लोकप्रिय प्रविष्टियां

चल पड़े जिधर दो डग मग में  चल पड़े कोटि पग उसी ओर. ये पंक्तियाँ बचपन से ही कोर्स की किताबों में पढ़ते आ रहे थे .गाँधी को कभी देखा तो ना था. पर अहिंसा और उपवास से अंग्रेजी शासन तक का तख्ता पलट दिया था एक गाँधी नाम के अधनंगे फ़कीर से वृद्ध ने. यही सुनते आये थे. अंग्रेजों की गुलामी से…

याद है तुम्हें ? उस रात को चांदनी में बैठकर  कितने वादे किये थे  कितनी कसमें खाईं थीं. सुना था, उस ठंडी सी हवा ने  जताई भी थी अपनी असहमति  हटा के शाल मेरे कन्धों से. पर मैंने भींच लिया था उसे  अपने दोनों हाथों से.  नहीं सुनना चाहती थी मैं  कुछ भी  किसी से भी. अब किससे करूँ शिकायत …

सिंधु घाटी से मेसोपोटामिया तक मोहन जोदड़ो से हड़प्पा तक  कहाँ कहाँ से न गुजरी औरत,  एक कब्र से दूसरी गुफा तक. अपनी सहूलियत से  करते उदघृत देख कंकालों को  कर दिया परिभाषित।  इस काल में देवी  उस में भोग्या   इसमें पूज्य  तो उसमें त्याज्या  बदलती रही रूप  सभ्यता दर सभ्यता।  जिसने जैसा चाहा उसे रच दिया  अपने अपने…

भूखे नंगों का देश है भारत, खोखली महाशक्ति है , कश्मीर से अलग हो जाना चाहिए उसे .और भी ना जाने क्या क्या विष वमन…पर क्या ये विष वमन अपने ही नागरिक द्वारा भारत के अलावा कोई और देश बर्दाश्त करता ? क्या भारत जैसे लोकतंत्र को गाली देने वाले कहीं भी किसी भी और लोकतंत्र में रहकर उसी को गालियाँ…

एक दिन पड़ोस की नानी और अपनी मुन्नी में ठन गई। अपनी अपनी बात पर दोनों ही अड्ड गईं। नानी बोली क्या जमाना आ गया है…  घड़ी घड़ी डिस्को जाते हैं,  बेकार हाथ पैर हिलाते हैं ये नहीं मंदिर चले जाएँ, एक बार मथ्था ही टेक आयें॥ मुन्नी चिहुंकी तो आपके मंदिर वाले डिस्को नहीं जाते थे? ये बात और…

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