काला धन काला धन सुन सुन कर कान तक काले हो चुके हैं । 

यूँ मुझे काला रंग खासा पसंद है। ब्लेक ब्यूटी की तो खैर दुनिया कायल है पर जब से जानकारों से सुना है की काले कपड़ों में मोटापा कम झलकता है तब से मेरी अलमारी में काफी कालापन दिखाई देने लगा है। 
परन्तु काले धन के दर्शन आजतक नहीं हुए किसी भी नोट या सिक्के में कहीं भी ज़रा सा भी काला रंग नजर नहीं आता। मुझे आजतक समझ में नहीं आया कि बेचारे धन को क्यों काला कहा जाता है। काल धन नहीं काला तो हमारा मन होता है। या फिर नाक,  मुंह आदि हो जाता है कभी कभी। 

मुझे याद है जब मास्को से लौट कर शादी के बाद दिल्ली में रहकर मैं नौकरी कर रही थी।कुछ छुट्टियों के बाद, पहली बार स्कूटर से वसुंधरा से दक्षिण दिल्ली ऑफिस पहुंची । वहां जाकर वाशरूम के शीशे पर नजर पड़ी तो अवाक रह गई। चेहरा एकदम काला हो चूका था। मन रोने को हो आया। सामझ नहीं आया कि अचानक इतना काला रंग कैसे हो गया। समस्या या तो मेरे घर के शीशे में है या ऑफिस के। हालाँकि ऑफिस के शीशे के खराब होने की उम्मीद नगण्य थी और मैंने शादी ही की थी, कोई भी काम मूंह काला करने जैसा तो किया नहीं था। डरते डरते एक दो बार उँगलियाँ चेहरे पर फिराईं  तो कहीं कहीं से काली सी एक परत राख की तरह निकलने लगी। जल्दी जल्दी लिपस्टिक छूटने की परवाह किये बिना पानी से रगड़ रगड़ के मूह धो डाला तो अपने मूंह काले होने की वजह समझ में आई। 
असल में ये कमाल दिल्ली के प्रदुषण का था। जिसे आजतक हम सिर्फ सुनते आये थे। कुछ स्कूटर पर चलती लड़कियों को नकाब, बांधे चलते देखा जरूर था पर उसे उन लड़कियों की फैशन परस्ती सोच टरका दिया था। अभी तक जितनी भी जगह गए,  रहे ज्यादा से ज्यादा कमीज के कॉलर तक को काला पाया था। प्रदुषण की वजह से दिल्ली में यह कालिख इस हद्द तक जम जाती होगी इसकी कल्पना भी नहीं की थी।

यह पहला अनुभव था और उसके बाद अब तक का आखिरी भी। लन्दन, अमेरिका, रूस या अन्य किसी भी पश्चमी देशों में, जहां अब तक गई हूँ इस तरह का प्रदुषण नहीं देखने को मिलता । लन्दन में 2 घंटे भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफ़र करने के वावजूद कपडे तक गंदे नहीं होते। 
पर अब शाम को मेट्रो से घर लौटो तो नाक कान के अन्दर कालिख घुस जाती है । यानि प्रदुषण अपने पाँव यहाँ भी जमाने लगा है, ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट को यूरोप में सबसे ज्यादा प्रदुषण वाली जगह का तमगा मिल गया है.  


यहाँ का प्रशासन उसे लेकर अभी से सतर्क भी हो गया है। 
वाहन चालकों के लिए नए मानक बना दिए गए हैं प्रदुषण फैलाने पर जुर्माना अधिक कर दिया गया है, लन्दन की हवा प्रदूषित न हो इस पर सावधानी वरती जा रही है.
लंदन के बस बेड़ों की सफाई, कार टैक्सी पर सख्ती,साइकिलिंग को बढ़ावा देना, लंदन में कम उत्सर्जन क्षेत्र के लिए नए और सख्त मानकों की स्थापना,  आरई के माध्यम से 55,000 घरों में ऊर्जा दक्षता में सुधार, निर्माण और विध्वंस साइटों पर वायु प्रदुषण पर लगाम आदि सुधारकार्य चल रहे हैं. आशा है जरूर अच्छे परिणाम निकलेंगे और फिर से सफ़र कालिख रहित हो जाएगा।

काश अपनी सरकार भी जागरूक हो जाती और काले धन के साथ, काले मन , काली हवा, और  काले आसमान को सफ़ेद करने के लिए भी कुछ करती।