A Puppy Face
हम अक्सर माता – पिता को ये कहते सुनते हैं ..” हे भगवान ये बच्चे भी न इतने चालाक हैं पूछो मत.” वाकई कभी कभी लगता है कि इन बच्चों के पेट में दाढी  होती है .हम जितना इन्हें समझते हैं उससे कहीं ज्यादा ये हमें समझते हैं ..कब कौन से हथकंडे अपना कर किस तरह अपना काम निकलवाना है इनसे अच्छा कोई नहीं जानता ….

बच्चों के मनोविज्ञान की  बात कहें तो बच्चे अपनी बात मनवाने में बहुत माहिर होते हैं…किस तरह वो आपको ब्लैकमेल कर लें और आपको पता भी नहीं चलता …कभी प्यार से तो कभी चापलूसी से, कभी रो कर तो कभी गुस्सा दिखा कर…ये सारे हथियार वो बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल करते हैं…कब कहाँ कौन सा हथियार काम आएगा इसका भी उनको बिल्कुल सही अंदाजा रहता है…घर में वो रो कर या गुस्सा करके कोई बात नहीं मनवाएंगे , हाँ कहीं बाहर हैं या किसी के घर गए हुए हैं या किसी गैदरिंग में हैं तो ये उनका नायब हथियार होता है…असल में हम बच्चों को बहुत कम आंकते हैं…….
माँ – बाप तो इनके हाथों की कठपुतली भर हैं …जिन्हें ये जब जैसा चाहे वैसा नचा सकते हैं …और माँ बाप बेचारे अपने मासूमो पर निहाल हो होकर नाचते हैं …इसी पर एक आँखों देखा वाकया आप लोगों को सुनाती हूँ.
एक रेस्टोरेंट एक ८-९ साल का बच्चा अपनी माँ के साथ खड़ा है ,बच्चे के पिता कैश काउंटर पर है , बच्चे का मन समोसा खाने का है ,उसने अपनी मम्मी से इच्छा जाहिर की, मम्मी ने पापा को बोला ..पापा ने झिड़क दिया – यहाँ अच्छे नहीं कहीं और से दिलवा देंगे ..मम्मी ने यही बच्चे से दोहरा दिया कि पापा मना कर रहे हैं ..यहाँ अच्छे नहीं हैं. ..पर बच्चे को पता था कि यहाँ से गए तो बात गई .अपनी मम्मी से बोला आपको कहना नहीं आता ..देखो पापा अभी लेकर आयेंगे समोसे…..और एक कोने में जाकर खड़ा हो गया जहाँ से उसके  पापा उसे देख सकें …और न जाने क्या करके दो मिनट बाद वापस अपनी मम्मी के पास आ गया …कुछ ही देर में उसके पापा हाथ में २ समोसों के साथ हाजिर थे…मम्मी हैरान कि ये क्या हुआ इसने यहीं खड़े खड़े ऐसा क्या किया ? आप भी सोच रहे होंगे ….सोचिये ..चलिए आपको उसी बच्चे के शब्दों में बताती हूँ.


मम्मी! मैने कुछ नहीं किया ..बस पप्पी डॉग फेस बनाया .(देखिये चित्र.)
ये बहुत काम की चीज़ होती है ,और इसे सिर्फ बच्चे ही बना सकते हैं
ये सिर्फ १२ साल की उम्र तक ही काम आता है ..टीन एज के बाद इसका प्रभाव ख़त्म हो जाता है

ये सिर्फ छोटी – मोटी चीज़ों के लिए ही काम आता है ..मसलन कोई खाने की चीज़ या कोई सस्ता सा खिलौना
पर हाँ कभी कभी कोई महंगा खिलौना सेल में हो और पापा उसे देख रहे हों तो तब भी ये बहुत काम आता है.
ये मम्मी से ज्यादा पापा पर काम करता है. पर बहन या भाइयों पर बिलकुल भी काम नहीं करता.बल्कि बहन या भाई इसे बनाते देख लें तो तुरंत उसके प्रभाव के ख़त्म होने  का खतरा रहता है.
यदि बार- बार या ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाये तो भी इसका असर कम होने लगता है और धीरे धीरे ख़त्म हो जाता है.
अब आप ही बताइए हमसे ज्यादा मनोविज्ञान की समझ क्या ये बच्चे नहीं रखते ? हम भी स्कूल न जाने के तरह तरह के बहाने बनाया करते थे और उनमें से कुछ काम भी आ जाया करते थे ..परन्तु आजकल के बच्चे हम से कई कदम आगे हैं …किस परिस्थिति को किस तरह हेंडल करना है ये ही नहीं ..बल्कि कहाँ कैसे इस्तेमाल करना है और फिर उसकी किस तरह व्याख्या करनी है इसमें भी उन्हें पूरी तरह महारथ हासिल है ( INTELLIGENT LIFE magazine, December 2007 . के मुताबिक इंसानों में औसतन IQ की दर पीढ़ी दर  पीढ़ी बढ़ रही है. मतलब आपका IQ संभवत: आपके माता पिता से ज्यादा है और आपके बच्चों का संभवत: आपसे ज्यादा होगा..)
क्या वाकई ये बच्चे जितने जमीन के ऊपर हैं उतने ही जमीन के नीचे भी नहीं ?