तुमने मांगी थी वह बाती, 
जो जलती रहती अनवरत 
करती रहती रोशन 
तुम्हारा अँधेरा कोना. 
पर भूल गए तुम कि 
उसे भी निरंतर जलने के लिए 
चाहिए होता है 
साथ एक दीये का 
डालना होता है 
समय समय पर तेल.
वरना सूख कर
बुझ जाती है वह स्वयं
और छोड़ जाती है
दीये की सतह पर भी
एक काली लकीर…