आज़ तो लगता है जैसे जहाँ मिल गया,
ये ज़मीन मिल गई आसमान मिल गया.
हों किसी के लिए ,ना हों मायने इसके,
मुझे तो मेरा बस एक मुकाम मिल गया.
एक ख्वाब थी ये मंज़िल ,जब राह पर चले थे,
एक आस थी ये ख्वाइश जब ,मोड़ पर मुड़े थे,
धीरे-धीरे ये एक मुश्किल इम्तहान हो गया,
पर आज़ ये हथेली पर आया पूरा चाँद हो गया.
हम कर गुज़रे जो हमारे बस में था,
वो जो बरसों से इस दिल में ,इस जिगर में था,
सपना सुहाना वो साकार हो गया,
और सारा ज़माना यूँ गुलज़ार हो गया.
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अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.
वाह बहुत कुछ मिल गया।
बहुत बहुत बधाई
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