“In my next life I would like to be born an indian” जी नहीं… ये कथन मेरा नहीं ,मुझे तो ये रुतबा हासिल है….यह कथन है एक अंग्रेज़ का ..जी हाँ ठीक सुना आपने वो अंग्रेज़ जिन्हें भारत में कमियां और अपने देश में खूबियाँ ही नजर आती हैं.यह कहना है Sebastian Shakespeare का जो हाल ही में २ हफ्ते की छुट्टियाँ भारत में बिता कर आये हैं और उन्होंने अपने कुछ खास अनुभव evening standard friday २९ january २०१० में एक लेख के तहत बांटे हैं. असल में इस लेख के शीर्षक ने मेरा ध्यान आकर्षित किया “jobsworths and rudeness – I ‘m back in Britain ..क्योंकि कुछ दिन पूर्व मैने भी ब्रिटेन में कुछ समस्याओं पर एक लेख लिखा था (.http://hamzabaan.blogspot.com/2010/01/blog-post_20.html).जिस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी कि ऐसा नहीं है यहाँ सब बहुत खुश हैं. लेकिन ये लेख लिखा है एक अँगरेज़ ने ,..तो इसी उत्साह में पढ़ गई मैं पूरा लेख ..और यकीन मानिये जैसे जैसे पढ़ती गई , गर्व से फूलती गई…, अपने देश लौटने का जज्बा मजबूत होता गया 🙂 और ये ख़ुशी आप लोगों के साथ बाँटें बिना रहा न गया..और शायद जो लोग भारत में रहकर लन्दन को सपनो का शहर समझते हैं उनकी सोच में कुछ परिवर्तन हो सके..

अपने इस लेख में लेखक कहते हैं – “उन्होंने लन्दन की सड़कों पर पिछले एक हफ्ते में इतने भिखारी देखे हैं जितने उन्होंने अपने पूरे तमिलनाडु दौरे के दौरान नहीं देखे.”भारत विश्व का भविष्य है और विश्व के २५ साल से कम उम्र के लोगों में २५ % लोग भारतीय हैं , और तमिलनाडु भारत के सबसे धनाड्य प्रदेशों में से एक है…
अपने लेख में आगे वे कहते हैं कि अपनी वापसी पर biritish airways की उड़ान में उस वक़्त उन्हें बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई जब एक भारतीय यात्री के साथ एक केबिन सदस्य ने बहुत ही बेरुखी से सुलूक किया.और उसकी सहायता करने से ये कह कर मना कर दिया कि मेरी ड्यूटी तो पीछे खड़े रहने की है...” क्या वह हड़ताल पर चला गया था? ….वाह क्या गज़ब का इम्प्रेशन हम पहली बार इंग्लेंड में आने वाले लोगों को देते हैं…. उसके बाद अगले दिन lloyds बैंक की एक ब्रांच में इसी तरह की ग्राहक सेवा और अनियमता का सामना उन्हें करना पड़ा ..वहां एक ग्राहक जोर जोर से चिल्ला रहा था कि “lloyds had to be bailed out by taxpayers with billions of pounds and yet the bank coudnt even find enough staff to man its tills.” तो मैनेजर महाशय कहते हैं “मैं टिल पर नहीं जा सकता क्योंकि मैं मेनेजर हूँ.”लेखक कहते हैं “तो आखिर मेरी भारत यात्रा के बाद मैं इंग्लैंड के बारे में क्या जनता हूँ? ….यही कि we are a nation of jobsworths.और हमें व्यापारिक ,ग्राहक सम्बन्ध सुधारने के लिए लम्बा रास्ता तय करना है...और आखिर में वह कहते हैं.-.
“कभी ऐसा कहा जाता था कि एक ब्रिटिश बन कर जन्म लेना लॉटरी में पहला इनाम जीतने जैसा है…पर अपने अगले जनम में ..मैं एक भारतीय बनकर जन्म लेना चाहता हूँ.”.
जय हिंद