सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा …..हर जगह आज यही पंक्तियाँ बजती सुनाई दे रही हैं. हर कोई देश भक्ति की भावना से लवरेज दिखाई पड़ता है, अंतर्जाल तिरंगों से भरा पडा है ,.राजपथ से ऐतिहासिक लाल किले तक आठ किलोमीटर लंबे मार्ग पर  गणतंत्र दिवस की परेड में सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों की टुकडि़यों ने बैंड की धुनों पर मार्च किया। परेड में देश के अत्याधुनिक हथियारों का भी प्रदर्शन किया गया ,भारत के स्वर्णिम वर्तमान की चमकदार झलकियाँ दिखाई जा रही हैं.देश  के सर्वोच्च सम्मान बाँटें जा रहे हैं ,पद्म श्री, पद्मभूषण से नागरिकों को नवाज़ा जा रहा है ,लड्डू बांटे जा रहे हैं ..हाँ हम भारत का ६२ वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं .

वही महाराष्ट्र के पानेवाडी में इसी गणतंत्र के मुँह पर करारा तमाचा पडा है .एक ईमानदार  अधिकारी को उसकी ईमानदारी के पुरस्कार स्वरुप सारे आम जिन्दा जला दिया गया .मालेगांव के अतिरिक्त कलक्टर यशवंत सोनवाणे की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह केरासन तेल में मिलावट करने वालों को ऐसा करने से रोकना चाहते थे. अत: दुनिया के इस सबसे बड़े गणतंत्र के एक ईमानदार , कर्तव्य निष्ठ अधिकारी को अपनी जान देकर इसका खामियाजा  भुगतना पडा .और हम अपने गणतंत्र का जश्न मना रहे हैं, आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन कर फूल कर कुप्पा हो रहे हैं , और इस गणतंत्र के सूबेदार सीना तान कर सलामी ले रहे हैं . क्योंकि इस घटना का क्या है ?हमारी अंग्रेजी मीडिया के लिए तो कोई खास खबर भी नहीं,आम सी खबर है जिसके बारे में औपचारिक समाचार दे दिया गया है. उनके पास और बहुत से बड़े राजनैतिक मुद्दे हैं चर्चा करने के लिए, कौन सा मंत्री पद किसे दिया जा रहा है वह सब भी देखना  है. यह तो मामूली  बात है .कहने को कुछ ७ लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है और बयान दिए जा रहे हैं कि जांच होगी, सी बी आई को भी घसीट लिया जायेगा ,फिर कुछ दिनों में मामला ठंडा हो जायेगा आखिर जिन्हें गिरफ्तार किया गया है वह भी तो मामूली नागरिक नहीं ना.. उनके लिए भी कुछ फ़र्ज़ बनता है हमारे गणतंत्र का,और कौन जाने असली अभियुक्त हैं भी या नहीं अभी माहौल गर्म है तो शक कि बिनाह पर किसी को भी उठाकर अन्दर डाल दो ,बाद में सुलट जायेगा सब . अब जाने वाला तो चला गया और सन्देश छोड़ गया कि खबरदार जो आगे से किसी ने भी इमानदारी दिखाने की कोशिश भी की ,अंजाम बहुत दर्दनाक होगा. वैसे भी किसने कहा था उस इंसान को कि जाकर तेल माफिया के काम में अपनी टांग अड़ाए? यह लोकतंत्र है भाई सबको अपनी मर्जी करने की आजादी है ६२ साल से यही समझाने की कोशिश की जा रही है. पर फिर भी पता नहीं कहाँ से एक आधे इंसान का खून उबाल मारने ही लगता है.और उतर आता है वह ईमानदारी पर, और सजा भी पाता है .भगवान् जाने कब समझ में आएगी इन लोगों को लोकतंत्र  की असली परिभाषा .
टीवी  का रिमोट फिर दब गया है स्क्रीन पर सेना के कुछ जवान मार्च करते हुए दिख रहे हैं ,पार्श्व में गीत बज रहा है”हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के..