भारत के घरों में बाथरूम की बनावट में सुधार की सबसे अहम जरुरत है. जिसे
देखो वह वहीँ गिरता है. जब भी सुनने को मिले कि फलाना गिर गया
, हड्डी टूट गई या फलानी फिसल गई, कुल्हा टूट गया. यह पूछने की जरुरत ही नहीं पड़ती कि
कहाँ
?  कैसे?. वजह एक ही होती है – बाथरूम गीला था …..”

 
यह पोस्ट ऍफ़ बी पर लिखी तो कुछ लोगों ने कहा कि
समस्या गंभीर है
, इसके सुझाव भी दो.
अब सुझाव का यह है कि, उसे देने में थोड़ा रिस्क रहता है, क्या है कि स्वच्छ्ता में
भी
 लोगों की संस्कृति और भावनाएं आहत हो जाती है. और सुझाव कोई हम जैसा दे तो यह
भी सुनने को मिल जाता है कि लंदन में बैठ कर भटिंडा पर सुझाव मत दो
, तुम्हें क्या पता यहाँ के हालात। 
पर लिखने वाले कब रुके हैं, सो सोचा कुछ सुझाव दे ही
डालूं
, क्या पता कुछ लोगों की समस्या का समाधान हो ही जाए.
अब मैं कोई स्पेशलिस्ट या प्लम्बर तो नहीं हूँ फिर भी देश
विदेश के अनगिनत बाथरूम्स का अवलोकन करने के बाद एक बात जो समझ में आई वह यह कि यह
बाथरूम में फिसल कर गिरने की समस्या सिर्फ भारत में ही सुनी जाती है बाकी देशों
में नहीं। ऐसा क्यों है
? इसके कुछ निम्नलिखित कारण और उनके समाधान मुझे समझ में आते हैं.- 
सबसे पहला –
१- फर्श – आजकल बाथरूम को ड्रॉइंग रूम
से भी भव्य बनाने का फैशन चल पड़ा है इसीलिए उसमें भी मार्बल का फर्श लगवाया जाता
है
, या फिर वैसे चिकने, महंगे टाइल्स लगवाये जाते हैं. जो चिकने तो होते ही हैं साथ ही उनपर गिरा हुआ पानी
भी नजर नहीं आता और ज़रा सा पैर पड़ते ही आप फिसल कर गिर जाते हैं. फर्श मार्बल का
होने के कारण आपको चोट भी अधिक लगती है और हलके से भी गिरने पर हड्डी टूटना आम बात
होती है.
अत: बेहतर
है बाथरूम को बाथरूम ही रहने दिया जाए. पहले लोग उसका फर्श खुरदुरा और ढलान लिए
हुए
 बनाया करते थे, अब यदि यह संभव नहीं तो नॉन स्लिपरी टाइल्स का प्रयोग करिये थोड़ा पैसा ज्यादा
लग सकता है परन्तु एक बहुत बड़ा रिस्क टल
 सकता है.
२- टॉयलेट सीट  हमारी भारतीय पद्धति की टॉयलेट शीट की सफाई के लिए पानी को बहाने की ज्यादा
आवश्यकता पड़ती है और उसमे बहुत सा पानी फर्श पर हमेशा बिखरा नजर आता है. इसके
मुकाबले पाश्चात्य पद्धति के टॉयलेट को अधिक सूखा रखा जा सकता है व
 बिना पानी बिखराये साफ़ किया जा
सकता है. यहाँ मैं यह नहीं कहूँगी कि उसके
 लिए आप पानी की जगह टिशू पेपर का ही इस्तेमाल करें, आजकल भारत में भी पाश्चात्य
पद्धति
 की सीट में फब्बारा जैसा लगाया जाता है जो काफी सुविधाजनक विकल्प है.
