ऐसा भी होता है आजकल … चलिए सुन ही लीजिये.. 🙂

आवाज ….??,  हमारी ही है. अब हमारे ब्लॉग पर अपनी आवाज देने का और कौन रिस्क लेगा 🙂 .

दोस्तो!!! 
लन्दन का मौसम आजकल बहुत प्यारा है 
ऐसे में टूरिस्टों का बोलबाला है 
इसी दौरान हमारी एक मित्र भी भारत से पधारी 
उनके स्वागत में हमने की सारी तैयारी 
उनके आते ही हमने चाय वाय पिलाई 
फिर वो हमारे पीछे रसोई में चलीं आई 
मुआयना करते हुए उन्होंने 
एक अलमारी खोली
और मूंह पर हाथ रख आश्चर्य से बोली
तुम कितने लकी हो वाऊ
हमने हैरानी से पूछा हाउ ?
उन्होंने ऊँगली के इशारे से
प्याज भरी टोकरी दिखाई
और ऐसा करते हुए उनकी आँख भर आई
हमने उनकी भावनाओं को समझा
झट एक तौलिया लपका
कहा, तुम नहा धो लो जाकर
हम भी निबट लें तब तक, लंच बनाकर
वो बोली,
नहा धो तो हम आयेंगे
पर लंच में हम आज 

प्याज का परांठा ही खायेंगे
हमें सहेली पर लाड़ आया
झट प्याज काट परांठा बनाया
शाम की चाय पर वो फिर बोली
क्या प्याज के भजिये भी बना दोगी?
हमने उनकी यह इच्छा भी मानी
और आँख नाक पोछते फिर प्याज काटी
अब तक उनका तीन दिन का
प्याज ए खास मेन्यू लिख गया था
और हमारा घर
मकान दो प्याजा बन गया था
अब हमने भी अपना कंसर्न दिखाया
और उन्हें लन्दन ब्रिज की जगह
प्याज से भरा साउथ हॉल दिखाया
जब वो वहां निहार रही थीं फटी फटी आँख से
हम भरवा रहे थे एक डब्बा प्याज से
जिसे हीथ्रो पर हमने उन्हें थमाया
उन्होंने झूठे न नुकुर से उसे अपनाया
वो हमारे प्रेम से अति कृतज्ञ हो आईं थीं
और उनका प्याज प्रेम देख
हमारी भी आँखें भर आईं थी
हमने भारी प्याज के साथ उन्हें किया विदा
और की दुआ 

कि
हे प्रभु!! करो कोई चमत्कार, महंगाई हटाओ
पर मेरे देश में प्याज के दाम जल्दी घटाओ।