बदलते वक़्त के साथ सब कुछ बदलता जाता है .रहने का तरीका ,खाने का तरीका ,त्यौहार मनाने का तरीका, मृत्यु  का  तरीका और जन्म लेने का तरीका, तो भला जन्म दिन मनाने का तरीका क्यों नहीं बदलेगा .अब देखिये ना जब छोटे बच्चे हुआ करते थे .ना तो टी वी था ना ही टेलीफ़ोन की इतनी सुविधा ,तो जन्म दिन हुआ तो घर में जितने सदस्य थे हैप्पी बर्थडे बोल दिया करते थे ,या कुछ करीबी रिश्तेदारों के कार्ड डाक से आ जाया करते थे .फिर कुछ मेहमानों को अगर बुलाया तो वो आकर बोल दिया करते थे. बहुत हुआ तो स्कूल  में टॉफी  ले जाओ तो क्लास वाले और अपनी टीचर बोल देगी. बस जी हो गया बर्थडे .फिर टेलीफ़ोन आम हुआ तो दोस्तों के फ़ोन आने लगे. कुछ बड़े हुए तो दोस्तों के साथ बर्थडे  मनाने लगे ,फिर और बड़े हुए तो बस जी घर में केक ले आओ काट लो खा लो ज्यादा से ज्यादा बाहर चले जाओ खाना खाने .पर अब देखिये टेक्नोलॉजी  ने जमीं आसमान  सब एक कर दिया है जन्म दिन- जिस दिन हुआ उस दिन ना तो फ़ोन बजना  बंद होता है ना एस एम एस आने,और नेट ऑन कर लिया तो बस ……………

आप भी सोच रहे होंगे कि ये अचानक क्या हो गया मुझे. क्यों जन्म दिन के पीछे पड  गई हूँ .चलिए बता देती हूँ .असल में अभी  २० दिसंबर को हमारा जन्म  दिन था.और इतनी  दुआएं मिलीं की झोली भर गई घर की चादरें, कम्बल सब निकालने पड़े फिर भी सम्भालना मुश्किल हो गया.वह गीत याद आ गया – 
ख़ुशी मिली इतनी कि मन में ना समाये  ,पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही ना जाये..
बच्चों ने भी इतने हाई टेक कार्ड दिए कि मुँह से वाओ निकला और आँखों से दो आंसूं .पूरे कार्ड तो यहाँ दिखाना संभव नहीं पर झलकियाँ आप भी देखिये.

 
और अब ये कार्ड उन्होंने क्रिसमस ट्री  पर टांग दिए हैं.
अभी कुछ दिन पहले अभिषेक ने एक पोस्ट डाली थी, कि उनकी एक दोस्त उदास है क्योंकि वो अकेली है अपने बर्थडे पर.तो मैंने वहां यही लिखा कि आज के युग में आप अकेले हों यह थोडा मुश्किल है. भले ही कोई इस अंतर्जाल की दुनिया को आभासी कहे. पर यह आपको अकेला और उदास तो होने नहीं देता. जन्म दिन भी आपका ऐसे मनता है जैसे पूरा विश्व हैप्पी बर्थडे गा रहा हो.

यही हुआ हमारे साथ भी.  शुभकामनाओं का तांता एक दिन पहले से जो लगना शुरू  हुआ तो दो  दिन बाद तक जारी था .वो भी इतनी सुन्दर ,अपनत्व और प्यार से भरी शुभकामनाये की आँखें क्या मन तक भीग जाये. उस पर हिंदी ब्लॉगजगत के अपनत्व की तो बात ही क्या .(पाबला जी के आभार से) .उस पर  आपके मित्र यदि कवि या कवियत्री हैं तो  शुभकामनाये भी काव्यात्मक मिला करती हैं.एक बहुत ही प्यारी कवयित्री  मित्र  ने देखिये कितनी सुन्दर स्वरचित कविता  भेजी-
पढ़ते हुए मुझे कैसा एहसास हुआ होगा आप अंदाजा लगा सकते हैं .

प्रिय  शिखा  को उसके जन्मदिन पर …………………..

आज के दिन

आसमां से  

उतरी  थी एक परी
माँ – बाबा के आँगन में 
छा गयीं थीं खुशियाँ 
और माँ – बाबा ने 
पकड़ा दिया था 
एक – एक पंख 
ख्वाब और ख्वाहिश का 
आज वो अपने 
विस्तृत आसमां में 
विचर  रही है दृढता से
बस दुआ है कि 
उसके पंखों की 
परवाज़ यूँ ही बनी रहे 
एक और नमूना यह देखिये –
पारिजात हो तेरे आंगन में कामधेनु तुम्हारी चेरी हो
तुम जियो हजारो साल ,जन्मदिन खुशगवार घनेरी हो

और ऐसे ही अनगिनत कविताओं से सजे ई कार्ड मिले. मेल और मेसेज से इनबॉक्स  भरा हुआ था .उस पर ये फेस बुक  तो गज़ब ही ढा देता है सारे भूले- बिछड़े दोस्तों की दुआएं मिल जाती हैं. कितना मीठा मीठा लगता है जब कोई स्नेह से मिठाई की मांग करता है, तो कोई पार्टी की. हालाँकि पता उन्हें भी है, कि ना उन्हें मिलने वाला है ना हम देने वाले हैं पर मतलब तो ख़ुशी से है ना. तो मुँह ना सही मन तो मीठा हो ही जाता है. और बहुत से मित्र ऐसे होते हैं जो वैसे तो रोज़ हाल चाल पूछते हैं पर खास दिन भूल जाते हैं तो ऐसे मित्रों को हम ही कह देते हैं कि जी आज हमारा अवतरण हुआ था इस धरती पर तो आशीर्वाद दे दीजिये. अब क्या है ना दुआओं से तो कभी पेट भरता नहीं और शुभचिंतकों की शुभकामनाये बहुत जरुरी हैं हमारे लिए. तो हम मांग कर भी ले लिया करते हैं. और  वे बेचारे मित्र शर्मिन्दा से होकर  हर प्रोफाइल पर जाकर विश करते हैं ..यानी “आस्क वन गेट फौर फ्री ” मजा  आ जाता है .
खैर इतनी बड़ी राम कहानी सुनाने का मकसद सिर्फ इतना था कि हम तहे दिल से सबका शुक्रिया कहना चाहते थे जो “थैंक  यू” वाले दो  शब्दों में कहना  हमें गवारा ना हुआ.आप सभी को जिसने भी अपने अमूल्य शब्दों से हमें विश किया,या जिसने नहीं किया ,जो भूल गए या जो अभी यहाँ टिप्पणी में करेंगे ….हमारा बहुत बहुत शुक्रिया .दिल से आभार .
Thank you all very much You have made my day.