नादान आँखें.
बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँखें
जरा मूँदी नहीं कि
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
इनका तो कुछ नहीं जाता
हमें जुट जाना पड़ता है
उनकी तामील में
करना पड़ता है ओवर टाइम .
अपने दिल और दिमाग की
इस शिकायत पर
आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने.
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी.
********************

सोन परी
(तुर्गेनैव के उपन्यास आस्या, प्रथम प्रेम और बसंती झरना पर आधारित.)
त्रासद प्रेम
सोन परी
नानी कहा करती थी
सात समुंदर पार
दूर देश में परियाँ रहतीं हैं
जो पलक झपकते ही
कद्दू को गाड़ी और
चूहों को दरबान बना देतीं हैं
इसलिये अब
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को
मुड़ कर देखती हूँ
शायद वही निकले मेरी सोन परी.
******************************************

(तुर्गेनैव के उपन्यास आस्या, प्रथम प्रेम और बसंती झरना पर आधारित.)
त्रासद प्रेम
तुर्गेनैव कहते थे
प्रेम त्रासद भावना है
फिर चाहे वो अस्या का हो
जिसने एक मन मौजी से किया
या फिर हो जिनायदा का,
एक शादी शुदा पुरुष से प्रथम प्रेम
या सानिन का प्रेम हो
एक क्रूर ,छली जेम्मा से.
मेरे ख्याल से तो ऐसी
बेबकूफ़ियों का अंजाम
त्रासद ही होना था.
तीनो ही क्षणिकाये खूबसूरत्।
बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँखें
जरा मूँदी नहीं कि
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
इनका तो कुछ नहीं जाता
हमें जुट जाना पड़ता है
उनकी तामील में
करना पड़ता है औवर टाइम .
अपने दिल और दिमाग की
इस शिकायत पर
yahi jivan ka sach hai ….
बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँखें
जरा मूँदी नहीं कि
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
bhut khub.
बहुत बढिया। बधाई।
नादाँ आँखों से सोनपरी का प्रेम देखा . पंक्तियाँ स्वप्न लोक ले जाती है , दुलराती है और भी यथार्थ के धरातल पर लाती है.तुर्गनेव की त्रासदी मुझे तो रोमांचित कर गई .
bhut khub. bhut hi shandar
बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँखें
जरा मूँदी नहीं कि
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
आँखों का होता है सब कुछ जो हम कह नहीं पाते वह आँखें कह देती है और जो हम खुली आँखों से नहीं देख सकते उसे यह बंद होने पर देख लेती हैं …तीनो लाजबाब …!
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को
मुड़ कर देखती हूँ
शायद वही निकले मेरी सोन परी.
shayad mil bhi sakti hain sabhi chhoti kavitayen bahut sunder hai shikha ji bahut hi gahri soch hai tino me hi
badhai
rachana
आपकी उत्कृष्ट रचना है —
शुक्रवार चर्चा-मंच पर |
शुभ विजया ||
http://charchamanch.blogspot.com/
सोन परी नानी कहा करती थी सात समुंदर पार दूर देश में परियाँ रहतीं हैं जो पलक झपकते ही कद्दू को गाड़ी और चूहो को दरबान बना देतीं हैं इसलिय अब हर सुनहरे बालों वाली लड़की को मुड़ कर देखती हूँ शायद वही निकले मेरी सोन परी… bahut pyaare ehsaas
bahut khoobb..
अपने दिल और दिमाग की
इस शिकायत पर
आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने.
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी.
…बहुत खूब ! तीनों क्षणिकाएं लाज़वाब…विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
तीनो ही क्षणिकाएं खूबसूरत ! उत्कृष्ट ! बहुत बढिया !
