चॉकलेट,मिठाई
आलिंगन, चुम्बन.
गुलाब और टैडी
सारे पड़ावों से गुजर
आखिर में
प्रेम का नंबर आ ही गया
सुना है आज प्रेम दिवस है.
*************
रीत कुछ हम भी निभा लें,
कुछ लाल तुम पहन लो
कुछ लाल मैं भी पहन लूं
चलो हाथ में हाथ डाल
कुछ दूर यूँ ही टहल आयें
कमबख्त लाल फूल भी आज
बहुत महंगे हैं.
*******************
खाली बगीचे से मन
हाथों में सुर्ख गुच्छे
संकीर्ण दिलों के बीच
बड़ा सा दिल बने तकिये
महंगे स्वाद हीन पकवान.
और
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है.
खुदा खैर करे … कहाँ से शुरू कर कहाँ पहुंचा दिया आपने !
इसे कहते हैं प्रैक्टिकल ओब्ज़र्वेशन, न कि इमोशनल ओब्ज़र्वेशन!! बहुत.. बहुत सुन्दर!!!
अब तो शायद सदा ही प्रेम नदारत होता है इसलिए तो एक दिन प्रेम दिवस मनाया जाता है कि इस बहाने ही सही ज़िंदगी से कुछ समय चुरा कर ज़रा देर के लिए प्रेम कर लिया जाये मगर अफसोस कि आज के दिन भी फूल,चॉकलेट,teddy ,गुलाब सब कुछ होते हुए भी केवल प्रेम ही नदारत होता है।
आज सुबह से शिकायतें ही सुन रहा हूं। जब दफ़्तर जाने लगा तो श्रीमती जी की शिकायत कि अभी तक तुमने विश नहीं किया। मैंने पूछा किस बात की, तो बोलीं आज तो भोलंटाइन बाबा का दिन है।
मैं टाल कर निकल गया।
शाम जब घर आया तो मेरे हाथ को देखते हुए शिकायत कीं, कोई गिफ़्ट नहीं लाए ..?
उफ़्फ़ ..
मैंने कहा गिफ़्ट की क्या ज़रूरत है?
जब जीवन में हर परिस्थिति का सामना करना ही है तो प्रेम से सामना क्यों न करें?
वो अटल थीं, पर गिफ़्ट?
मैंने कहा … गिफ़्ट में क्या प्रेम रखा है? जो प्रेम किसी को क्षति पहुँचाए वह प्रेम ही नहीं।
अब देख रहा हूं कि उनके हाव भाव से प्रेम छिटक रहा है … कब वह (प्रेम) बरस पड़े पता नहीं।
ओब्ज़र्वेशन तो बढ़िया है, यहाँ भी दुकानें सजी हुई हैं, प्यार नदारद है 🙂
वैसे भी प्यार का केवल एक दिन नहीं हो सकता 🙂
काव्य समाप्त हो गया ,बस गणित शेष है अब जीवन में..
तुम जो बसती हो जवानी के समनजारों में ,
अपनी ही तनहाई के एहसास से खुद में वीरां भी हो |…अनु
पर जो भी स्वीट सी तो लगी ही 🙂 🙂
एक फिल्म का एक डायलोग याद आ गया इस पोस्ट से…
Random thoughts for Valentine's Day- Today is a holiday invented by greeting card companies. To make people feel like crap.
😀
बहुत महंगाई है जी .प्रेम दिवस भी एक दिन मनाने में विदेशी शक्ति का हाथ है. हम तो रोज ही सत-चित्त से प्रेम निमग्न रहते है वो भी . बिना जेब खाली किये .यकीन आज इस बाबा ने जबरी खाली करा ली जेब .
@ कमबख्त लाल फूल भी आज
बहुत महंगे हैं.
यह मामला कुछ समझ नहीं आया …..प्रेम में सब कुछ जायज है ….वैसे आपकी तस्वीर ?????
प्रेम तो एक मुस्कान में है … पर यहाँ तो पैसा महान है … प्रेम दिवस नहीं , पैसा दिवस
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है.ekdam sahi soch hai aapki…..
बहुत खूब कहा शिखा जी…
यहाँ तो १५ तारिख को पिताजी के जन्मदिन के लिए भी फूल खरीदना दूभर हो जाता है…
लाल के साथ पीले/सफ़ेद गुलाब भी महंगे..
रोचक लेखन के लिए बधाई..
…..
