आज मेरी इस तूफ़ान का जन्म दिन है .यह कविता मैंने तब लिखी थी जब इसे अक्षर पढने तो क्या बोलने भी नहीं आते थे. फिर जब बोलने- समझने लगी तो एक बार मैंने इसे यह पढ़कर सुनाई.पर आखिरकार कुछ समय पहले इसने खुद इसे पढ़ा और कहा की आज जन्म दिन के उपहार स्वरुप मैं उसे यही कविता दे दूं.यानि अपनी इस धड़कन को स्पंदन पर प्रकाशित कर दूं :).तो यह रहा मेरी परछाई को मेरा यह छोटा सा उपहार.


सिमट गई दुनिया मेरी एक नन्ही सी कली में,
सो गए अरमान मेरे उसकी मधुर हँसी में,
वो बन गई मंज़िल और राह भी मेरी ज़िंदगी की,
अक्स उसका ही है अब मेरे मन की हर गली में.
सपनो के वो धागे जो कभी अपने लिए बुने थे,
काँटों के बीच से कुछ फूल ख़ुद के लिए चुने थे,
आज़ कर दी मैने वो माला अपनी शहजादी के नाम,
मेरे ख्वाबों के हँसी फूल जिसमें गुंथे थे.
सिवाए इसके नहीं आज़ कुछ मेरे दामन में,
ख़ुद मेरा ही वजूद नहीं है मेरे इस आँगन में,
खुदा करे कि पूरी हो हर-एक ख़्वाहिश तेरी,
तुझे देने के लिए बस ये दुआ है मेरे आँचल में.
तेरी नज़रों से देख लूंगी मैं अपने सपनों को,
तेरे मासूम बचपन में ढूंढ लूंगी मैं ख़ुद को,
तेरी किलकारी में पूरे हो जाएँगे अरमान मेरे,
तेरी बातों में छिपा लूंगी मैं अपनी हसरत को.
खुदा करे कि हर लम्हा तू हँसती जाए,
सुनहरी धूप तेरे आँगन में छन कर आए,
ना काँटा हो एक भी वो राह भर जाए फूलों से,
जिस राह से गुज़र कर तेरे फूलों से क़दम जाएँ.
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सोम्या अब ,और उसकी कविता.
Happy Birthday Somya.