अभी कुछ दिन पहले मुझे ये ख्याल आया था कि खाली दिमाग कवि का घर …ये बात कही तो मैंने बहुत ही लाईट मूड में थी. पर फिर हाल ही में ,आजकल के कवियों पर पढी एक पोस्ट से पुख्ता हो गई ..वो क्या है आजकल हम लोगों के पास करने को तो और कुछ होता नहीं ..ना गेहूँ बीनने हैं…







