(कार्टून गूगल से साभार )


हम भारतीय लोग स्वभाव से बड़े ही जल्दबाज होते हैं. झट से फैसले लेते हैं और झट से ही फैसला सुना देते हैं. हर काम , हर बात में जल्दबाजी। दूसरों की होड़ में जल्दबाजी , फिर उसमें कमियां निकालने में जल्दबाजी, फिर खुद को कोसने में जल्दबाजी, राय बनाने में जल्दबाजी, राय देने में जल्दबाजी, बाबा रे बाबा हमेशा भागम भाग में रहते हैं हम.

अब देखिये न देश का बुरा हाल है, उसे सुधारना है तो सरकार की हर बात में बुराई, फिर सरकार बदलने में जल्दबाजी। 
अब नई सरकार ने शपथ भी नहीं ली कि चढ़ गए लाठी बल्लम लेकर। तुमने कहा था पानी फ्री दोगे, अब दो! 
कहा था बिजली सस्ती करोगे, अब करो।  
गोया इतने बड़े देश का सिस्टम न हो गया, रसोई में लगा पानी का नल हो गया कि गए और खोल दिया और आ गया पानी। पर हम तो हैं स्वभाव से मजबूर। सबकुछ फटाफट चाहिए। 
जल्दी जल्दी अब बताओ कि तुम्हारी टोपी कितने की है, घर में कितने कमरे हैं ? रोटी कितनी खाते हो ? क्या कहा चार ?? अरे काहे के आम आदमी हुए फिर ? आम आदमी तो दो खाता है
सरल- सादगी पर ऐसी बौछार हुई कि बेचारी नई सरकार भी डर गई. जनता की जल्दबाजी में उसने भी जल्दी जल्दी कुछ फैसले ले लिए।  अब उस पर पिल पड़ो कि चाल है सब, ऐसे चलती है कोई सरकार ?
 
यानि कुछ भी कर लो , कैसे भी कर लो, हजम नहीं होना। यूँ खाया, यूँ उगला। बहुत जल्दी है भाई.

यूँ हम भी उनके कोई प्रशंसक नहीं, पर भाई जब चुना है तो थोड़ा भरोसा तो करो, कुछ समय तो दो. सरल नहीं है डगर अपनी राजनीती की.
अरे सांस तो लेने दो भले बन्दे को। 
Give him a break. Have a break, have a Kitkat .