निर्मल हास्य के लिए जनहित में जारी 🙂


सफलता – कहते हैं ऐसी चीज होती है जिसे मिलती है तो नशा ऐसे सिर चढ़ता है कि उतरने का नाम नहीं लेता. कुछ लोग इसके दंभ में अपनी जमीं तो छोड़ देते  हैं. अब क्योंकि ये तो गुरुत्वाकर्षण का नियम है कि जो ऊपर गया है वह नीचे भी जरुर आएगा या फिर खजूर के पेड़ पर अटक जायेगा. परन्तु वापस जमीं पर गिरते ही उनकी हड्डी हड्डी चरमराने लगती है. अब इसका एक दूसरा पहलू भी है. वह यह कि, कई बार ऐसा होता है कि सफलता जिसे मिलती है उसे तो इसका पता ही नहीं चलता। ऐसे में नशा तो आखिर नशा है कहीं तो चढ़ेगा, तो ये नशा दूसरों के सिर चढ़ कर बोलने लगता है. बोलने क्या लगता है, हल्ला मचाने लगता है और बेचारा सफल व्यक्ति, हक्का बक्का सोचता रह जाता है कि अचानक ये आवाजें कहाँ से और क्यों आने लगीं हैं.
वैसे क्या आप सफल हो रहे हैं… ? यह एहसास करने  के कुछ कारण होते हैं जिनकी बिनाह पर जाना जा सकता है कि आप सफल हो रहे हैं. आप भी पढ़ लीजिये. क्या पता आप भी सफल हो रहे हों और आपको पता ही ना हो.

  1. * जब आपके द्वारा किये गए हर कार्य का क्रेडिट लेने के लिए कोई उतावला होने लगे. जैसे बनारस का हर पान वाला बोले -“अरे उ अमितवा है ना. उ का हम पान खिलाये रहे तबही तो उ गाये रहा “खाई के पान बनारस वाला “… तो समझिये आप सफल हो रहे हैं.
  2. * जब आपकी प्रशंसा में कसीदे पढने वाले लोगों को अचानक आपमें दुनिया भर की बुराइयां नजर आने लगे- “अरे वो…अरे बहुत ही घमंडी है जी वो तो और काम क्या ? समझिये घास काटते हैं. क से कबूतर जानते नहीं, बस रट लिए हैं कुछ, और बन रही है जनता बेवकूफ। बने हमें क्या” तो समझिये आप सफल हो रहे हैं.
  3. * जब उसी सड़क पर खुद चलने वाले आपको कहने लगें कि, ये सड़क गलत है, यहाँ से मत जाइये.- ” अरे ये जो आजकल तरीका है ना…ठीक नहीं है. कोई फायदा नहीं होने वाला इससे. बहुत ही कच्चा है. देखना कहीं नहीं पहुंचेगा” तो समझिये आप सही राह पर हैं और सफलता के बहुत निकट हैं.
  4. * जब ” जान ना पहचान मैं तेरा मेहमान” की तर्ज़ पर कोई आपका चरित्र प्रमाणपत्र बांटता फिरे. तो समझिये आप काफी सफल हैं.
  5. * जब आपके तथाकथित दोस्त – दुश्मन में, और दुश्मन – दोस्त में तब्दील होने लगें, तो समझिये आप सफलता की तरफ तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
  6. * जब आपको लगने लगे कि आपके दोस्त अचानक आपसे दूरियां बनाने लगे हैं – कुछ ईर्ष्या में, कुछ डर में कि कहीं आपकी बढती दुश्मनों की संख्या का खामियाजा उन्हें भी ना चुकाना पड़े, और कुछ शरीफ इस लिहाज से, कि आपसे नजदीकियों को कहीं उनकी चापलूसी ना समझ लिया जाये. तो समझिये आप सफल हो गए हैं.
  7. * जब लोग अपने घर से अधिक आपकी खिड़की पर नजर रखें. – जैसे, अरे अन्दर नहीं जायेंगे, झाँकने में क्या है, देखें तो हो क्या रहा हैआखिर. तो समझिये आप सफल हैं.
  8. * जब हर टॉम, डिक, हैरी आपको जानने का दम भरे और बे वजह आपके निकट आने की कोशिश करे “अरे वो… अरे वो तो अपने साथ ही पढ़ा है यार. संग तो गोली खेले हैं. वो क्या है कि संग संग गौएँ चरैं कृष्ण भए गुसाईं ”  तो समझिये आप सफल हो रहे हैं.
  9. * जब आपके हर छोटे बड़े कार्य का पोस्ट मार्टम किया जाने लगे, चीर फाड़ कर ही दम लेंगे. तो समझिये आप सफलता के चरम पर हैं.
  10. *  जब अचानक आपको भूल चुके आपके शुभचिंतकों को आपसे अपने मधुर सम्बन्ध याद आने लगें. “उफ़ कितना समय बीत गया ना. क्या दिन थे. कितना अच्छा समय गुजरा करता था अपना”. तो समझिये आप सफल हो गए हैं. 
  11. * जब किसी नीम के से पेड़  से आम की सी खुशबू आने लगे… समझ ही गए होंगे … तो समझिये आप सफलता की राह पर काफी आगे हैं. 
यूँ कहते हैं सफलता पचाना आसाँ काम नहीं और जिसने पचा ली, समझो सफल ही नहीं. पर मंदी और मिलावट के इस दौर में जाने लोग क्या क्या पचा लेते हैं. फिर मुई सफलता क्या चीज है. लक्कड़ पत्थर सब हज़म.
लेकिन कुछ लोगों की अपनी ही बनाई सफलता होती है जो कितनी ही हाजमोला खा लो पचती ही नहीं।  तो यहाँ वहां कुदकते – फुदकते घूमते हैं. थोड़ी इधर छलकाई, थोड़ी उधर. आखिर अधजल गगरी छलकत जाए और छलका -छलका कर बना लिया तालाब, फिर खुद ही बैठ गए उसे  क्षीर सागर की शैया मान कर. अब कोई माने विष्णु तो उसका भला ना माने तो उसको बुरा भला.
बरहाल अब आपने ये पुराण पढ़ ही लिया है तो सोचिये! क्या पता आप भी सफल हो रहे हों और आपको पता ही ना हो. सोचिये… सोचिये