विजयदशमी की बधाई-शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
Priya shikha ji apke blog pe aaya padhkar bahut achcha laga .. kuch aise hi vichar ke liye mere blog pe aapka swagat hai…http://www.akashsingh307.blogspot.com/
सुन्दर और शानदार शिल्प ..सदा की तरह. हालांकि प्रेम में बुद्धि का क्या काम? लेकिन हर वो चीज़ बेवकूफी ही नहीं हुआ करती जिसमें दिमाग का इस्तेमाल ना किया गया हो. हानि-लाभ , जीवन-मरण,यश-अपयश की चिंता किये बगैर किया जाने वाला काम ही तो प्यार की परिधि में आता है. बाकी सब तो गणित है, वनिक बुद्धि का मोल-तोल. सुन्दर रचना.
पंकज झा.
१. जागी आँखों के भी ख्वाब होते हैं..!
ख्वाब पर बस तो नहीं है मेरा लेकिन फिर भी,
बंद आँखों से मैं देखूं कि खुली आँखों से!!
२. विलायत में रहकर तो संभव है.. मिले तो हमें भी खबर कीजियेगा!!
३. मुश्किल यही है शिखा जी प्रेम कथा पिछले पन्ने से नहीं लिखी जाती… जो पिछले पन्ने से पढते हैं उन्हें बेवकूफी लगती हो.. पहले पन्ने पर तो मुहब्बत लिखा होता है!!
.
तीनों कवितायें बेहद ख़ूबसूरत हैं!!
तीनों बहुत ही सुन्दर।
तीसरी
पहली
और दूसरी
(जिस क्रम में मुझे पसंद आये, उसी क्रम में लिखा है) 😛
@@बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँख
———————-
आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने.
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी. तीनों रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं लेकिन मुझे यह बहुत बढ़िया लगी .
शिखा जी,
सफ़ल लेखन वो माना जाता है, जो अपने भाव स्पष्ट करने के साथ ही पाठक के दिल को छू जाए…
यहां पेश की गई तीनों क्षणिकाएं आपके इस हुनर का जीता जागता सबूत है.
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
इनका तो कुछ नहीं जाता
हमें जुट जाना पड़ता है
उनकी तामील में
करना पड़ता है औवर टाइम .
सही कहा और कई बार ओवर टाइम के बाद भी सपने सच नहीं हो पाते है | अच्छी लगी तीनो रचनाए |
मनचली और नादान … आंखें .. दोनों मिलकर बड़ी शरारती हो गयी हैं।
सोन परी को जब देखता हूं तो कुछ ऐसा लग रहा है जैसे सात समन्दर पार = इंग्लैण्ड और सुनहरे बालों वाली गोरी मेम … अच्छी परि-कल्पना है।
इस तरह का प्रेम तो त्रासद होना ही था।
कमाल की प्रस्तुति है आपकी.
मन को चुरा ले गई.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
उफ़! क्या मेरा ब्लॉग आपके दर्शनों
का बिलकुल भी लायक नहीं?
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को
मुड़ कर देखती हूँ
शायद वही निकले मेरी सोन परी।
विदेश में रहने वालों की एक यह भी व्यथा है ।
सुन्दर क्षणिकाएं ।
मन को छूती क्षणिकाएँ…. बहुत अच्छी लगीं
आँखें मनचली भी हैं और नादान भी …और आपका यह सितम कि खुद की आँखें मूंदी नहीं …कुछ ख्वाब तुम्हारी आँखें भी देख लें ..
सोनपरी की कल्पना भी लाजवाब …
और त्रासद प्रेम प्रसंग ..यथार्थ को कहता हुआ ..
तीनों रचनाएँ अलग अलग खुशबू लिए हुए … बहुत अच्छी लगीं
सुंदर।
तीनों रचनाएं गहरे भाव लिए हुए।
आज रात खुली आँखों मे गुजार दी है मैने.
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी.
तीनों रचनाएँ बहुत सुन्दर …
खुबसूरत भाव भरी छणिकाएं
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
एक खूबसूरत अंदाज में पेश की गयी तीनों ही क्षणिकाएं प्रशंसनीय हैं । .दशहरा के बाद भी देर से आने के कारण आपके लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं ।
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
different moods blended together.
nice…
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति …. दशहरा पर्व के अवसर पर आपको और आपके परिजनों को बधाई और शुभकामनाएं…..
