बचपन से राजा महाराजाओं ,राजघरानो के किस्से सुनते आये हैं.उनके वैभव, राजसी ठाट बाट, जो कभी भी किसी भी हालत में कम नहीं होते थे. बेशक जनता के घर खाली हो जाएँ पर राजा का खजाना कभी खाली नहीं होता था.. राज परिवार में से किसी की  भी सवारी नगर से निकलती तो सड़क के दोनों और जनता उमड़ पड़ती.बच्चे ,बूढ़े, स्त्रियाँ सभी करबद्ध खड़े जयजयकार करते रहते.घर में बच्चे भूखे हों फिर भी राजा को भेंट दी जाती. राज्य में अकाल पड़े या कोई और आपदा हो तो  जनता पर कर बढ़ा दिए जाते परन्तु राजसी वैभव और रिवाजों पर कोई फर्क  नहीं पड़ता. कहने का आशय है कि देश की जनता की गरीबी का कोई असर राजा या राजघराने पर कभी नहीं होता था.

तब से अब तक कई सदियाँ बीत गईं,.औद्योगिक  क्रांति हुई, ह्युमन राईट की बातें की जाने लगीं. राजे रजवाड़े दुनिया से ज़्यादातर ख़तम हो गए .कहीं  इक्का दुक्का ही बचे. पर उन में राजसी वैभव  और उसके प्रदर्शन का रिवाज़ जस का तस बना रहा.इस पर ना किसी व्यवस्था का फरक पडा ना जाति,  धर्म, देश या परिवेश का.


इन्हीं कुछ चुनिन्दा रजवाड़ों में एक मुख्य है इंग्लैंड,जो एक समय में विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्य था. जिसके लिए कहा जाता था कि सूरज ब्रिटेन के साम्राज्य में ही उदय भी होता है और अस्त भी.उस दौरान अपने गुलाम देशों से बहुत सा बैभव उन्होंने बटोरा और सदियों तक शासन किया.कालांतर में गुलाम देश आजाद होते गए और ब्रिटेन के साम्राज्य के साथ ही इसकी आर्थिक स्थिति भी सिकुड़ती गई.और आज इंग्लैंड भी बाकी देशों की तरह आर्थिक मंदी से गुजर रहा है.और ऐसे दौर में इंग्लैंड की रानी इस वर्ष अपनी हीरक जयंती मना रही हैं.और इसी उपलक्ष  में देश भर में तैयारियां जोरों पर हैं,तरह तरह के आयोजन शुरू हो गए हैं इनमें ही एक के तहत रानी ने अपने जनता से मिलने का दौरा  ( जुबली टूर ) पिछले दिनों रेडब्रिज नाम के इलाके से शुरू किया.इस इलाके में उसदिन करीब १ किलोमीटर तक सुबह ७ बजे से ही लगभग १०,००० लोग जमा हो गए थे.इलाके के सभी प्राईमरी और सेकेंडरी  स्कूलों के कुछ चुनिन्दा बच्चों को रानी से मिलने का गौरव प्रदान करने के लिए  वहीँ सड़क पर धूप में घंटों पहले जमा कर दिया गया.सबके हाथों में यूनियन जेक,पोस्टर थे. माँएं अपने नवजात बच्चों को लिए रानी के दुर्लभ दर्शनों के लिए घंटो सड़क पर खड़ी इंतज़ार कर रहीं थीं. निर्धारित समय पर रानी की सवारी आई साथ में एडिनबरा के राजकुमार भी.कार से उतर कर दोनों तरफ लोगों की भीड़ से घिरी एक सड़क पर कुछ दूर चलीं, जो लोग सड़क के निकट थे उन्हें एक झलक नसीब हुई. उसके बाद उन्होंने कुछ औपचारिकतायें निभाईं फिर वह अपनी कार में स्कूली बच्चों के बीच से निकलीं, बच्चों को कार से एक हाथ हिलता दिखाई दिया और कुछ बड़े बच्चों को एक झलक चेहरे की भी मिल गई .और बस हो गया जनता का रानी का गौरवपूर्ण दर्शन समारोह संपन्न.और बच्चे रानी से मिलने का गर्वित अहसास लिए लौट आये.

इस उपलक्ष्य में लन्दन के मेयर बोरिस जोंसन ने २५०० स्कूलों में एक मीटर का यूनियन जेक बांटने का इरादा किया है जिसकी कीमत £२०,००० तक आएगी.उनका कहना है लन्दन के स्कूली बच्चों को अपने गौरव शाली अतीत पर गर्व होना चाहिए और रानी के इस हीरक जयंती के उपलक्ष  में झंडे फहराने चाहिए.
वहीँ भारत में पैदा हुए इस्ट इंडिया कम्पनी के चीफ एक्ज्यूकेटिव संजीव मेहता ने इस उपलक्ष में दुनिया का सबसे महंगा सुविनियर (स्मृति चिन्ह ) बनाया है.£१२५,००० के सोने के इस सिक्के पर हीरों का मुकुट पहने रानी की छवि अंकित है.उन्होंने १किलो के ऐसे ६० सिक्के बनवाये हैं जो रानी के स्वर्णिम ६० सालों के शासन काल को दर्शाते हैं. ६० सिक्के चांदी के भी बनाये जायेंगे,हर एक कीमत £२५,००० होगी.संजीव मेहता के अनुसार यह पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य रूपी मुकुट में एक गहने के रूप में भारत की प्रतिष्ठा का प्रतीक है.और  देश की इतने वर्षों तक सेवा करने वाली इस महिला को सम्मान है.
पूरा यूरोप किस आर्थिक मंदी से गुजर रहा है अब यह छुपा नहीं. पर बढ़ता बेरोजगार और गरीबी जैसी समस्याओं का असर इस वैभव प्रदर्शन पर पड़ता कहीं भी दिखाई नहीं देता.क्योंकि हालात कैसे भी हों जनता पर कर बढ़ाने का सुगम उपाय तो आज भी है.आम सुविधाओं पर फीस, जुर्माना, इलाज आदि सभी पर बढ़ा ही दिया गया है.जरुरत पड़ने  पर और बढाया जा सकता है.परन्तु राजसी वैभव के प्रदर्शन से कोई समझौता संभव नहीं.आखिर वर्षों पुरानी साख और गौरवपूर्ण इतिहास का सवाल है.

नवभारत (अवकाश २२/४/२०१२) से सभार .