उस बिंदास लड़की (चुड़ैल) के नाम, जिससे पीछा छूटना इस जन्म में तो मुमकिन नहीं है. 
वह बनती है पत्थर पर है मोम सी.
भरी रहती है हमेशा आँखों की टंकी।
झट से छलक पड़ती है जो उसके हँसते – रोते।
खुद को समझती लड़का, दिल के हर कोने तक है लड़की। 
एक नंबर की झगड़ालू पर प्यार लुटाने वाली
पड़ोसी की भी प्लेट से उठा चिकन वो खा जाने वाली
दे सकती है अनजानों को भी वो जादू की झप्पी
विरोधाभासों का एक पिटारा है यह लड़की।
दोस्तों के लिए किसी से भी है लड़ जाती
जल भुन कर फिर गालियां भी सुनाती
नींद से जगा दो तो उतर आती हाथा- पाई पर
नाम “नमृता” को हरदम झुठलाती यह लड़की।
अलमारी में नहीं मिलता एक भी सामान
तो घर में सब पर चिल्लाती है यह लड़की
लेकिन करती अस्पताल में मरीजों की ड्यूटी,
उन्हें डांटती, डपटटी, सुधारती है यह लड़की।
बच्चों की यह माँ है या बच्चे हैं इसकी माँ, समझना है मुश्किल 
परन्तु अपनों के आगे ढाल सी लग जाती है यह लड़की। 
ढीट है, जिद्दी है, पागल है ज़रा, 
एकता के सीरियल पर आंसू बहाती है यह लड़की।
सलमान की दीवानी है, समझती खुद को रानी है 
पर चुड़ैलों की खास नानी है यह लड़की।
गलत पर लड़ जाए, 
सही पर अड़ जाए, 
न सोचे, न समझाए 
बस डट जाये यह लड़की।
बेबाक, खुदमुख्तार, एहसासों से लबालब,
लोग कहते हों पत्थर, पर पानी है यह लड़की।
दिखने में गद्य पर अंतस में कविता सी
मीठी मीठी गुड़ धानी सी है यह लड़की।