वाह.
बहुत ही सुंदर क्षणिकाये…
बेहतरीन क्षणिकाये ,बधाई स्वीकार करें.
बेहतरीन क्षणिकाये ,बधाई स्वीकार करें.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! बेहतरीन प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
क्षणिकाये लाजबाब हैं |
पलकों में ख्वाब आये ही नहीं इस डर से कब से आँखें नहीं मूंदी मैंने …
लाजवाब !
खुबसूरत क्षणिकाएं….
सादर…
इसलिय अब
हर सुनहरे बालों वाली लड़की को
मुड़ कर देखती हूँ
शायद वही निकले मेरी सोन परी…….
तीनो ही क्षणिकाये खूबसूरत्।…..
behtarin rachana. Aapko vijay dashmi ki hardik subhkamna
बहुत ही सुन्दर बिम्बों ,प्रतीकों से सजी कविताएँ
बहुत ही सुन्दर बिम्बों ,प्रतीकों से सजी कविताएँ
teenon kavitaayen bahut acchi hain di..par pahli mujhe sabsebhali lagi… :)thodi si shaitaan hai na wo..
इतनी सुन्दर रचनाओं के लिए साधुवाद..
waah… teeno hi kshnikaayen bahut sundar hain…
सभी क्षणिकाये बहुत खूबसूरत् हैं….अभिव्यंजना में आप का इंतजार …..
नादान आँखें…….kya baat hai.baki dono bhi bahut achchi lagin.
सुन्दर कवितायेँ.
teno kavitaye hi bahut umda hain…aabhar
mujhe bhi son pari ki talash hai:)….
kahin ye isss post ki kaviyatri to nahi:D:D:D:D::D
बहुत प्यारी कविता। बधाई।
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
——
एक यादगार सम्मेलन…
…तीन साल में चार गुनी वृद्धि।
नादान आंखें-
बहुत बोलती है तुम्हारी ये आंखें,
ज़रा अपनी आंखों पे पलकें गिरा लो…
सोन परी-
हर बिटिया मां-बाप के लिए सोन परी ही होती है…
त्रासद प्रेम-
पहले प्यार की याद आखिरी सांस तक साथ रहती है…
जय हिंद…
सरस्वती का वरदान हो, भावों का भण्डार हो, तो चैन की नींद सोने वाले सोते रहें……भावों को उकेरने मे रात तो गुजरेगी ही……।तीनो ही लाजवाब क्षणिकायें……बधाई व आभार।
तीनो क्षणिकाओं ने मन मोह लिया!
बडीं मनचली हैं
तुम्हारी ये नादान आँखें
जरा मूँदी नहीं कि
झट कोई नया सपना देख लेंगी.
वाह …बहुत खूब।
सचमुच प्रेम एक त्रासदी है ..तीनों कवितायें सार्वभौमिक सत्य लिए हैं !
क्या-क्या अंदाज हैं सपनों के, परियों और प्रेम के। 🙂
pta nhi jo bhi aap likhtii hen woh dil ki ghraiyo me utar jata he
सभी क्षणिकायें-अति उत्तम!!
बेहतरीन क्षणिकाएँ ।
सादर
तीनो ही रचनाये सुन्दर पर सोनपरी सबसे सुन्दर
रचनाओं को पढा लगा कहिं चुपके से मानव मन के विनारो की थाह पाली । सरल और सरस तरीके से भावानाओं को शब्द देना दिल को छूता है । पहली बार ब्लॉग पर आना सुखद प्रतीत हुआ1
आज ही राजस्थान पत्रिका के Menext मे ब्लॉग पोस्ट- शब्दो से मन की बात के नाम से आपके ब्लॉग के परिचय को पढ़कर ही आपके ब्लॉग का परिचय हुआ है ।
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