सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
************************
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
*************
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
****************
आसमां आज कुछ
झुका झुका सा लगता है
शायद ऊपर आज
डांस प्रोग्राम् है
***********
पहले हम कहते थे
ये धरती चपटी है
अब कहते हैं कि
पृथ्वी गोल है
पर कब समझेंगे की
ये प्रकृति अनमोल है.
***************
आज भी जब दिल करता है
की हंसें हम
तो खुद ही हो जाती हैं
ये आँखें नम
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
*****************
जैसे आये थे हम
उल्टे पैर लौट जायेंगे
तेरी गली में अब
शाम कहाँ होती है ।
**************
ये क्षणिकाएं हमें बहुत पसंद आयीं .
आनंद आ गया
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
जज्बातो का तूफान है आपकी ये क्षणिकाएँ.
बहुत ही मनमोहक
सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
************************
palkon par yeh saje….. chhoo gayi dil ko…
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
*************
haan! aa jaate hain khatmal bhi…. hum to jab bhi baithte hain…. to BAYGON lekar hi…. hehehhee…..
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
****************
hmmmm! bahut sahi…
आसमां आज कुछ
झुका झुका सा लगता है
शायद ऊपर आज
डांस प्रोग्राम् है
***********
haan! DJ nite hai… aaj …. mera janmdin jo hai…
पहले हम कहते थे
ये धरती चपटी है
अब कहते हैं कि
पृथ्वी गोल है
पर कब समझेंगे की
ये प्रकृति अनमोल है.
***************
yes! save environment… prakriti ko sahejna hi hamara dharm hai…
आज भी जब दिल करता है
की हंसें हम
तो खुद ही हो जाती हैं
ये आँखें नम
***************
haan! aajkal log hansna bhool gaye hain… bahut hi sunder panktiyan…
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
*****************
haan! ab e.mails aate hain….
जैसे आये थे हम
उल्टे पैर लौट जायेंगे
तेरी गली में अब
शाम कहाँ होती है ।
**************
hmmmmm……… ek ek lafz dil ko chhoo gaya…
yeh fuhaaren bahut achchci lagin…..
कई सुंदर भाव अलग लग पंक्तियों में…बढ़िया लगी आपकी यह रचना..बधाई
सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
आपकी तमन्ना पूरी हो जाए बस….
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
अरे कभी-कभी धूप भी देखना पड़ता है….हा हा हा हा हा
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
मौसम बदल गया होगा शायद…..बारहों महीने बारिश कहाँ होती है …….
आसमां आज कुछ
झुका झुका सा लगता है
शायद ऊपर आज
डांस प्रोग्राम् है
अरे बाप रे ! क्या प्लस साइज़ वालों की पार्टी है…..हा हा हा
पहले हम कहते थे
ये धरती चपटी है
अब कहते हैं कि
पृथ्वी गोल है
पर कब समझेंगे की
ये प्रकृति अनमोल है.
अरे जब इतने समझाने पर नहीं समझे तो अब क्या समझेंगे….!!!
आज भी जब दिल करता है
की हंसें हम
तो खुद ही हो जाती हैं
ये आँखें नम
हाँ…पानी अक्सर पाइप रह जाती है थोडी-बहुत…
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
चिट्ठी ???? वो क्या होती है ????
इंतज़ार ही गलत चीज़ का कर रही हैं आप ……
आपके लिए टिप्पणी भी कविता में करना चाहूँगा …
यत्र-तत्र भावनावों की छीटें .
खूब जमाया रंग |
कतरन में काफी कह देना .
क्षणिका का है ढंग ||
धन्यवाद् …
बहुत दिलकश अंदाज़ में लिखा है ………. छोटी छोटी लाइनों में गहरी बात …….. अच्छी लगी आपकी रचना ………
सुन्दर रचनाएं | आसमान में डांस प्रोग्राम है, हमेशां चलता ही रहता क्या , गलीचे पे खटमल, धुप में सुखाइए, मजा आया !!
sari rachna man ko chhu gai..mere blog par aapka swagat hai
बहुत ही खुबसूरत क्षणिकाये है ……….
सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
************************
meri palken bahut bhaari ho gayin hain… plz thoda bojh halka karen…
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
*************
galicha bahut dinon se store mein rakha hua tha… ab se baygon le ke hi baithenge…
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
****************
haan! aur chhaata ulta karna padta tha… sametne ke liye
आसमां आज कुछ
झुका झुका सा लगता है
शायद ऊपर आज
डांस प्रोग्राम् है
***********
haan! meri party mein bheed kuch zyada ho gayi hai
पहले हम कहते थे
ये धरती चपटी है
अब कहते हैं कि
पृथ्वी गोल है
पर कब समझेंगे की
ये प्रकृति अनमोल है.
***************
apki Geography thodi kamzor hai, tuition ki zaroorat hai..
