चल पड़े जिधर दो डग मग में चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…