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
.. सच तो यह भी है कि खाली जेबों के अतिरिक्त भावनाशून्य हृदय भी स्नेह और समर्पण से रीता है..
.. इसलिये
प्रेम नदारद है.
अस्तु सामयिक अभिव्यक्ति
प्रेम की परिभाषा सबके लिए अलग अलग है ।
भूखे को रोटी मिल जाए , मजदूर को अच्छी मजदूरी , या किसी का बिगड़ा कम बन जाए तो दिल में प्रेम फूट पड़ता है । यह तो बस एक मनोदशा है ।
वैसे लाल रंग बड़ा भड़कीला होता है ।
सच्चा प्रेम एक ऐसे प्रेत की तरह है जिसकी चर्चा सब करते हैं लेकिन देखा किसी ने नहीं.
और अंत में प्रेम…… प्रेम नदारत है. सही कहा आपने. सुंदर प्रस्तुति.
कुछ दूर यूँ ही टहल आयें
कमबख्त लाल फूल भी आज
बहुत महंगे हैं.
sunder bhav
aaj aesa hi hai………………shayad
rachana
This comment has been removed by the author.
:):) प्रेम पर भी बाज़ारवाद हावी है …
बस भेड़ चाल हो कर रह गया है यह दिन … और लोग माना रहे हैं तो हम क्यों नहीं …यही भावना रह गयी है ॥प्रेम है या नहीं इसका पता नहीं :):)
प्रेम इसलिए नदारद है क्योंकि भारतीयता नहीं है… बहुत ही शानदार रचना और फोटो भी..
bahut khub..
विचारणीय….. सशक्त अभिव्यक्ति
दिवस मन रहा है , प्रेम नदारद है …
सार तत्त्व ही भूल गया है , बाजार जो न करवा दे !
वाह ☺
bhut khoob
बिलकुल सही लिखा है…
यह सब बाज़ारवाद की देन है… दिखावों का दौर है, देखते जाओ आगे-आगे क्या-क्या होता है!
जय जय जय जय, प्रेम दिवस जय..
खाली बगीचे से मन
हाथों में सुर्ख गुच्छे
संकीर्ण दिलों के बीच
बड़ा सा दिल बने तकिये
महंगे स्वाद हीन पकवान.
और
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है.
Shikha ji sach hi kaha apne aj ka prem arth kendrit ho chuka hai …..ab koi hriday ke sapndano ko nahi samjhana chahta ,,….bs ak swarth ki bhookh poori karana hi prem ka pryay banta ja raha hai ….adami sirf ak chalata firata yantr bn chuka hai ….kr bhi kya sakate hain privartan to shashwat hai na.
बेहद प्यारी रचना … ये पंक्तिया आप के लिए
लाल फूल महंगे थे
लाल खिलौने भी
होटल का बिल भरने
की हिम्मत नहीं थी
आँखों में भर प्यार
हाँथ जो थामा उसने
कान से गाल तक
सुर्ख हो उठे
सच प्यार का रंग
लाल ही तो है
प्रेम तो एक तमाशा बन गया है और दिल हर जगह लटके-अटके बिखरे दिखाई दे जायेंगे .
Shikha ji
namaskar,aapki kavita badi acchi lagi,vaise ek baat sahi hain aaj-kal sab ek dikhava jaise ho gaya hain.mere hisaab se to har din prem divas hona chahiye.:)
बाज़ार ही याद दिला दे तो सही – प्रासंगिक रचना!
वाह …बहुत खूब ..प्रेम दिवस के साथ विश्लेषण भी सार्थकता लिए हुए …
यही है इस दिन का सच्।
प्रेम सतही दिखावे की नहीं अनायास अनुभव की जानेवाली भावना है. हाँ,एक शगल के रूप में लिया जाय तो बात अलग है .
बेहतरीन अभिवयक्ति…..
बढिया है 🙂 🙂
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 16-02-2012 को यहाँ भी है
…नयी पुरानी हलचल में आज…हम भी गुजरे जमाने हुये .
बढिया।
बढ़िया प्रस्तुति
Gyan Darpan
..
बाहरी चमक-दमक से दूर होकर उसी प्रेम को तो पकडना है शिखा जी जो हमारे दिल से दुरियां बना रहा है। बहुत सही और सटीक रचना है।
खाली बगीचे से मन
हाथों में सुर्ख गुच्छे
संकीर्ण दिलों के बीच
बड़ा सा दिल बने तकिये
महंगे स्वाद हीन पकवान.