आज भी जब दिल करता है
की हंसें हम
तो खुद ही हो जाती हैं
ये आँखें नम
***************
ab dil ka aankhon se kya taalluq?
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
*****************
ab to emails ka zamana hai…
जैसे आये थे हम
उल्टे पैर लौट जायेंगे
तेरी गली में अब
शाम कहाँ होती है ।
**************
haan! gali ke muhaane pe aajkal kutte bahut rehte hain, dar lagta hai jaane mein, isliye shaam kahin aur kar lete hain…
hihihihihihihihihhi
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
haa haa haa haa ……
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
*************
मस्त है,
पर ये पंक्तियाँ- सैकडों परिंदों के पंजों में तेरा ख़त नहीं,दिल में उतर गयी
सुन्दर रचनाएं.दिलकश अंदाज़
आसमां आज कुछ
झुका झुका सा लगता है
शायद ऊपर आज
डांस प्रोग्राम् है
……………………….क्या इमेजिनेसन है ,……..नयी शुरुआत…पढ़ कर अच्छा लगा!
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती
वाह…लाजवाब…अलग अलग रंग समेटे आप की ये क्षणिकाएं विलक्षण हैं और आपकी रचनात्मक प्रतिभा को दर्शाती हैं…बहुत बहुत बधाई इस उत्कृष्ट लेखन के लिए…
नीरज
छोटी छोटी क्षणिकाओं में आपने बहुत बडी बडी बातें कह दीं। बधाई।
————–
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं
सुन्दर शब्द-चित्र हैं।
बधाई!
शिखा जी ,
ये तीन शायरियाँ दिल छू गई ………
सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
जैसे आये थे हम
उल्टे पैर लौट जायेंगे
तेरी गली में अब
शाम कहाँ होती है ।
अगर आप ये तीन ही इस पोस्ट में लगती बाकि की दूसरी पोस्ट में तो बढिया होता क्योंकि बाकि की थोडी हास्य व्यंग लिए है …..!!
आपकी सोच की दाद देती हूँ ….!!
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
yun to sabhi fulhjhariya majedar hain,
lekin mujhe ye sabse achchi lagi
badhaie aise hilikhte rahiye
वैसे तो पूरी कविता ही शानदार है, लेकिन इन चार लाइनों में आपने सबके मन की बात कह दी।
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है
शिखा ,
सारी क्षणिकाओं का अपना अलग मज़ा है..
बहुत खूबसूरती से लिखी हैं सब की सब..
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति है..
यूँ तो रोज़ आते हैं,
सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर।
पर किसी के भी पंजों में,
तेरी चिठ्ठी कहाँ होती है.
ये मन् को छू गयी
आज इस बारिश की
बोछार देख याद आया
तेरा प्यार भी कभी
यूँ ही बरसा करता था.
very beautiful lines.
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें…
सभी क्षणिकाएं भली लगी.
बहुत सारे भाव और अंदाज़ समेत लिए हैं आपने.
बड़ी शिद्दत से बिछाये बैठे थे
प्यार के गलीचे को
खबर क्या थी उसमें
खटमल भी आ जाया करते हैं
Triveni ke andaaz mein kahi lajawaab laine hain ………
sab क्षणिकाएं kamaal ki hain ………. chaahe …यूँ तो रोज़ आते हैं,सेंकडों परिंदे मेरी मुडेर पर ya fir ………आज इस बारिश की बोछार देख याद आया …….. kaheen na kaheen dil ke bahoot kareb se likha hai aapne ….. lagta hai jazbat shabdon ka roop le kar mikal padhe hain ………..
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 – 2011 को यहाँ भी है
…नयी पुरानी हलचल में … आईनों के शहर का वो शख्स था
पहले हम कहते थे
ये धरती चपटी है
अब कहते हैं कि
पृथ्वी गोल है
पर कब समझेंगे की
ये प्रकृति अनमोल है.
बहुत ही अच्छा संदेश देती कविता।
सादर
जैसे आये थे हम
उल्टे पैर लौट जायेंगे
तेरी गली में अब
शाम कहाँ होती है ।..बेहद भावपूर्ण है आपकी रचनाओं का संसार …शुभकामनायें सादर !!!
सपनो को बंद करके पलक पर थे हम चले।
शब्दों के कुछ फूल मन बगिया में जो खिले
समेट कर आज इन्हें बिखरा दिया है इसकदर
तमन्ना है की आपकी पलकों पर ये सजें
यूँ तो सभी शेर उम्दा हैं मगर
यह कुछ जियादा पसंद आया हमें…
लाजवाब क्षणिकाएं बधाई
You made various fine points there. I did a search on the subject and found mainly folks will consent with your blog.
Hello there! This is my first visit to your blog! We are a team of volunteers and starting a new initiative in a community in the same niche. Your blog provided us useful information to work on. You have done a outstanding job!
“[…]usually posts some very interesting stuff like this. If you’re new to this site[…]…”