लन्दन में मौसम की खूबसूरती अपने चरम पर है , स्कूलों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं और नया सत्र सितम्बर से आरम्भ होने वाला है. ऐसे में हम जैसे के माता पिता के लिए (जिनके बच्चे स्कूल जाते हैं ) यही समय होता है जो भारत जाकर इन छुट्टियों का सदुपयोग कर आयें. तो हम जा रहे हैं एक महीने की छुट्टी पर. मुंबई, गोवा, दिल्ली आदि जगह पर घूमते हुए आते हैं वापस, जल्दी ही, यहीं , इसी जगह 🙂

हाँ जाते जाते आप सब के साथ एक सूचना साझा करनी है.
कविता लिखना मेरा शौक नहीं, मेरी जरुरत है. और यह काव्य संग्रह है  मेरे 

मनोभावों का प्रतिबिम्ब। यह सपना है मेरे स्वर्गीय पिता का जो तब से उनकी पलकों में पला जब १२ वर्ष की अवस्था में मेरी पहली ही रचना एक स्थानीय पत्रिका ने छापी। तब से कवितायेँ पहले मेरी डायरी में, फिर ब्लॉग और पत्र-पत्रिकाओं से होती हुई आज इस काव्य संग्रह तक पहुँच गईं हैं.  


आज सुभांजलि प्रकाशन के सौजन्य से यह काव्य संकलन आप सबके सुपुर्द है. 

इसी मौके पर मैं उन सभी मित्रों, पाठकों और गुरुजनों का आभार प्रकट करना चाहती हूँ, जिन्होंने मेरी कविताओं को पढ़ा, सराहा, अपनी अमूल्य प्रतिक्रया दी और मार्गदर्शन भी किया। आपसब का यही स्नेह मुझे निरंतर लिखने के लिए प्रेरित करता है. 

आप यह पुस्तक खरीदने के लिए निम्न पते पर संपर्क कर सकते हैं. पुस्तक का मूल्य हार्ड बाउंड 170/- और पेपर बैक 100/- रु है जो क्रमश: 10% और 20% की छूट पर उपलब्ध है. 
पुस्तक आपको VPP द्वारा भेजी जाएगी. निकट भविष्य में फ्लिप्कार्ट पर भी आने की संभावना है.

Subhanjali Prakashan (https://www.facebook.com/subhanjali.prakashan?fref=ts )28/11, Ajitganj Colony, T. P. Nagar, Kanpur-208023, 

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ओके टाटा, नमस्कार . मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद. 🙂