और
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है.बाहरी चमक-दमक से दूर होकर उसी प्रेम को तो पकडना है शिखा जी जो हमारे दिल से दुरियां बना रहा है। बहुत सही और सटीक रचना है।
बहुत सही। प्रेम में किसी दिवस की जरूरत ही कहां होती है?
बहुत ही बढ़िया।
सादर
साधु-साधु
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है….
सही कहा शिखा जी आपने… प्रेम नदारद है तभी तो दिखावे के साथ दिवस मनाने की जरुरत पड़ती है… जहाँ सचमुच प्रेम हो वहां तो साँस साँस प्रेम में ही डूबी होती है.. दिवस मनाने की न जरुरत होती है न ही सुध…. सुंदर अभिव्यक्ति
सादर
मंजु
teesari vaali photo bahut achchhi. ekdam gulabi. 🙂
सुना है आज प्रेम दिवस है….बधाई तो ले ही हो…बाकी किस्से छोड़ो!!
खाली होती जेबों के मध्य
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है…
बहुत खूब…
सादर.
कहना मुश्किल है कि ये कहीं नजदीक से देखा गया सच है प्रेम दिवस का या एक उदासीन दूरी से… पर नयी सोच तो है..
nice, really nice.
बाजारीकरण ….हरेक चीज़ का…हरेक भावना का .
लाली मेरे लाल की,जित देखूँ तित लाल
लाली देखन मैं गयी,मैं भी हो गयी लाल
प्रेम में जब देखने से ही लाल हुआ जा सकता है,
तो मुए फूल क्या करेंगें,शिखा जी.
लाल रंग में गजब ढा रहीं हैं आप.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आ जाईयेगा जी.
सच्ची एवं अच्छी प्रस्तुति के लिये बधाई…..
नेता- कुत्ता और वेश्या (भाग-2)
विडंबना तो यही है कि प्रेम नदारद है -चेताती कविता !
जीवन की सच्चाई यही है …
सामयिक लेखन के लिए बधाई..
dhero prem prasfutit ho rahe hain mohtarma… bas dhundhne ki baari hai…:))
waise prem diwas ke baad bhi kuchh din aate hain…….:)
जहां औपचारिकताएं होंगी वहां प्रेम कहां होगा?
prem diwas ki badhai. bahut pyari kshanikaayen hain.
क्या प्रेम के लिए किसी दिवस का होना जरूरी है … शायद तभी है जब इसे रस्मी तोर पे मनाना हो …
"कमबख्त लाल फूल भी आज
बहुत महंगे हैं"
बहुत सुन्दर.
दिवस तो मन रहा है
पर
प्रेम नदारद है.
यदि प्रेम हो यथार्थ तो हर रोज मने प्रेम दिवस।
सुन्दर प्रस्तुति। बधाई।।।
I am really loving the theme/design of your web site. Do you ever run into any internet browser compatibility problems? A number of my blog visitors have complained about my website not operating correctly in Explorer but looks great in Chrome. Do you have any solutions to help fix this issue?
We are a group of volunteers and opening a new scheme in our community. Your site provided us with valuable info to work on. You have done a formidable job and our whole community will be thankful to you.
Major thanks for the blog.Really looking forward to read more.
“I have figured out some points through your website post. One other subject I would like to mention is that there are many games in the marketplace designed particularly for toddler age little ones. They contain pattern recognition, colors, creatures, and styles. These commonly focus on familiarization as an alternative to memorization. This makes little children occupied without having a sensation like they are studying. Thanks”
“I’m not sure where you are getting your info, but good topic. I needs to spend some time learning much more or understanding more. Thanks for wonderful info I was looking for this information for my mission.”
“Major thanks for the blog.Really looking forward to read more. Great.”
Muchos Gracias for your blog.Really looking forward to read more. Really Cool.
A big thank you for your blog post. Want more.
A big thank you for your post.Thanks Again.
I value the article.
Muchos Gracias for your article.Much thanks again. Will read on…
I truly appreciate this blog.Thanks Again. Really Great.
Very informative blog.Really thank you! Great.
Say, you got a nice blog article.Really thank you! Want more.
Major thanks for the article post. Keep writing.
Very informative blog.Thanks Again. Fantastic.
Thanks-a-mundo for the blog post.Really thank you! Awesome.
I genuinely value your work, Great post.
Muchos Gracias for your post.Really thank you! Really Cool.
I really like and appreciate your blog article.Thanks Again. Will read on…
I really like and appreciate your blog post.Thanks Again. Really Great.
Luck!