देश के गंभीर माहौल में निर्मल हास्य के लिए 🙂
पृथ्वी  पर ब्लॉगिंग  का नशा देख कर कर स्वर्ग वासियों को भी ब्लॉग का चस्का लग गया. और उन्होंने भी  ब्लॉगिंग  शुरू कर दी. पहले कुछ बड़े बड़े देवी देवताओं ने ब्लॉग लिखने शुरू किये, धीरे धीरे ये शौक वहां रह रहे सभी आम और खास वासियों को लगने लगा यहाँ तक कि यमराज के भी कुछ गणों  ने ब्लॉग बना लिए और उत्पात मचाने लगे.कुछ लोगों ने अपना अपना मुखिया भी चुन लिया .जब कुछ छोटे देवी देवता अच्छा लिखने लगे और उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स भी मिलने लगा तब इंद्र का सिंहासन  डोलने लगा. स्वर्ग में हडकंप मचने लगा .सबको अपनी अपनी कुर्सी और रोटी  की चिंता सताने लगी.तो इंद्र ने एक सभा बुलाई देखिये एक झलक —
सबसे पहले नारद का दल आया -.दुहाई है प्रभु दुहाई है .आज कल ब्लॉग में इतना मौलिक और अच्छा सामान मिलने लगा है हमारी तो रोजी छिन रही है प्रभु .पहले जिस चीज़ के लिए अख़बारों के मालिक हमें पैसे देते थे हमारी चिरौरी  करते थे, अब उन्हें वो सब फ्री में मिल रहा है .प्रभु वो अब हमें पूछते ही नहीं .जहाँ जगह खाली मिलती है कोई ब्लॉग की पोस्ट लेकर ठोक  देते हैं . कुछ करिए प्रभु ….कुछ करिए.
इंद्र.- हाँ समस्या तो गंभीर है तुम ऐसा करो पहले खुद एक ब्लॉग बनाओ फिर ब्लॉगरों से दोस्ती हो जाये तो उन्हें बरगलाना शुरू करो.उन्हें कहो कि अपनी पोस्ट अख़बारों में ना दें फ्री में. उन्हें पैसे का लालच दो ,उन्हें कहो कि अखबार वाले उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं.उनकी कीमती चीज़ का इस्तेमाल फ्री में कर रहे हैं.देखो !ये पढने लिखने वाले लोग बड़े सैंटी  होते हैं. ये तरीका जरुर काम करेगा और वो इसके  खिलाफ आवाज़ उठाएंगे. अब अखवार वाले हर किसी को तो पैसे देने से रहे .और मान लो देने भी लगे, तो पैसे के चक्कर में लोग वह लिखेंगे जो उनसे लिखने को कहा जायेगा और फिर ब्लॉग पोस्ट की सहजता और रोचकता ख़तम हो जाएगी.तो अखबार वाले फिर से तुम्हारे पास चले आयेंगे और तुम्हारी चांदी ही चांदी.
 दल  – अरे महाराज ये भी किया अब तक कर रहे हैं. कुछ ब्लॉगर  तो झांसे में और पैसे के लालच में आ भी गए. पर कुछ तो बहुत ही ढीठ  हैं वो कहते हैं हम तो ब्लॉग लिखते हैं अपनी ख़ुशी के लिए, अपने विचार ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए, फिर वो कैसे भी पहुंचे. चाहे अखबार से या रेडिओ से हम तो खुश ही होंगे.और ब्लॉग लिखने में कौन से हमें पैसे मिलते हैं जो कहीं और छपने से पैसे की उम्मीद करें .बस हमारी बात हमारे नाम से ज्यादा लोगों तक पहुँच रही है तो हम तो खुश हैं.
उस पर भगवान हमें तो सारी राजनीति  देख कर लिखना पढता है ये ब्लॉगरों  की तो कोई जबाबदेही है नहीं , बिंदास लिखते हैं तो जनता हाथों हाथ ले रही है.बहुत कहा कि स्वर्ग की ब्लॉगिंग में कचरा है, हनुमान की सेना है उसपर उसके हाथ में उस्तरा पकड़ा दिया है.पर कोई सुनता ही नहीं.चुपचाप बस अपना काम करते रहते हैं.
तभी भड़भड़ाता  दूसरा दल आया 
महाराज एक और विकट  समस्या है .वो है टिप्पणियों की .  कुछ लोगों के ब्लॉग में इतनी  टिप्पणी आती है कि पूछो मत हाँ ये और बात है कि वो लिखते भी ठीक ठाक ही हैं, और दूसरों को सराहते भी  हैं. लेन देन  है महाराज.और हम अपनी अकड़ में कहीं जा नहीं पाते.इत्ते इत्ते लिंक भेजते हैं लोगों को कि इनबॉक्स रोने लगे फिर भी  हमें कम टिप्पणी मिलती हैं . बहुत दुखी हैं महाराज क्या करें.
