं है. नानी दादी से जब भी बच्चा…

कल रात किवाड़ के पीछे लगी खूंटी पर टंगी तेरी उस कमीज पर नजर पड़ी जिसे तूने ना जाने कब यह कह कर टांग दिया था कि अब यह पुरानी हो गई है. और तब से कई सारी आ गईं थीं नई कमीजें सुन्दर,कीमती, समयानुकूल परन्तु अब भी जब हवा के झोंके उस पुरानी कमीज से टकराकर मेरी नासिका में…

इस बार ईस्टर के बाद राजकुमार विलियम की शादी की वजह से २-२ बड़े सप्ताहांत मिले. और शायद यही वजह रही हो कि अचानक लन्दन का मौसम भी बेहद सुहावना हो चला था.अब हमें तो राजकुमार की शादी की खास तैयारियां करनी नहीं थी .ले दे कर एक रिपोर्ट ही लिखनी थी तो सोचा क्यों ना इन सुहानी छुट्टियों का कुछ…

सभी साहित्यकारों से माफी नामे सहित . कृपया निम्न रचना को निर्मल हास्य के तौर पर लें. आजकल मंदी का दौर है उस पर गृहस्थी का बोझ है  इस काबिल तो रहे नहीं कि  अच्छी नौकरी पा पायें  तो हमने सोचा चलो  साहित्यकार ही बन जाएँ  रोज कुछ शब्द  यहाँ के वहां लगायेंगे और नए रंगरूटों को  फलसफा ए लेखन सिखायेंगे कुछ नए…

लन्दन का तापमान आजकल उंचाई पर है .पारा २४ डिग्री पर पहुँच गया है .ये शायद पहली बार है जब यूरोप में सबसे ज्यादा तापमान लन्दन में है लोग अपनी ईस्टर की छुट्टियों में इस बार स्पेन या फ्रांस नहीं जा रहे बल्कि लन्दन में ही सूर्य देवता को नमन कर रहे हैं . समुद्री किनारों पर जैसे सैलाब उमड़ आया…

चल पड़े जिधर दो डग मग में  चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…

आजकल हर जगह अन्ना की हवा चल रही है .बहुत कुछ उड़ता उड़ता यहाँ वहां छिटक रहा है.ऐसे में मेरे ख़याल भी जाने कहाँ कहाँ उड़ गए .और कहाँ कहाँ छिटक गए…. क्षणिकाएं …….. अपनी जिंदगी की  सड़क के  किनारों पर देखो  मेरी जिंदगी के  सफ़े बिखरे हुए पड़े हैं है परेशान  महताब औ  आफताब ये  शब्बे सहर भी  मेरे तेरे…