ये कैसा महान देश है मेरा….
कल के कर्णधार ही जहाँ
भूखे नंगे फिरते हैं
भावी सूत्रधार जहाँ
ढाबे पर बर्तन घिसते हैं
सृजन करने वाली माँ का
जहाँ आँचल सूखा रहता है
और सृजन का भागीदार
 नशे में डूबा रहता है
ये कैसा महान देश है मेरा….
देश चलाने वाले ही
जब देश को बेचा करते हैं
और रखवाले धरती के ही
आबरू माँ बहन की लूटा करते हैं
सभ्यता संस्कृति की आड़ में
ये छवि देश की धूमिल करते हैं
ऐसा महान देश है मेरा…
पथप्रदर्शक बन नई पीढ़ी के
ये नेता बस वोटों की राज़नीति करते हैं
ओर ग़रीबी के गर्म तवे पर
स्वार्थ की रोटी सेका करते हैं
हर उत्कर्ष प्रतिभा यहाँ पर
बिना रिश्वत अधूरी होती है
ओर ८०% जनसंख्या आज़ भी
खाली पेट ही सोती है
ऐसा भारत महान है मेरा…..
अपने ही देश में रहकर वो
उसकी जड़े खोखली करते हैं
फिर चढ़ कर मंच पर श्वेत वस्त्र में
मेरा भारत महान का नारा
बुलंद स्वर में गढ़ते हैं
ऐसा महान देश है मेरा?