इंद्र. – तुम ऐसा करो कि एक एक अभियान छेड़ दो, कि ये टिप्पणी वगैरह  सब बेकार है. जो स्तरीय लिखने वाला है उसे इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए और इसका आप्शन ही बंद कर देना चाहिए.
दल  – अरे ये भी किया था प्रभु ! और कुछ दोस्त तो साथ भी आ गए.कुछ देवताओं को उनकी महानता का  वास्ता देकर साथ मिलाया कि इन टिप्पणियों से उनका स्तर गिर जाता  है .पर प्रभु उन लोगों का क्या करें जो महा जिद्दी हैं .कहते हैं कि हमारा तो दो शब्दों से भी उत्साह बढता है .आखिर हर कलाकार अपनी कला पर तालियाँ और वाह वाह चाहता है वही उसकी उर्जा है. फिर हम क्यों नहीं .
और प्रभु उसपर स्वर्ग की देवियों और अप्सराओं ने भी ब्लॉगिंग शुरू कर दी है .अब तक तो वे देवताओं के कामों में ही उलझी रहती थीं अब जब से लिखना शुरू किया है कमाल हो गया है ऐसा लिखती हैं कि सब खिचे चले जाते हैं .हमने तो यहाँ तक फैलाया कि अप्सराओं के लेखन पर नहीं, वे अप्सराएँ हैं इसलिए लोग जाते हैं उनकी पोस्ट पर.परन्तु  कोई फायदा नहीं प्रभु! उनके लेखन में ताजगी है,मौलिकता है और उनके पास समय भी है प्रभु .हमें तो कोई पूछता ही नहीं .अब कितना किसी को भड़काएं ..
तभी ब्रह्मा का दल दौड़ा दौड़ा आया – प्रभु गज़ब हो गया .हर कोई आम ओ ख़ास  लिखने लगा है. हर कोई कवितायें,कहानियां ,संस्मरण लिख रहा है कोई विधा नहीं छोड़ी भगवन ! साहित्य की  तो ऐसी तेसी हो गई है प्रभु !.उनके लेखन में  इतनी ताजगी है हमारा साहित्य तो किलिष्ट लगता है लोगों को .उनकी पोस्ट धडाधड छप रही है प्रभु .ईमानदार  अभिव्यक्ति होती है तो लोग खूब पसंद कर रहे हैं .पर भाषा के स्तर  का क्या प्रभु? हमें कौन पूछेगा फिर ? अनर्थ हो रहा है अनर्थ.
इंद्र – अरे तो आप मुहीम चलाइये कि स्तरीय लिखा जाये , सार्थक लिखा जाये. अपने को ऊँचा और दूसरे के लेखन को निम्न बताइए.लोगों को भडकाइये  कि पॉपुलर  लोगों की पोस्ट पर ना जाएँ .उन्हें लिखना नहीं आता.भाषा और विधा के नाम पर फेंकिये पत्थर उनपर .जरुर असर होगा .फिर आप ही आप होंगे और भाषा भी जहाँ की तहां रहेगी .
दल- वही तो  कर रहे हैं प्रभु! कुछ लगाये भी हुए हैं इसी काम पर. परन्तु  जैसे कुछ लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती महाराज, रिएक्ट ही नहीं करते हंगामा ही नहीं होता फिर क्या करें. हमें तो सार्थक लेखन के नाम पर बार बार ना जाने कितनी निरर्थक पोस्ट लिख डालीं.पर कोई असर नहीं हुआ. .
 सहायता कीजिये भगवान रहम कीजिये हर उपाय कर लिया है.कुछ ब्लॉगरों  को ब्लॉगिंग  छुडवाने के लिए टंकी पर भी चढ़ाया पर अब उसे भी कोई भाव नहीं देता. तो बेचारे खुद ही उतर आते हैं थोड़ी देर में. माना कि ब्लोगिंग सहज, सरल अभिव्यक्ति का मंच है पर अगर वो हमारे क्षेत्र में घुसपेठ करेंगे तो गुस्सा तो आएगा ना प्रभु ! 
दुहाई है …दुहाई है…दुहाई है…..
स्वर्ग लोक में से आता शोर सुनकर यमराज के कुछ गणों के भी कान खड़े हो गए .उन्हें उत्पात करने का मौका  मिल गया .सोचा चलो बहती गंगा में हमऊँ हाथ धो लें इसी बहाने दो चार पर भड़ास निकाल आयें .
सो उन्होंने आकर सभा में उत्पात मचाना शुरू कर दिया और सभा बिना किसी हल या नतीजे के ही समाप्त हो गई.