नादान आँखें.



बडीं मनचली हैं 

तुम्हारी ये नादान आँखें 
जरा मूँदी नहीं कि 
झट कोई नया सपना देख लेंगी. 
इनका तो कुछ नहीं जाता 
हमें जुट जाना पड़ता है 
उनकी तामील में 
करना पड़ता है ओवर टाइम . 
अपने दिल और दिमाग की
 इस शिकायत पर 
आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने. 
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी. 
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सोन परी 
नानी कहा करती थी 
सात समुंदर पार 
दूर देश में परियाँ रहतीं हैं 
जो पलक झपकते ही 
कद्दू को गाड़ी और 
चूहों को दरबान बना देतीं हैं 
इसलिये अब 
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को 
मुड़ कर देखती हूँ 
शायद वही निकले मेरी सोन परी.
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(तुर्गेनैव के उपन्यास आस्या, प्रथम प्रेम और बसंती झरना पर आधारित.) 


त्रासद प्रेम 



तुर्गेनैव  कहते थे 

प्रेम त्रासद भावना  है

फिर चाहे वो अस्या का हो 
जिसने एक मन मौजी से किया 
या फिर हो जिनायदा का, 
एक शादी शुदा पुरुष से प्रथम प्रेम 
या सानिन का प्रेम हो 
एक क्रूर ,छली जेम्मा से.
मेरे ख्याल से तो ऐसी 
बेबकूफ़ियों  का अंजाम 
त्रासद ही होना था.