३- नहाने की जगह – संजीव कुमार के “ठन्डे ठन्डे पानी से नहाना चाहिए” से प्रेरित होकर
खुद को हीरो समझ और
 पूरे बाथरूम को नहाने की जगह मानकर पानी उछाल-उछाल कर नहाने की बजाय अच्छा हो
यदि हम बाथरूम में नहाने की जगह को अलग से कवर करके बना लें
, सिर्फ उतना ही बड़ा जितना कि
नहाने के लिए जरुरत हो
, यानि फब्बारे या नल के इर्द गिर्द “क्यूबिकल” बनवा लें, जिससे नहाने के दौरान गिरने वाला पानी उसके अंदर ही
गिरेगा
फिर नाली के सहारे बाहर निकल जाएगा और पूरे बाथरूम को गीला नहीं करेगा।
 
शॉवर क्यूबिकल का एक डिज़ाइन 
४- साफ़ करने का तरीका – भारत में पानी की किल्लत होने के वावजूद सफाई का तरिका आज भी वही है, यानी जब तक बाल्टी, मग्गे भर – भर कर पानी न फेंका जाए, सफाई और स्वच्छता नहीं पूरी होती। इसके बजाय यदि
किसी कीटाणु नाशक दवा को मिलाकर उसका पोछा लगाया जाए तो बाथरूम सूखा भी रहेगा और अधिक
स्वच्छ
 भी.
५- धूप, हवा आने की जगह – बहुत ही मजेदार बात है कि घर लेते समय हम उसका पूर्व मुखी होना तो देखते हैं
जिससे कि
 धूप अच्छी मात्रा में मिले, परन्तु बाथरूम बनाते समय इस बात का ध्यान नहीं रखते। यदि बाथरूम में भी धूप और
हवा ठीक मात्रा में आये तो बाथरूम में बिखरा पानी जल्दी सूख जाएगा और
  किनारों में पानी इकठ्ठा होने
से जमने वाली काई नहीं जमेगी।
६- चप्पल – बाथरूम जैसी “गन्दी जगह” कितनी भी स्वच्छ और भव्य बना लेंहम नंगे पैर वहां नहीं जाते और
वहां के लिए अलग से चप्पल रखते हैं. समस्या
इसमें नहीं है, समस्या यह है कि बाथरूम के लिए घटिया से घटिया चप्पल खरीदते हैं, जिसका सोल गज़ब का फिसलू चरित्र
का
 होता है और ज़रा सा पानी देखते ही पूरी तरह से फिसल जाता है. तो कृपया थोड़ा सा
बेचारी चप्पल पर तरस खाइये और ढंग की चप्पल का इस्तेमाल कीजिये।
७- कपड़े धोने का स्थान या वाशिंग मशीन – बेहतर हो कि कपड़े हम बाथरूम में न धोएं (बाहर आँगन में एक कोना इसके लिए बनाया जा सकता है) या धोएं तो उसके लिए थोड़ा अलग
सा उठा हुआ ऐसा स्थान बनवाएं जहाँ से पानी तुरंत निकलता रहे और पूरे बाथरूम में
पानी न फैले। यदि वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं तो उसे ऐसे स्थान पर रखें जहाँ
से उसके पानी के निकास का पाइप बाथरूम में ही न खुलकर
, बाहर नाली में खुले।
और अब सबसे बाद में परन्तु सबसे
अहम बात –
८- खुद की आदतें बदलें-  बाथरूम का इस्तेमाल करते समय कम पानी का उपयोग करें बे वजह उसे बिखरायें नहीं और इस्तेमाल करने के बाद कम से कम उसका पानी
वाइपर से निकाल दें. याद रखें कि
 आपकी और आपके अपनों की सुरक्षा आपके अपने हाथ में है. 
यह थी मेरी आठ सूत्रीय बाथरूम सुधार योजना। यदि आपको ठीक लगे तो
बहुत अच्छा
, नहीं लगे तो जय राम जी की।  
यूँ ही गिरते रहिये, सँभलते रहिये, जीते रहिये।