वो जो आसमां में रोशनी सी चमकी है अभी,
शायद तुम ही हो जिसकी रूह मुस्कुराई है।
निहारा है जो बड़ी बड़ी गोल गोल आंखों से,
तो शायद ये आब मेरी पलकों में उतर आई है।
ये जो मेरे दिल में अचानक से हूक उठती है कभी,
तुम्हारी ही रुबाई है जो मेरे शब्दों में कविताई है।
हो न हो ये तुम्हारा ही आशीष है मेरे सिर पर,
कि गहन उदासी में भी ताक़त सी मैंने पाई है।
जब भी गिरी हूँ, रोई हूँ, चोट खाई है जो कभी,
तुम्हारी आश्वस्ति जैसे मेरी नजर उतार आई है।
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अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न. तो सुनिए. मैं एक जर्नलिस्ट हूँ मास्को स्टेट यूनिवर्सिटी से गोल्ड मैडल के साथ टीवी जर्नलिज्म में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.अब लन्दन में निवास है और लिखने का जुनून है.